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सीआईए अफसर का भारत में हवाना सिंड्रोम से सामना

२१ सितम्बर २०२१

ऐसी खबरें सामने आई हैं कि सीआईए के एक अफसर को हाल ही में भारत में हवाना सिंड्रोम के लक्षण महसूस हुए. यह एक रहस्मयी बीमारी है जिसके लक्षण सिर्फ ऐसे अमेरिकी अधिकारियों में देखे गए हैं जिन्हें विदेश में नियुक्त किया गया था.

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CIA | Symbolbild
तस्वीर: Dennis Brack/dpa/picture alliance

इस सीआईए अफसर का नाम सामने नहीं आया है लेकिन यह बताया जा रहा है कि उसका उपचार किया गया है. वह कुछ ही दिनों पहले एजेंसी के निदेशक विलियम बर्न्स के साथ भारत आए थे. 

हवाना सिंड्रोम सबसे पहले 2016 में क्यूबा में अमेरिका के दूतावास में काम करने वाले अमेरिकी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों में देखा गया था. इसके बाद क्यूबा में अमेरिकी दूतावास की अधिकांश गतिविधियों को बंद कर दिया गया था. ये गतिविधियां अभी भी बंद हैं. तब से अब तक करीब 200 लोगों में इसके लक्षण पाए गए हैं.

क्या है हवाना सिंड्रोम

लक्षणों में माइग्रेन, जी मचलाना, याददाश्त कमजोर हो जाना और चक्कर आना शामिल हैं. सीएआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि एजेंसी विशेष घटनाओं या अफसरों पर टिप्पणी नहीं करती है.

Kuba US-Botschaft in Havanna
हवाना स्थित अमेरिकी दूतावासतस्वीर: Adalberto/AFP/Getty Images

उन्होंने कहा, "जब भी कोई व्यक्ति संभावित स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों की शिकायत करता है, तो उस स्थिति के लिए हमारे पास प्रोटोकॉल तैयार हैं. इनमें उचित चिकित्सा और उपचार शामिल हैं."

शुरू में सिर्फ अमेरिकी अधिकारियों ने ही इन लक्षणों की शिकायत की थी, लेकिन बाद में क्यूबा में ही कनाडा के दूतावास के भी कुछ अधिकारियों में ऐसे लक्षण पाए गए. इसके बाद कनाडा ने भी क्यूबा में अपने दूतावास में नियुक्त अधिकारियों की संख्या को बहुत कम कर दिया था.

पिछले महीने, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को वियतनाम की राजधानी हनोई की अपनी यात्रा को तीन घंटे टाल देना पड़ा क्योंकि वहां के अमेरिकी दूतावास ने बताया था कि वहां किसी में हवाना सिंड्रोम जैसे लक्षण देखे गए हैं.

रूस पर आरोप

जुलाई में बर्न्स ने बताया था कि उन्होंने एक वरिष्ठ अधिकारी को सिंड्रोम की तफ्तीश करने वाली एक टास्क फोर्स का मुखिया नियुक्त किया है. इस अधिकारी ने कभी ओसामा बिन लादेन की तलाश करने वाले अभियान का नेतृत्व किया था.

USA Nominierung CIA-Direktor William J. Burns
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी को सिंड्रोम की तफ्तीश करने वाली एक टास्क फोर्स का मुखिया नियुक्त किया हैतस्वीर: Biden Transition/Zumapress/picture alliance

अमेरिका की नैशनल अकैडेमी ऑफ साइंसेज के एक पैनल ने पाया था कि इसके पीछे सबसे संभाव्य अनुमान यही हो सकता है कि कोई "निशाना बना कर छोड़ी हुई रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा की लहरें" ये सिंड्रोम पैदा करती हैं.

बर्न्स ने कहा है कि इसकी "बहुत मजबूत संभावना" है कि सिंड्रोम को जान बूझकर पैदा किया जा रहा है और इसके लिए रूस जिम्मेदार हो सकता है. लेकिन कुछ ही दिनों पहले क्यूबा ने इस पर एक विस्तृत वैज्ञानिक रिपोर्ट जारी करते हुए इस सिंड्रोम से जुड़े आरोपों की आलोचना की थी.

क्यूबा की अकैडेमी ऑफ साइंसेज ने यहां तक सवाल उठाए थे कि इतने विविध लक्षणों को किसी एक सिन्ड्रोम का नाम दिया भी जा सकता है या नहीं. अकैडेमी ने यह भी कहा था कि प्रस्तावित किए गए स्पष्टीकरण में कुछ तो ऐसी बातें हैं जो भौतिक विज्ञान के मूल सिद्धांतों के ही खिलाफ हैं. 

हालांकि अकैडेमी के वैज्ञानिकों ने माना था की अमेरिकी शोधकर्ताओं ने जिन सबूतों के बारे में बताया है उनमें से अधिकांश का निरीक्षण वो नहीं कर पाए हैं. 

सीके/वीके (रॉयटर्स/एपी)

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