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सपेरों को सांप पकड़ने की ट्रेनिंग

४ नवम्बर २०१०

केरल में आजकल सपेरों की पूछ बढ़ रही है. दरअसल गांव ही नहीं, शहरों में भी निकलने वाले सांपों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है. इसीलिए उन्हें पड़कने के लिए सपेरों को खास ट्रेनिंग देने की तैयारी हो रही है.

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तस्वीर: San Diego Shooter/nc/nd

वैसे तो सदियों से सपेरे सांप और उनकी नब्ज को बखूबी पहचानते रहे हैं लेकिन अब केरल का वन विभाग उन्हें वैज्ञानिक तरीके से सांप पड़कना सिखाएगा. इसके लिए एक खास योजना तैयार की जा रही है जिसके तहत आसपास के राज्यों से वन और पशु विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा जो सपेरों को सांप पकड़ने के लिए वैज्ञानिक तरीके सिखाएंगे.

Klapperschlange
तस्वीर: AP

बेशक इस काम में सपेरों को अपनी पारंपरिक दक्षता से तो मदद मिलेगी ही, लेकिन सांपों के बारे में उनकी जानकारी का दायरा भी व्यापक होगा. लेकिन बदले में वन्यजीव विशेषज्ञों को भी वे काफी कुछ सिखा सकते हैं. दरअसल सपेरों के पास जहरीले सांपों को पकड़ने के अपने तौर तरीके होते हैं जिसका इस्तेमाल प्रशिक्षक अपनी वर्कशॉप में भी करेंगे. वैसे वन विभाग के अधिकारी भी कई बार नागों को पकड़ने के लिए सपेरों की मदद लेते हैं.

वावा सुरेश केरल के सबसे जाने माने सपेरों में से एक हैं. उन्होंने पिछले कई सालों में बहुत से सांप पकड़े हैं. लेकिन वह सांपों को पकड़ने के बाद उन्हें स्थानीय चिड़ियाघरों को सौंप देते हैं. सपेरों के खतरनाक काम को देखते हुए वन विभाग ने उन्हें उच्च दक्षता वाले श्रमिकों की श्रेणी में रखा है. बताया जाता है कि सपेरों को सरकार स्नेक पार्कों में नौकरी भी दे सकती है.

BdT, Albino Schlange
तस्वीर: AP

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में पर्यावरण में आए बदलावों की वजह से सापों की कई प्रजातियों को परेशानियां आ रही हैं जिससे वे लोगों के घरों में घुस आते हैं. शेषनाग जैसी प्रजातियां भी इस समस्या से जूझ रही हैं. केरल में बड़े पैमाने पर निर्माण और वनों के कटने से सांपों के प्राकृतिक आवास घट रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए कुमार

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