1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सनी लियोनी, कंडोम या अनजान सोच?

Bhatia Isha Kommentarbild App
ईशा भाटिया सानन
३ सितम्बर २०१५

मोबाइल फोन और चाउमीन के बाद अब बलात्कार की एक नई वजह बताई गयी है, कंडोम के विज्ञापन. इस बयान के साथ अतुल अनजान ने अपना नाम बलात्कार पर अजीब दलीलें देने वाले नेताओं की सूची में शामिल करा लिया है, कहना है ईशा भाटिया का.

https://p.dw.com/p/1GQTF
Sunny Leone
तस्वीर: AP

अतुल अनजान के सनी लियोनी वाले कंडोम एड पर टिप्पणी करने से और कुछ हुआ हो या ना हो, कंडोम कंपनी को फायदा जरूर हो गया है. जिसने विज्ञापन नहीं भी देखा था, वो भी जानना चाह रहा है कि आखिर एड में ऐसा है क्या. और फिर जिज्ञासा हो भी क्यों ना, अनजान साहब ने अनजाने में ही इतनी विस्तृत छवि जो बना दी, "वो लेटी हुई है, बाल ऊपर, एक आदमी आ रहा है.."

शायद विज्ञापन देख चुके लोगों ने भी कभी इतना ध्यान नहीं दिया होगा क्योंकि अक्सर टीवी परिवार समेत देखा जाता है और जैसे ही कंडोम का एड आता है, तो या तो चैनल बदल दिया जाता है, या कोई पानी पीने चला जाता है और कोई चाय नाश्ता लाने.

Manthan in Lindau
ईशा भाटियातस्वीर: DW

अतुल अनजान इस बात से तो बिलकुल अनजान थे कि उनके पूरे भाषण में से डेढ़ मिनट का वीडियो निकाल कर उस पर बवाल कर दिया जाएगा. वैसे वो कुछ और भी बातों से अनजान दिखे. जैसे वो कनाडा में पैदा हुई और अमेरिका में पली बढ़ी सनी को कभी ऑस्ट्रेलिया, तो कभी यूरोप का बताते हैं, वैसे ही कंडोम के विज्ञापन को ही बलात्कार के लिए जिम्मेदार बता बैठे. उन्हीं के शब्दों में, "अगर कंडोम के इस तरह के प्रचार देश के टेलीविजन और अखबारों पर चलेंगे, तो रेप की घटनाएं बढ़ेंगी." अब वे माफी मांग कर यह साफ कर चुके हैं कि उनकी समस्या कंडोम नहीं, बल्कि विज्ञापन का स्टाइल है. यहां सवाल यह उठता है कि क्या अधनंगी लड़कियां सिर्फ कंडोम के ही एड में देखने को मिलती हैं?

मैं अतुल अनजान की इस बात से सहमत हूं कि महिलाओं के जिस्म को वस्तु बना कर बेचना ठीक नहीं. काश कि अपनी बात समझाने के लिए उन्होंने बेहतर शब्द चुने होते! काश कि इस मामले को सनी लियोनी तक सीमित ना कर वे विज्ञापन उद्योग पर एक चर्चा शुरू करते! और तब यकीनन सभी नारीवादी उनके पक्ष में खड़ी होतीं. लेकिन वे तो भाषण सुनने आए लोगों का दिल रिझाने के लिए उनसे यह कहने लगे कि यह विज्ञापन ही कामुकता बढ़ाता है और इसे देख कर आपका बलात्कार करने का मन करने लगेगा.

अतुल अनजान और उनके जैसे हजारों लाखों लोगों की यह सोच ही हमारे समाज की असली समस्या है. आप कुछ भी कर के बलात्कार को सही नहीं ठहरा सकते. कभी मोबाइल फोन, कभी चाउमीन तो कभी विज्ञापन को इसकी जिम्मेदारी नहीं दे सकते. जिन "नौजवानों" को अतुल अनजान विज्ञापन के असर के बारे में समझा रहे थे, उन्हीं नौजवानों को यह बात समझनी होगी और अनजान जैसों को समझानी भी होगी.

ब्लॉग: ईशा भाटिया