साइप्रस में सबसे कम बच्चे पैदा होते हैं
दुनिया के कई देशों में बच्चा न चाहने के चलते जनसंख्या स्तर गड़बड़ाने लगा है. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) की रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही आंकड़े पेश किए गए हैं.
असामान्य बढ़ोतरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में जनसंख्या का स्तर असमान रूप से बढ़ा है. 1950 में दुनिया में कुल आबादी जहां 2.6 अरब थी वहीं 2017 तक यह बढ़कर 7.6 अरब हो गई. जनसंख्या वृद्धि के असमान स्तर में आय और इलाके के हालात की भी बड़ी भूमिका होती है.
यूरोप और अमेरिकी देश
यूरोप समेत उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के तकरीबन 91 देशों में लोग बच्चा पैदा करने को तरजीह नहीं दे रहे हैं. जन्मदर इतनी भी नहीं है कि देश की जनसंख्या के मौजूदा स्तर को बनाए रखा जा सके. वहीं एशिया और अफ्रीका में जन्मदर लगातार बढ़ रही है.
एक महिला, सात बच्चे
अफ्रीकी देश नाइजर में एक महिला औसतन सात बच्चों को जन्म देती है. आईएचएमई के प्रोफेसर अली मोकदाद कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ोतरी में एक अहम कारण है साक्षरता. अगर महिला पढ़ाई-लिखाई में अधिक समय बिताती है, तो देर से गर्भधारण करती है.
सबसे कम बच्चे
स्टडी के नतीजे कहते हैं कि यूरोपीय देश साइप्रस में दुनिया के सबसे कम बच्चे पैदा होते हैं. यहां एक महिला औसतन एक बच्चे को ही जन्म देती है. वहीं माली, अफगानिस्तान, चाड जैसे देशों में एक महिला औसतन छह बच्चे पैदा करती है.
धरती पर बोझ
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 21वीं शताब्दी के मध्य तक दुनिया की आबादी बढ़कर 10 अरब हो जाएगी. ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि धरती कितने लोगों का बोझ उठा सकेगी. विशेषज्ञ मानते हैं विकासशील देशों में आबादी बढ़ती जा रही है, वहीं उनकी अर्थव्यवस्थाएं भी बढ़ रही हैं.
बढ़ती जीवन प्रत्याशा
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जैसे-जैसे देशों की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी, जन्मदर में गिरावट आएगी. साइंस पत्रिका लैसेंट में छपी एक स्टडी के मुताबिक साल 1948 में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा दर 48 तो महिलाओं में 53 थी, जो अब बढ़कर पुरुषों में 71 और महिलाओं में 76 हो गई है.
मौत का कारण
आईएचएमई की स्टडी के मुताबिक दुनिया में दिल की बीमारियों के चलते सबसे अधिक मौतें होती हैं. उज्बेकिस्तान, यूक्रेन और अजरबाइजान जैसे देशों में दिल की बीमारियों के चलते सबसे अधिक मौतें होती हैं, वहीं दक्षिण कोरिया, जापान और फ्रांस में यह आंकड़ा सबसे कम है. रिपोर्ट: अपूर्वा अग्रवाल (एएफपी)