सागर के गर्म होने से आती आपदा
जलवायु परिवर्तन से समुद्र तेजी से गर्म होते जा रहे हैं. इनका सिर्फ समुद्री जीवन पर ही बुरा प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि इसका मतलब भविष्य में मौसम में और तेज परिवर्तन, समुद्री तूफान का आना और जंगलों में आग लगना होगा.
दक्षिणी ध्रुव पर कैलिफोर्निया
अंटार्कटिका पर तैनात वैज्ञानिकों ने वहां का तापमान मापा तो लॉस एंजेलेस के बराबर निकला. फरवरी में रिकॉर्ड 18.3 डिग्री तापमान और वह भी उत्तरी अंटार्कटिक में अर्जेंटीना के रिसर्च स्टेशन पर. नासा के अनुसार यह वहां अब तक का सबसे ज्यादा तापमान था.
नियमित रूप से आता तूफान
समुद्रों के गर्म होने से ट्रॉपिकल तूफानों की तादाद बढ़ रही है. हरिकेन या टायफून का सीजन लंबा होने लगेगा और खासकर उत्तरी अटलांटिक और पूर्वोत्तर प्रशांत में उनकी संख्या भी बढ़ेगी. मौसम बदलने का असर भविष्य में भारी नुकसान पहुंचाने वाले तूफान के रूप में सामने आएगा.
समुद्र का बढ़ता जलस्तर
धरती के वातावरण में तापमान बढ़ता है तो सागर भी गर्म होने लगते हैं. इसका नतीजा पानी के बढ़ने के रूप में दिखता है. पानी बढ़ेगा तो समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और बाढ़ आएगी या समुद्र तट पर स्थित इलाके डूबने लगेंगे.
गर्म मौसम का मतलब जंगल में आग
पानी की सतह के गर्म होने से उसका वाष्पीकरण होगा और बरसात के बाद बाढ़ आएगी. कुछ इलाके डूब जाएंगे तो दूसरे इलाकों में सूखा पड़ेगा. नतीजा होगा फसल का न होना या जगलों में आग लगने से उसका नष्ट होना. भविष्य में आग का मौसम लंबा खिंचेगा और जंगलों पर खतरा लंबे समय तक बना रहेगा.
इकोसिस्टम में बदलाव
गर्म सागर का मतलब होगा समुद्री जीव अपने पुराने घरों से भागने लगेंगे और आखिर में सारा समुद्रूी जलजीवन ठंडे इलाकों में चला जाएगा. मछलियां और समुद्री जानवर समतल से ध्रुवीय इलाकों की ओर चले जाएंगे. उत्तरी सागर में तो मछली का भंडार पहले से ही सिकुड़ने लगा है.
समुद्रों का अम्लीकरण
गर्मी की वजह से कार्बन डाय ऑक्साइड पानी में घुल जाता है, समुद्री पानी का पीएच वैल्यू बढ़ जाता है और पानी का अम्लीकरण हो जाता है. पानी में अम्ल की मात्रा बढ़ने से स्टारफिश, शीप, कोरल और झींगों का बढ़ना रुक जाता है. नतीजा ये होगा कि उनका अस्तित्व मिट जाएगा.
चारे की कमी
कार्बन डाय ऑक्साइड के समुद्री पानी में घुलने से पीएच वेल्यू घटेगी तो छोटे अल्गी आयरन को सोख नहीं पाते. अल्गी यदि आइरन को नहीं सोखेंगे तो उनका विकास नहीं होगा और समुद्री जीवों को चारा नहीं मिलेगा. इस तरह वे भी पानी के अम्लीकरण से प्रभावित होंगे.
ऑक्सीजन की कमी
गर्म पानी कम ऑक्सीजन का संग्रह करते हैं. इस तरह गर्म होते समुद्र का मतलब ये भी है कि ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा वाले इलाके कम होते जाएंगे. बहुत सी नदियों, झीलों और तालाबों में अभी ही कम ऑक्सीजन वाले मौत के कुएं मौजूद हैं. यहां कम ऑक्सीजन के कारण जीवों का रहना मुश्किल है.
अल्गी का बढ़ना
गर्म और कम ऑक्सीजन वाले पानी में जहरीले अल्गी तेजी से बढ़ते हैं. उनका जहर मछलियों और दूसरे समुद्री जीवों को मार डालता है. पानी पर अल्गी या शैवाल के कालीन बहुत सारी जगहों पर मछली उद्योग को नुकसान पहुंचा रहे हैं. यहीं चिली के तट की एक तस्वीर.
सफेद कोरल का कंकाल
पानी के गर्म होने से समुद्री कोरल का सिर्फ रंग ही खत्म नहीं होता बल्कि ब्लीचिंग की वजह से बढ़ने की उसकी क्षमता भी खत्म हो जाती है. कोरल रीफ मरने लगते हैं और समुद्री जीवों को न तो सुरक्षा दे पाते हैं और न ही खाना. समुद्री जीवों के शिकार करने की जगह भी खत्म हो जाती है.
बदलती समुद्री लहरें
यदि समुद्र के गर्म होने से उत्तरी अटलांटिक लहर की धारा बाधित होती है तो इसका मतलब पश्चिमी और उत्तरी यूरोप में शीतलहर होगा. यही लहर समुद्री पानी के प्रवाह को निर्धारित करती है और इसी से सतह का घना पानी घूमकर गहरे ठंडे इलाके की ओर जाता है.