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सीवीसी का इस्तीफा सोमवार से पहले!

३ दिसम्बर २०१०

विवादों में घिरे केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस सोमवार से पहले इस्तीफा दे सकते हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई होनी है. इस याचिका में थॉमस की नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है.

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प्रधानमंत्री ने किया नियुक्ततस्वीर: Fotoagentur UNI

थॉमस इस बात पर कायम हैं कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं और उन्हें किसी तरह का अपराधबोध नहीं है लेकिन सूत्रों का कहना है कि जब उनकी नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में आएगा तो सरकार के लिए शर्मिंदगी का सबब बन सकता है. इसलिए थॉमस उससे पहले ही पद छोड़ सकते हैं.

जब थॉमस से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इतना ही कहा, "नैतिक रूप से मैं बिल्कुल सही हूं. मेरे अंतर्मन पर कोई बोझ नहीं है. मैं सीवीसी बना रहूंगा"

थॉमस का नाम एक घोटाले की चार्जशीट में लिया गया है. 1991 में केरल में पामोलीन के आयात में करोड़ों का घोटाला होने के आरोप हैं और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति पर यह कहते हुए सवाल उठाए थे कि जब उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला जारी है तो वह सतर्कता आयुक्त कैसे बन सकते हैं.

60 साल के थॉमस पहले टेलीकॉम सचिव थे. उन्हें तीन महीने पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने सीवीसी नियुक्त किया है. हालांकि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस पर अपनी असहमति जताई थी.

थॉमस 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सुप्रीम कोर्ट के हाथों चढ़ गए. सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और सीवीसी इस जांच का निरीक्षण कर रहे थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि थॉमस 2जी घोटाले की जांच का निरीक्षण कैसे कर सकते हैं जबकि वह खुद टेलीकॉम सचिव रह चुके हैं.

इसके बाद थॉमस ने सरकार से कहा था कि उन्हें जांच के निरीक्षण से अलग कर दिया जाए. लेकिन सूत्रों को उनका बने रहना मुश्किल लग रहा है. हालांकि उन्हें केरल के आईएएस अफसरों का समर्थन मिला है. वहां की असोसिएशन ने कहा है कि थॉमस के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है जबकि वह एक निष्ठावान व्यक्ति हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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