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सूडान का बंटवारा तय !

१७ जनवरी २०११

दक्षिण सूडान में हफ्ते भर तक चले जनमत संग्रह के बाद दोनों ही तरफ की मीडिया ने दावा किया है कि वोटिंग के बाद सूडान का दो हिस्सों में बंटना तय हो चुका है. हालांकि जनमत संग्रह के नतीजे अगले महीने से पहले नहीं आने वाले हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

उत्तर सूडान के खारतूम शहर से निकलने वाले प्रमुख दैनिक अल-इनतिबाहा ने हेडलाइन लगाई है, "बंटवारा अवश्यंभावी". अल-अहराम अल-योम ने लिखा है, "बंटवारे की राह में तेजी आई."

दक्षिणी सूडान में ज्यातार ईसाई रहते हैं और उन्होंने पिछले हफ्ते भर उत्तरी हिस्से से अलग होने के सिलसिले में वोटिंग की है. उत्तरी सूडान में ज्यादातर अरबी भाषा बोलने वाली मुस्लिम आबादी है. अगर दक्षिण के लोगों ने अलग राष्ट्र बनाने का फैसला किया, तो यह दुनिया का 193वां देश होगा. इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता जुलाई में मिलने की बात है. मीडिया यह मान चुका है कि सूडान का बंटवारा तय है और अब उन मुद्दों पर चर्चा हो रही है, जो दोनों देशों के लिए विवाद खड़े कर सकते हैं.

Sudan Referendum
तस्वीर: picture alliance/dpa

दोनों राष्ट्रों में शांति से "तलाक"

दक्षिणी सूडान के दैनिक द सिटिजन के मुताबिक अबयाई जिले को लेकर दोनों पक्षों में टकराव हो सकता है, जो उत्तर दक्षिण सीमा पर स्थित है. अखबार का कहना है कि अगर यह शहर उनके साथ नहीं जुड़ा, तो वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकते और उत्तर के साथ उनका दोस्ताना रवैया नहीं हो सकता. अखबार के संपादकीय में इस जिले की तुलना फलीस्तीन से की गई है और कहा गया है कि जिस तरह अरब राष्ट्रों ने तय कर रखा है कि जब तक फलीस्तीन को अलग राष्ट्र की मान्यता नहीं मिल जाती, तब तक वे इस्राएल को मान्यता नहीं देंगे, वैसे ही अबयाई जिला हमारे लिए महत्वपूर्ण है.

जिस वक्त दक्षिण सूडान में बंटवारे को लेकर जनमत संग्रह हो रहा था, इस जिले में हिंसा के दौरान 10 दिनों में 38 लोगों की जान जा चुकी है. इस इलाके में हर साल गर्मियों के मौसम में अरब के खानाबदोश लोग पानी और खाने की तलाश में आते हैं, जिनका वहां के वाशिंदों से टकराव होता रहता है.

खारतूम से प्रकाशित अखबार अल-अय्याम का कहना है कि अब इस बात को सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी हो गया है कि दोनों राष्ट्रों में शांति से "तलाक" हो जाए और दोनों पक्षों में कोई विवाद न रहे.

सूडान में 1983 से 2005 के बीच चले गृह युद्ध में 20 लाख लोगों की जान चली गई. इसके बाद सूडान के मौजूदा राष्ट्रपति उमर अल बशीर के नेतृत्व में शांति संधि हुई, जिसके तहत जनमत संग्रह कराना भी एक शर्त थी. बशीर पहले सेना प्रमुख थे. अगर दक्षिण सूडान अलग राष्ट्र बनता है, तो जुबा उसकी राजधानी होगी और यह दुनिया के सबसे गरीब मुल्कों में शामिल होगा, जिसे ज्यादातर विदेशी मदद पर भरोसा करना होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ईशा भाटिया

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