सिंगापुर में थाई आप्रवासियों की कठिन जिंदगी
इस समय दुनिया भर में 26 करोड़ आप्रवासी हैं जो बेहतर जिंदगी की तलाश में अपना घरबार छोड़ दूसरे देशों में गए हैं. सिंगापुर जैसे धनी देशों के लिए सस्ते मजदूर जरूरी हैं, लेकिन उनका काम खतरनाक और कम वेतन वाला है.
आप्रवासन का इतिहास
स्रीखून जियांगक्रातोक (दाएं) 1990 के दशक में सिंगापुर आने वाले पहली पीढ़ी के आप्रवासी मजदूर थे. उन्होंने अपने काम के दौरान कोई 900 तस्वीरें ली थी जो अब "वर्कमैन ऑन द मूव" प्रदर्शनी का हिस्सा हैं, पूरी गैलरी storyform.co/@speth-2/-734dab35c6bb पर देखी जा सकती है.
दहलाने वाली ऊंचाई
बैंकाक में 8 साल तक विभिन्न निर्माण स्थलों पर काम करने के बाद कंस्ट्रक्शन कंपनी ने जियांगक्रातोक को 1994 में प्रसिद्ध रिट्ज कार्लटन होटल बनाने के लिए सिंगापुर भेज दिया. विदेशी मजदूर अक्सर ऐसे दलों में संगठित होते हैं जो साइट पर खास काम करने में प्रशिक्षित होते हैं.
रहने को भीड़ भरे कैंप
दशक में विदेशी मजदूर सिंगापुर में कंटेनर कैंपों में रहते थे. एक कंटेनर में 25 लोगों को रहना पड़ता था. फोटो प्रदर्शनी को ऑनलाइन करने वाले जर्मन रिसर्चर साइमन पेथ से एक थाई मजदूर ने कहा कि कमाई ओवरटाइम से होती है, यानि 10 से 14 घंटे रोजाना काम.
जोखिम भरा काम
काम की जगह पर दुर्घटनाएं अक्सर अपरिहार्य होती है और घायलों के लिए खतरनाक नतीजों वाली. उस समय की तरह आज भी पैर टूटने का मतलब मजदूरी का अंत होता है. हालांकि मालिकों को स्वास्थ्य बीमा कराना पड़ता है लेकिन वे चोट से होने वाले खर्च वहन करने को तैयार नहीं होते.
सिंगापुर का सिटी सेंटर, 1994
1990 के दशक में सिंगापुर थाइलैंड से विदेश जाने वाले मजदूरों का पहला ठिकाना हुआ करता था. हालांकि औपचारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, 2016 तक थाई आप्रवासी मजदूरों की तादाद गिरकर 15 से 20,000 रह गई है. ज्यादातर रिहायशी कैंप राष्ट्रीयता के आधार पर बने हैं.
किसने बनाया आधुनिक शहर
एक थाई मजदूर ने अपना अनुभव यूं बताया, "सिंगापुर जाने वालों को सैनिकों की तरह प्रशिक्षण दिया जाता...यदि ये सोने का समय नहीं है तो तुम नहीं सोओगे." जियांगक्रातोक के 1994 के अनुभवों के बाद से सिंगापुर के स्काईला में जो बदलाव आया है वह लाखों विदेशी सस्ते मजदूरों की देन है.
घर से दूर
आप्रवासी मजदूरों के रहने का इलाका सिंगापुर के औद्योगिक पश्चिमी इलाके में स्थित है. तुआस व्यू 16,800 बिस्तरों के साथ विदेशी मजदूरों की सबसे बड़ी डोरमिट्री है. यहां एक छोटा बाजार, एक बीयर गार्डन, 250 सीटों वाला सिनेमा और इलाज की सुविधाएं हैं.
जिंदगी से बाहर
सिंगापुर के विदेशी मजदूरों के डोरमिट्री शहर के बाहरी गैर रिहायशी इलाकों में स्थित हैं. यहां से सिटी सेंटर जाने में तीन घंटे तक का समय लगता है. सिंगापुर जाना भी थाई लोगों के लिए सस्ता नहीं. एजेंट 2000 डॉलर मांगते हैं. देहाती थाई परिवारों की औसत मासिक आय 254 डॉलर है.
रिसेप्शन कैंप
1973 में बना गोल्डन माइल कॉम्प्लेक्स सिंगापुर आने वाले थाई लोगों के लिए पहला ठिकाना तो है ही, ये एक तरह से उनका अड्डा भी है. यहां का थाई सुपर मार्केट और रेस्तरां तथा बार सहित करीब 400 दुकानें सिंगापुर में रहने वाले थाई लोगों को आकर्षित करती हैं.
कारोबार का ध्यान
गोल्डन माइल कॉम्प्लेक्स में थाई लेबर ऑफिस हैं जहां थाई मजदूर अपनी निजी और प्रशासनिक समस्याओं को लेकर जा सकते हैं. सिंगापुर में मजदूरों को राष्ट्रीयता के हिसाब से वेतन मिलता है. रिसर्चर पेथ के अनुसार थाई मजदूरों को 17 डॉलर, भारतीयों को 14 डॉलर और म्यामांर के लोगों को 12 डॉलर मिलते हैं.
कमाने की जगह
"मैं सिंगापुर में करीब 22 साल रहा, लेकिन थाइलैंड अभी भी मेरा घर है. सिंगापुर कमाने की जगह है, लेकिन यहां थाइलैंड में मैं खुश हूं." सिंगापुर की आप्रवासन नीति भी नागरिकों और आप्रवासियों को घुलने मिलने से बचने की है. रिसर्चर विदेशी मजदूरों की स्थिति को "स्थायी रूप से अस्थिर" बताते हैं.
घर वापसी
सिंगापुर में तीन साल तक फोरमैन के रूप में काम करने के बाद फोटोग्राफर स्रीखून जियांगक्रातोक 1993 में अपने गांव वापस लौट गए. अपने काम के दौरान तस्वीरें खींचने के बारे में उन्होंने जर्मन रिसर्चर पेथ को बताया, "मैं लोगों को दिखाना चाहता था कि विदेश में काम करना कैसा है. ये मुश्किल है."