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फिल्म

सिनेमा के रास्ते भारत के दिल तक पहुंचने की कोशिश

निखिल रंजन
१८ जुलाई २०१८

श्टुगार्ट में भारत की फिल्मों का एक मेला पिछले डेढ़ दशकों से सज रहा है और यहां कोशिश यही होती है कि बॉलीवुड के अलावा जो फिल्में बन रही उन तक भी पहुंचा जाए. इस साल का फेस्टिवल बुधवार को कुछ भीगे अल्फाज के साथ शुरू हुआ.

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Stuttgart Film Festival 2018
तस्वीर: Indian Film Festival Stuttgart

बॉलीवुड एंड बियॉन्ड नाम का फिल्म फेस्टिवल यूरोप में भारतीय फिल्मों का सबसे बड़ा मेला है और हर गुजरते साल के साथ अपनी चमक बढ़ाता जा रहा है. इस साल यहां वीरे दी वेडिंग, गाली गुलेयां, डिकोडिंग शंकर, लव एंड शुक्ला, मसाला चाय, वैकेंसी जैसी 45 फिल्में आई हैं. फेस्टिवल का फोकस तो प्यार, रिश्ता और साझेदारी है लेकिन इन फिल्मों में जीवन के हर रंग नजर आए यह कोशिश की गई है. यह साल श्टुटगार्ट और मुंबई के बीच फिल्मी सहयोग की पचासवीं सालगिरह का भी है.

Stuttgart Film Festival 2018
तस्वीर: Indian Film Festival Stuttgart

बदलते परिवेश में फिल्मों की भूमिका और फिल्मों में उठाए जा रहे मुद्दों पर समाज की जागरूकता भी फेस्टिवल के उद्देश्यों में शामिल है. फिल्मों का मकसद सिर्फ मनोरंजन नहीं है यह मेले के लिए चुनी गई फिल्मों से भी जाहिर है. इनमें एक डॉक्यूमेंट्री है द डॉक्टर फ्रॉम इंडिया वास्तव में आयुर्वेद के बारे में बताती है. एक फिल्म 26/11 के आतंकवादी हमले पर भी है. मेले में एक दिन मुंबई का रखा गया है जिसमें फेस्टिवल के विशिष्ट अतिथि ग्रसन डा कुन्हा अपने गृहनगर मुंबई के बारे में एक परिचर्चा की मेजबानी करेंगे. वैकेंसी मुंबई मेट्रो के बारे में ही एक हास्य फिल्म है जो एक बड़े गंभीर विषय की ओर लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश है.

Stuttgart Film Festival 2018
तस्वीर: Indian Film Festival Stuttgart

इसी तरह पर्दा एक ऐसी युवती की कहानी है जो एक प्रसिद्ध क्रिकेट टीम के लिए खेलती है लेकिन घर में धार्मिक मान्यताओं और पूर्वाग्रहों से लड़ती है. आयोजकों ने कोशिश की है कि कुछ मुद्दों पर फिल्म दिखाने के साथ साथ उस पर विशेषज्ञों से चर्चा भी करा ली जाए. इसी तरह शिष्या एक ऐसी महिला की कहानी है जो पैदा तो हुई जर्मनी में लेकिन उसने अपने जीवन का ज्यादातर हिस्सा अपने गुरू की सेवा करते हुए हिमालय में बसे एक गांव में बिताया.

हाल के वर्षों में शॉर्ट फिल्मों ने बड़ी तेजी से फिल्म प्रशंसकों के बीच जगह बनाई है. इन फिल्मों ने विषयवस्तु की दीवारों को भी एक तरह से ध्वस्त कर दिया है और हर विषय पर अलग अलग तरह की फिल्में बनने लगी हैं. इनमें से कुछ फिल्में यहां फेस्टिवल में भी नजर आएंगी.

Stuttgart Film Festival 2018
तस्वीर: Indian Film Festival Stuttgart

पांच दिन के आयोजन के बाद बेहतरीन फिल्मों को पुरस्कार दिए जाएंगे और इसे लेकर उत्सुकता बहुत ज्यादा है. हिंदी फिल्मों ने बीते 100 सालों में अपने चाहने वालों का दायरा दुनिया के कोने कोने तक फैला लिया है. यही वजह है कि अब जर्मनी और दूसरी कई जगहों पर भी सिर्फ भारतीय फिल्मों का मेला सजने लगा है.

निखिल रंजन