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सूअरों के लिए 70 किलोमीटर लंबी बाड़

२९ जनवरी २०१९

जंगली सूअरों को रोकने के लिए डेनमार्क ने जर्मन सीमा पर लंबी बाड़ लगानी शुरू कर दी है. डेनमार्क को लग रहा है कि जर्मनी के जंगली सूअर देश की अर्थव्यवस्था को उधेड़ सकते हैं.

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Wildschweinzaun an der Grenze Deutschland - Dänemark
तस्वीर: Imago/Ritzau Scanpix/F. Cilius

जर्मन सीमा से सटे इलाके में यह बाड़ जर्मनी से आने वाले जंगली सूअरों को रोकने के इरादे से लगाई जा रही है. कोपेनहेगन को लगता है कि 70 किलोमीटर लंबी बाड़ लगाकर डेनमार्क अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बच सकेगा. हालांकि जर्मनी में अभी तक इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. बाड़ डेढ़ मीटर ऊंची होगी और जमीन में 50 सेंटीमीटर गहरी गड़ी होगी.

उम्मीद है कि प्रोजेक्ट 2019 के पतझड़ तक पूरा हो जाएगा. पर्यावरणविद और राजनेता डेनमार्क की इस योजना का विरोध कर रहे हैं. बाड़ लगाने में कुल 41 लाख यूरो का खर्च आएगा. सोमवार को जर्मन शहर फ्लेंसबुर्ग से सटे इलाके में 15 किलोमीटर लंबी बाड़ लगाने का काम शुरू किया गया.

डेनमार्क की सरकार ने 24 घंटे जंगली सूअरों की जांच भी शुरू कर दी है. सार्वजनिक और निजी संपत्ति में जंगली सूअरों की संख्या नियंत्रित करने का काम तेज कर दिया गया है. वन्य जीवों से जुड़े कुछ मामलों में जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है. जानवरों को ढोने वाले वाहन अगर गंदे मिले तो अब उन्हें बहुत ज्यादा जुर्माना देना होगा. साथ ही हाइवे में ब्रेक लेने वाले ठिकानों पर खाना फेंकने के खिलाफ चेतावनी के बोर्ड भी लगाए गए हैं.

डेनमार्क के पर्यावरण और आहार मंत्री याकोब इलेमन-येनसेन ने एक बयान जारी कर कहा, "हमारे पास 11 अरब ऐसे अच्छे कारण हैं जो बताते हैं कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर को डेनमार्क पहुंचने से रोकने के लिए हम सब कुछ कर सकते हैं."

Wildschweinzaun an der Grenze Deutschland - Dänemark
28 जनवरी 2018 को शुरू हुआ बाड़ लगाने का कामतस्वीर: Imago/Ritzau Scanpix/F. Cilius

चिंता की वजह

डेनमार्क हर साल 4 अरब डॉलर का सूअर का मांस बेचता है. देश को डर है कि अगर अफ्रीकन स्वाइन फीवर वहां पहुंचा तो उसे गैर यूरोपीय देशों को सूअर के मांस की बिक्री तुरंत रोकनी पड़ेगी. यह कुल बाजार का आधा हिस्सा है.

डेनमार्क की कृषि एसोसिएशन के मुताबिक इस बीमारी से पशुपालन और मांस उद्योग से जुड़े 30,000 लोगों की आजीविका खतरे में पड़ेगी. डेनमार्क के ज्यादातर बड़े सूअर फॉर्म जर्मनी से सटी सीमा पर हैं. डेनमार्क यूरोपीय संघ का अकेला ऐसा देश है, जहां सूअरों की संख्या इंसानों से ज्यादा है.

Symbolbild: Aggressives Wildschwein
35 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से भागते हैं जंगली सूअरतस्वीर: picture-alliance/H. Vollmer

बाड़ मुसीबत न बन जाए

जर्मन राजनेताओं ने बाड़ की आलोचना करते हुए कहा है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर का वायरस आम तौर पर इंसान के द्वारा ही फैलता है. इसके लिए संक्रमित भोजन और जानवरों के ट्रांसपोर्ट को जिम्मेदार ठहराया गया है. डेनमार्क की सीमा से लगे जर्मन राज्य श्लेषविग-होलश्टाइन के पर्यावरण और कृषि मंत्री यान फिलिप आलब्रेष्ट ने स्थानीय जर्मन अखबार से बातचीत में बाड़ की सफलता को लेकर आशंकाएं जताईं.

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) की डैनिश शाखा ने बाड़ की कड़ी आलोचना की है. WWF के मुताबिक बाड़ भेड़ियों, ऊदबिलावों और सुनहरे सियारों की प्राकृतिक आवाजाही में बाधा बनेगी. WWF के अधिकारी बो ओक्सनेबेर्ग के मुताबिक ज्यादातर वन्य जीव बाड़ पार करने के लिए बनाए गए 20 स्थायी रास्तों को नहीं खोज पाएंगे. ओक्सनेबेर्ग के मुताबिक जंगली सूअर जरूर बाड़ को गच्चा दे जाएंगे. वह कहते हैं. जंगली सूअर "35 किलोमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार से दौड़ते हैं. वे कुछ ही मिनटों के भीतर सुराख खोज लेंगे." जंगली सूअर अच्छे तैराक भी होते हैं, वे पानी के जरिए बिना किसी बाधा के डेनमार्क आसानी से पहुंच सकते हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि बाड़ के जरिए डेनमार्क की सरकार दक्षिणपंथी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश भी कर रही है. दक्षिणपंथी डैनिश पीपल्स पार्टी के नेता रिफ्यूजियों को डेनमार्क में घुसने से रोकने के लिए जर्मन सीमा पर मोशन डिटेक्टर वाली कांटेदार ऊंची बाड़ लगाने की मांग भी कर चुके हैं.

Deutschland schwimmendes Wildschwein
अच्छे तैराक होते हैं जंगली सूअरतस्वीर: picture-alliance/WILDLIFE/A. Visage

वायरस कहां है?

जर्मनी में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अभी कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. लेकिन जानवरों के स्वास्थ्य पर रिसर्च करने वाले संघीय इंस्टीट्यूट का कहना है कि इस बीमारी के जर्मनी पहुंचने की संभावना काफी ज्यादा है. बाल्टिक देशों, पोलैंड, चेक गणराज्य और हंगरी में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामले सामने आ चुके हैं. 2018 के पतझड़ में बेल्जियम में भी कुछ मामले सामने आए.

अफ्रीकन स्वाइन फीवर इंसानों के लिए घातक नहीं माना जाता है. लेकिन सूअरों के लिए यह जानलेवा साबित होता है. फिलहाल इससे बचाव करने वाली कोई वैक्सीन नहीं है. फ्रांस के अधिकारी भी बेल्जियम से सटी सीमा पर बाड़ लगाने की योजना बना रहे हैं. फ्रांसीसी सैनिकों को जंगली सूअर खोजने में स्थानीय शिकारियों की मदद करने आदेश भी दिए गए हैं.

रिपोर्ट: एलिस्टर वॉल्श/ओएसजे