साल्सबुर्ग फेस्टिवल के 100 साल
साल्सबुर्ग फेस्टिवल दुनिया में ऑपेरा, संगीत और थिएटर के सबसे महत्वपूर्ण महोत्सवों में एक है. अब 100 साल का हो चुके इस महोत्सव का जन्म मुश्किल परिस्थितियों में हुआ था.
'एवरीमैन' - पहली पसंद नहीं था ये नाटक
पहले साल्सबुर्ग महोत्सव के लिए मूल रूप से निर्धारित किया गया नाटक अधूरा था. प्रदर्शन का समय नजदीक आता जा रहा था, लेकिन लकड़ी की कमी के कारण मंच नहीं बनाया जा सका. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद हालात बहुत अच्छे नहीं थे. एक दूसरे नाटक और एक अन्य मंच के साथ एक परंपरा की शुरुआत हुई. बिशप ने 22 अगस्त 1920 को साल्सबुर्ग कैथीड्रल की सीढ़ियों पर हूगो फॉन हॉफमन्सटाल के नाटक "एवरीमैन" के शो के लिए हामी भरी थी.
एक रोमांचक रचना
निर्देशक माक्स राइनहार्ट की "एवरीमैन" नाटक की निजी कॉपी. टिप्पणियां नाटक के साथ उनके लंबे जुड़ाव को दिखाती है. उन्होंने 1911 में बर्लिन में इस नाटक के प्रीमियर के लिए काली स्याही में नोट लिखे थे, साल्सबुर्ग में 1920 के प्रदर्शन के लिए नीली स्याही में और बाद में न्यूयॉर्क में होने वाली प्रस्तुति के लिए लैवेंडर में. कहानी एक अमीर व्यक्ति के बारे में है जिसका सामना अचानक अपनी खुद की मौत से होता है.
1925 के थिएटर का मॉडल
शुरू में एक पुराने घुड़सवारी स्कूल के अहाते ने महोत्सव के अस्थायी थिएटर की भूमिका निभाई. अब इसे "लिटिल फेस्टस्पीलहाउस" या "हाउस ऑफ मोजार्ट" कहा जाता है. महोत्सव का मौजूदा केंद्र 1960 में खोला गया और इसके निर्माण ने दिखाया कि साल्सबुर्ग अपने शाब्दिक अर्थ के अनुरूप आल्प्स के किनारे बसा है. विशाल मंच के लिए जगह बनाने के लिए ग्रेनाइट के 55,000 घनमीटर हिस्से को नष्ट करना पड़ा.
माक्स राइनहार्ट
हूगो फॉन हॉफमन्सटाल और रिचर्ड स्ट्राउस के साथ प्रसिद्ध मंच निदेशक राइनहार्ट (यहां 1933 में गोएथे के "फाउस्ट" की रिहर्सल के मौके पर) साल्सबुर्ग महोत्सव के संस्थापकों में शामिल थे. साल्सबुर्ग के पास लियोपोल्ड्सक्रोन पैलेस में राइनहार्ट के घर पर दुनिया भर के अभिजात वर्ग की बैठकी होती थी. जैसे ही समाज में यहूदी विरोधी भावना बढ़ने लगी, राइनहार्ट अमेरिका चले गए और 1943 में वहीं उनकी मृत्यु हो गई.
ऑर्टूरो टोस्कानिनी ने किया किनारा
जब मार्च 1938 में नाजी जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर कब्जा कर लिया, तो इटली के प्रसिद्ध संगीतकार टोस्कानिनी ने अपना अनुबंध रद्द कर दिया. अधिकारियों ने उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मनाया तो इस टेलिग्राम में उनका संदेश स्पष्ट था, "मैं काफी हैरान हूं कि पहले तार में मेरे जवाब की अंतिमता को नहीं समझा गया." जल्द ही बाकी जर्मनी की ही तरह साल्सबुर्ग में भी कला को प्रोपेगैंडा की सेवा में लगा दिया गया.
युद्ध के बाद भी राहत नहीं
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में विजयी अमेरिकी सेना ने 12 अगस्त 1945 को साल्सबुर्ग महोत्सव को फिर से शुरू करने की योजना बनाई. उस साल मुख्य रूप से सैनिकों और उनके परिवार के लोगों ने महोत्सव में भाग लिया, कलाकारों की तादाद कम थी. नाजियों के साथ रिश्तों के कारण, संगीतकार विल्हेम फुर्टवेंगलर, क्लेमेंस क्राउस, कार्ल बोएम और हरबर्ट फॉन कारायान को कुछ साल तक अपने पेशे में काम करने की अनुमति नहीं थी.
सोने के सिक्के और सिगरेट
1950 का दशक शुरू होने से पहले ही महोत्सव का आयोजन सामान्य हो चला था. अब बिजली की लोड शेडिंग नहीं होती थी, इसलिए थिएटर और ऑपेरा के प्रदर्शन हो सकते थे. रईस थिएटर प्रेमी यादगार के तौर पर साल्सबुर्ग के सोने के सिक्के खरीदते, तो "सामान्य आदमी" साल्सबुर्ग सिगरेट का पैकेट. कार्यक्रम में मोजार्ट मैटिनी, मोजार्ट और स्ट्राउस के ऑपेरा के अलावा 1949 में कार्ल ऑर्फ के एक ऑपेरा का वर्ल्ड प्रीमियर शामिल था.
कारायान काल
हरबर्ट फॉन कारायान 1957 में महोत्सव के कलात्मक निर्देशक बने. अगले तीन दशकों में कई शानदार ऑपेरा प्रस्तुतियों में, ज्यादातर मंच कारायान के पसंदीदा सेट डिजाइनर, गुंटर श्नाइडर-सीमसेन द्वारा बनाए गए थे. उन्होंने मुसोर्गस्की के ऑपेरा "बोरिस गोडुनोव" के 1965 के मंचन के लिए यह सेट डिजाइन किया था. लाइट के हल्के प्रोजेक्शन की मदद लेने के कारण उनके इस स्टाइल को "लाइट पेंटिंग" कहा जाता था.
आसमान में नया सितारा
हरबर्ट फॉन कारायान जब 13 वर्षीया वायलिनवादक आने-सोफी मुटर से मिले तो उसकी प्रतिभा से ऐसे मोहित हुए कि प्रदर्शन के लिए साल्बुसर्ग बुला लिया. कारायान ने गायिका आग्नेस बाल्त्सा, कंडक्टरों मॉरिस यानसन्स, सेइजी ओजावा और रिकार्डो मुटी और कुछ दूसरे कलाकारों को भी बुलाया, जो साल्सबुर्ग में प्रदर्शन के बाद दुनिया भर में विख्यात हुए. तस्वीर में साल्सबुर्ग महोत्सव में आने-सोफी मुटर के प्रीमियर की एक रिपोर्ट.
कार्ल लागरफेल्ड का कॉस्ट्यूम
फैशन डिजाइनर कार्ल लेगरफेल्ड ने भी साल्सबुर्ग महोत्सव में योगदान दिया है. उन्होंने 1991 में हूगो फॉन हॉफमन्सटाल के नाटक "द डिफिकल्ट जेंटलमैन" के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किया था. इसका निर्देशन युर्गेन फ्लिम ने किया था और एरिष वंडर ने आर्ट डाइरेक्शन किया था. लोगों को ये बहुत पसंद आया था लेकिन कुछ लोगों ने साल्सबुर्ग महोत्सव की आलोचना करते हुए इसे "सरकारी सब्सिडी वाला फैशन शो" बताया था.
नई कलात्मक राहें
डायरेक्टर हंस नॉएनफेल्स ने योहान स्ट्राउस के ऑपेरेटा "डी फ्लेडरमाउस" की एकदम नई व्याख्या की थी. ये जेरार्ड मोर्टियर्स (1991-2001) के युग की पहचान थी, जिन्हें करायान की मौत के बाद महोत्सव का डायरेक्टर बनाया गया था. ये शीतयुद्ध के बाद के साल थे. वे साल्सबुर्ग कला प्रतिष्ठान और धुर दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी, दोनों के खिलाफ खुलकर बोले. फ्रीडम पार्टी उन दिनों ऑस्ट्रिया सरकार में गठबंधन में शामिल थी.
अभिनय की बेशुमार ऊंचाइयां
मोर्टियर के बाद महोत्सव के प्रमुख बने पेटर रुत्सिका ने 2006 में मोजार्ट के सभी 22 ओपेरा को कैलेंडर पर रखा. उनके बाद युर्गेन फ्लिम, अलेक्जांडर परेरा और मौजूदा डाइरेक्टर मार्कुस हिंटरहॉयजर ने कमान संभाली. साल्सबुर्ग फेस्टिवल खुद को लगातार बेहतर बना रहा है, लेकिन एक चीज हमेशा समान रहती है: "एवरीमैन" (यहां 2013 का शो) का प्रदर्शन. इसी के साथ 100 साल पहले महोत्सव की शुरुआत हुई थी.
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