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फिल्म

सरोज खान: बाल कलाकार से लेकर 'मास्टरजी' तक

चारु कार्तिकेय
३ जुलाई २०२०

हिंदी सिनेमा की पहली महिला नृत्य-निर्देशिका सरोज खान का शुक्रवार सुबह मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वे 71 वर्ष की थीं. खान पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं और मुंबई के गुरु नानक अस्पताल में भर्ती थीं.

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Indien Bollywood Choreografin Saroj Khan
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

हिंदी फिल्म जगत में उनके योगदान के लिए उनका नाम पहले से ही बॉलीवुड के दिग्गजों में शुमार है. 1948 में जन्मी खान ने हिंदी फिल्मों में बतौर बाल कलाकार 1950 के दशक में कदम रखा और अगले सात दशकों तक वे न सिर्फ फिल्मों से जुड़ी रहीं, बल्कि अपने नृत्य-कौशल के जरिए एक ऐसा मकाम बनाया जहां तक कोई भी दूसरा नृत्य-निर्देशक कभी नहीं पहुंच सका.

वैजयंती माला से लेकर श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित तक, और फिर करीना कपूर से लेकर अदिति राव हैदरी तक, खान ने बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियों की लगभग चार पीढ़ियों के साथ काम किया. सबसे बेहतरीन नृत्य-निर्देशन के लिए कई बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने के अलावा, वे तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र नृत्य-निर्देशक भी बनीं. उन्हें पूरे फिल्म जगत में लोग प्यार और आदर से 'मास्टरजी' कह कर बुलाते थे और फिल्मी दुनिया में इतनी लंबी पारी खेलने की वजह से उन्हें फिल्म जगत की जीती-जागती लाइब्रेरी भी माना जाता था.

जन्म के बाद उनके माता-पिता ने उन्हें निर्मला नाम दिया था, लेकिन फिल्म उद्योग में कदम रखने के लिए उनका नाम बदल कर सरोज कर दिया गया. फिल्म इतिहासकारों के अनुसार, उन्होंने अपने तीसरे जन्मदिन के आस पास बॉलीवुड में कदम रखा, 1950 के दशक की मशहूर अदाकारा श्यामा के परदे पर बाल रूप में. बाल कलाकार से वे पार्श्व डांसर बनीं और कई मशहूर फिल्मों का हिस्सा बनीं. उन पर बनी डॉक्यूमेंटरी  "द सरोज खान स्टोरी" में उन्होंने खुद बताया कि 1958 में बिमल रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म "मधुमती" के एक गीत में वे अभिनेत्री वैजयंती माला के पीछे पार्श्व डांसरों की टोली में थीं.

Indien Schauspielerin Sridevi
माधुरी दीक्षित से भी पहले 1987 की फिल्म "मिस्टर इंडिया" के जिस लोकप्रिय गीत "हवा-हवाई" में डांस के लिए श्रीदेवी को सराहा गया, उसका नृत्य-निर्देशन भी सरोज खान ने ही किया था.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Cheung

1958 की ही फिल्म हावड़ा ब्रिज के यादगार गीत "आइए मेहरबां" में उन्हें पार्श्व डांसर के रूप में देखा जा सकता है. इसके बाद वे उस समय के जाने माने नृत्य-निर्देशक सोहनलाल की सहायक बन गईं और फिर धीरे धीरे खुद नृत्य-निर्देशिका भी बन गईं. बताया जाता है कि उन्होंने अपने करियर में 2000 से भी ज्यादा गीतों का नृत्य-निर्देशन दिया. उनकी आखिर फिल्म 2019 में परदे पर आई "कलंक" थी. 71 वर्ष की उम्र में भी वे सक्रिय थीं.

उनके देहांत पर फिल्म जगत की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. माधुरी दीक्षित ने ट्विट्टर पर लिखा, "मैं अपनी दोस्त और गुरु सरोज खान के निधन से बेहद दुखी महसूस कर रहीं हूं. उन्होंने जिस तरह से मुझे नृत्य में मेरे पूरे सामर्थ्य को हासिल करने में मदद की, उसके लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी".

माधुरी ने 1988 की सुपरहिट फिल्म "तेजाब" के लोकप्रिय गीत "एक, दो, तीन" में जिस डांस से फिल्म जगत में पहली बार अपना सिक्का जमाया था, उसका नृत्य-निर्देशन सरोज खान ने ही किया था. 1992 की सुपरहिट फिल्म "बेटा" के जिस गीत "धक-धक करने लगा" में उनके डांस के लिए माधुरी को आज भी "धक-धक गर्ल" कहा जाता है, उसका नृत्य-निर्देशन भी सरोज खान ने ही किया था. "कलंक" के लिए नृत्य-निर्देशित किया हुआ उनका आखिरी गीत "तबाह हो गए" भी माधुरी पर ही फिल्माया गया था.

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