"सिगरेट से खतरनाक ई सिगरेट"
२७ नवम्बर २०१४दुनिया भर में ई सिगरेट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. खास तौर पर युवा वर्ग तेजी से इसकी तरफ खिंच रहा है. ई सिगरेट में खुशबूदार द्रव का इस्तेमाल होता है, जिसमें कई बार निकोटीन भी होता है. इससे पैदा होने वाली भाप लगभग पारंपरिक सिगरेट की तरह ही मजा देती है.
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से की गई रिसर्च में कहा गया है कि इसके भाप में फॉर्मलडिहाइड और एसिटलडीहाइड जैसे कार्सिनोजेन तत्व पाए गए हैं. फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल इमारतों के निर्माण में होता है और ई सिगरेट में इसकी मात्रा साधारण सिगरेट के मुकाबले ज्यादा पाई गई. रिसर्चर नाओकी कुनुगिता का कहना है, "एक खास ब्रांड की ई सिगरेट में रिसर्चरों ने कार्सिनोजेन की मात्रा साधारण सिगरेट के मुकाबले 10 गुना ज्यादा पाई. खास तौर पर तब, जब धुआं खींचने वाला पाइप जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है."
रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "आप इसे ई सिगरेट कहते हैं लेकिन ये साधारण तंबाकू से अलग है. सरकार इससे होने वाले संभावित खतरों के बारे में पता लगा रही है."
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
अगस्त में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सरकारों से कहा था कि उन्हें गैर वयस्कों को ई सिगरेट की बिक्री बंद कर देनी चाहिए. संगठन का कहना था कि इससे अजन्मे बच्चों और युवाओं को भारी खतरा है. डब्ल्यूएचओ का दावा है इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि इससे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और प्रजनन क्षमता वाली महिलाओं को भारी खतरा हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था का कहना है कि ई सिगरेट के इनडोर प्रयोग को भी बंद कर देना चाहिए. अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि 2011 से 2013 के बीच ई सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले युवाओं की संख्या तीनगुनी बढ़ी है.
ई सिगरेट का समर्थन करने वालों का कहना है कि यह पारंपरिक तंबाकू का सुरक्षित विकल्प है. उनका कहना है कि पारंपरिक तंबाकू से कैंसर, हृदयरोग और स्ट्रोक का खतरा होता है. लेकिन इसका विरोध करने वाले कहते हैं कि यह उपकरण सिर्फ कुछ साल पहले ही सामने आया है, लिहाजा इसके चलते लंबे वक्त में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में फिलहाल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता.
एजेए/ओएसजे (एएफपी)