सीरिया पर हमला: कौन किसके साथ?
सीरिया पर बीती रात हमले के बाद एक अंतरराष्ट्रीय तीखी बहस शुरू हो गई है. एक तरफ जहां सीरिया और राष्ट्रपति असद का समर्थन करने वाले देश इसकी निंदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिकी हमले को उचित बताने वाले देश भी लामबंद हैं.
सीरिया
सीरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "सीरियाई अरब रिपब्लिक क्रूर अमेरिकी, ब्रिटिश और फ्रेंच हमलों की कड़ी निंदा करती है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है."
रूस
रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है, "रूस इन हमलों की निंदा करता है, जहां रूसी सेना कानूनी सरकार को आतंकवाद से लड़ने में मदद दे रही है." रूस ने यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग कर रहा है.
चीन
चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में "ताकत का इस्तेमाल" करने के खिलाफ है. चीन ने इस विवाद का राजनीतिक समाधान और "अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में वापस लौटने की मांग की है."
ईरान
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई ने इन हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रां और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरीजा मे को "अपराधी" कहा है.
कतर
खाड़ी देशों की तरफ से प्रतिक्रिया देने वालों में कतर पहला देश था. सरकारी समाचार एजेंसी में जारी बयान में आम लोगों पर सीरियाई सरकार के हमले रोकने के लिए इन हमलों का समर्थन किया गया है.
नाटो
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने एक बयान जारी कर हमलों का समर्थन किया है. बयान में कहा गया है. हमले, "सीरिया के लोगों पर सत्ता के और रासायनिक हमले करने की क्षमता को कम कर देंगे."
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने अपने बयान में कहा है, "मैं सभी सदस्य देशों से इन खतरनाक परिस्थितियों में संयम दिखाने और ऐसे कदमों से बचने का अनुरोध करता हूं जिससे स्थिति बिगड़ेगी और सीरियाई लोगों की हालत खराब होगी."
तुर्की
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "हम इस अभियान का स्वागत करते हैं, जिसने डूमा पर हुए हमले के बाद मानवीय अंतरात्मा को थोड़ी राहत दी है." तुर्की ने सीरिया पर "मानवता के खिलाफ अपराध" का आरोप लगाया है.
यूरोपीय संघ
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने ट्वीटर पर कहा है कि यूरोपीय संघ इन हमलों का समर्थन करता है और, "न्याय के पक्ष में अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहेगा."
जर्मनी
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इन हमलों को एक "जरूरी और वाजिब सैन्य दखलंदाजी कहा है."
नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया, स्पेन
चेक गणराज्य, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया और स्पेन ने इन हमलों का बचाव किया है और इसे रासयानिक हमलों के सबूतों के माध्यम से न्यायोचित बताया है.