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सर्बिया में अल्ट्रा राष्ट्रवादी की जीत

महेश झा२१ जनवरी २००८

सर्बिया में राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में अल्ट्रा राष्ट्रवादी तोमीस्लाव निकोलिच की जीत के बाद यूरोपीय संघ ने एक बार फिर सर्बिया के साथ संबंधों के निकट होने की उम्मीद जताई है.

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निकोलिच और तादिच
निकोलिच और तादिचतस्वीर: picture-alliance/ dpa

सर्बियाई राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम अपेक्षा के विपरीत ज़रूर रहे हों, एक्जिट पोल के अनुरूप थे. अल्ट्रा राष्ट्रवादी निकोलिच को लगभग 39.6 प्रतिशत और लोकतांत्रिक धड़े के वर्तमान राष्ट्रपति बोरिस तादिच को 35.4 प्रतिशत.

पश्चिमी देशों को इससे अलग नतीज़े की कामना थी. तादिच के नम्बर एक रहने की. अब सारी उम्मीदें चुनाव के अगले चरण पर हैं जिसमें इन दोनों उम्मीदवारों के बीच सीधा फ़ैसला होगा. पश्चिमी देशों ने तादिच को खुला समर्थन दिया था और चुनाव परिणामों पर अपनी नाराज़गी या निराशा दिखाकर वे राष्ट्रवादी धड़े को और मजबूत नहीं करना चाहते.

तादिच ने दूसरे चरण में अपनी जीत का भरोसा दिलाते हुए कहा है कि पिछले चुनावों की तरह वे निकोलिच को पीछे छोड़ जीत पाएंगे. लेकिन उनकी जीत के लिए ज़रूरी होगा कि दूसरे चरण में नहीं पहुँचे उम्मीदवारों के समर्थक उन्हें अपना मत दें. ऐसे मतों की संख्या लगभग 25 प्रतिशत है जो किसी भी उम्मीदवार का पलड़ा भारी कर सकते हैं.

कोसोवो द्वारा स्वतंत्रता प्रयासों को तेज़ किए जाने के बीच हुए चुनाव में 61 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया जो 2000 में स्लोबोदान मिलोशेविच को हटाए जाने के बाद सबसे बड़ी भागीदारी है. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्टिन येगर का कहना है कि यह भागीदारी लोकतंत्र और भावी राजनीतिक संरचना को सक्रिय रूप से ढ़ालने की लोगों की इच्छा को दिखाता है.

यूरोपीय संघ के साथ निकटता को संदेह कि निगाहों से देखने वाले नैटो विरोधी निकोलिच की जीत को यूरोपीय संघ की कोसोवो नीति से लोगों के असंतोष की अभिव्यक्ति माना जा रहा है. हालांकि यूरोपीय संघ के विदेशनैतिक दूत ख़ावियर सोलाना ने कहा है कि यूरोपीय संघ की सर्बिया के निकट आने की उम्मीद बनी हुई है.

3 फरवरी को अगले चरण के चुनाव से पहले यूरोपीय संघ के विदेशमंत्री सर्बिया के साथ स्थिरता और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर के लिए तैयार नहीं होंगे क्योंकि नीदरलैंड संधि से पहले युद्ध अपराध के अभियुक्त पूर्व जनरल रातको म्‍लादिच को संयुक्त राष्ट्र ट्रिब्यूनल को सौंपे जाने की मांग कर रहा है.

जर्मन संसद में दक्षिण पूर्व यूरोप ग्रुप के उपाध्यक्ष सत्ताधारी सीडीयू के सांसद पीटर वाइस चेतावनी देते हैं कि यदि सर्ब मतदाता रूस के साथ चिपके रहते हैं तो इसके समस्याजनक राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक नतीज़े होंगे.

प्रधानमंत्री वोइस्लाव कोस्तुनित्सा तादिच का पलड़ा भारी करने में योगदान दे सकते हैं. उनका उम्मीदवार दूसरे चक्र में नहीं पहुँच पाया है. इस सप्ताह कोस्तुनिस्ता और तादिच के बीच समझौता हो सकता है