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सिंधिया और तोमर के बीच बढ़ रही है दूरी

१८ जनवरी २०२१

मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी कराने में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी भूमिका रही है लेकिन ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया की बढ़ती सक्रियता से सियासी घमासान के आसार बनने लगे हैं.

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Indien Jyotiraditya Scindia
तस्वीर: imago images/Hindustan Times

ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि सिंधिया की केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दूरी खाई में बदलने लगी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का अभी हाल में ही हुआ ग्वालियर-चंबल इलाके का दौरा नई सियासी कहानी की शुरूआत तो कर ही गया है. मुरैना केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र है और यहां के दो गांव में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हुई है, सिंधिया ने इन गांव में पहुंचकर पीड़ितों का न केवल दर्द बांटा बल्कि प्रभावितों के परिवारों को अपनी तरफ से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी.

सिंधिया ने प्रभावितों के बीच पहुंचकर भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. साथ ही कहा कि वे लोगों के सुख में भले खड़े न हों लेकिन संकट के समय उनके साथ हैं.

सिंधिया के मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता तो उनके साथ नजर नहीं आया लेकिन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तमाम बड़े नेता जैसे राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, सुरेश राठखेड़ा, ओपीएस भदौरिया आदि मौजूद रहे. संगठन से जुड़े लोग और मंत्री भारत सिंह कुशवाहा जो तोमर के करीबी माने जाते हैं उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी.

सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री तोमर शराब कांड प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा को सुना. तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया का समर्थक कोई भी मंत्री नजर नहीं आया. तोमर ने कहा, "घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार टेलीफोन पर संपर्क में रहा. जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है. इस दुख की घड़ी में हम सबको दुख बांटने की जरूरत है. इस घटना से लोग सबक लेंगे कि इस प्रकार की घटना दोबारा न हो."

भाजपा सूत्रों के अनुसार सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरूआत तो उपचुनाव के दौरान ही हो चली थी और नतीजे आने के बाद यह दूरी साफ नजर आने लगी. मुरैना शराब कांड ने साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले हुआ करते थे.

एक तरफ जहां सिंधिया और तोमर के बीच दूरी बढ़ रही है तो दूसरी ओर भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की, साथ ही उन्होंने राज्य में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी सिंधिया को दिया.

राजनीतिक विश्लेषक देव श्रीमाली का मानना है कि सिंधिया की अपनी कार्यशैली है, तो वहीं भाजपा में एक व्यवस्था के तहत काम चलता है, उनका एक अपना संगठन का ढांचा है और उसके लिए नियम प्रक्रिया निर्धारित है. सिंधिया के लिए भाजपा में पूरी तरह घुल मिल पाना आसान नहीं लगता. यही कारण है कि उनके प्रवास के दौरान भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता नजर नहीं आते, सिर्फ वही लोग नजर आते हैं जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं.

रिपोर्ट: संदीप पौराणिक (आईएएनएस)

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