सदमे में नेपाल
दो हफ्तों में दो बार जमीन के बुरी तरह थर्राने से नेपाल के लोग सदमे में हैं. सवाल यह है कि कहां से हो दोबारा शुरुआत.
घर के भीतर सुरक्षित नहीं
काठमांडू के पूर्व में आए 7.3 तीव्रता वाले भूकंप ने एक बार फिर लोगों के दिलों में दहशत भर दी. झटकों को भारत और चीन तक महसूस किया गया. झटकों के डर से कई लोग घरों में वापस जाने से घबरा रहे हैं और बाहर ही टेंट में रह रहे हैं.
खतरनाक झटका
पिछले भूकंप से कमजोर पड़ चुकी इमारतों को इस बार आए झटकों ने गिरा दिया. अभी नेपाल समझ भी नहीं पाया था कि घरों और ऐतिहासिक इमारतों को हुए नुकसान से कैसे निपटा जाए कि दूसरी बार आए भूकंप ने दोबारा हिम्मत तोड़ दी.
कामचलाऊ छत
डरे सहमे लोग इर्द गिर्द फैले मलबे से दूर मैदानों में टेंट लगाकर रह रहे हैं. जो कुछ वापसी की हिम्मत कर लौटे भी थे, दूसरे भूकंप के बाद दोबारा टेंटों में चले गए हैं.
पहले सा एहसास
25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद से ज्यादातर प्रभावित लोग मैदानों में रह रहे हैं. दूसरी बार भूकंप आने पर उन्हें सबकुछ पहली की तरह दोहराता सा महसूस हुआ.
ईंटों के नीचे
दूसरे भूकंप में नेपाल में कम से कम 125 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर है. लेकिन यह संख्या बढ़ने की संभावना है. इस तस्वीर में नेपाली सेना के जवान काठमांडू के एक घर में मलबे के नीचे से एक लड़के को निकालने की कोशिश कर रहे हैं.
जीवन रक्षक
भूकंप से बुरी तरह प्रभावित हुए प्राचीन शहर भक्तपुर में लोग साफ पानी के लिए लाइन लगाए खड़े हैं. किसी भी आपदा के बाद साफ पानी का ना मिलना सबसे बड़ी समस्या बन जाता है.
पड़ोसी देशों तक
भूकंप के झटकों को भारत, तिब्बत और बांग्लादेश में भी महसूस किया गया. इस तस्वीर में यह महिला अपने परिवार के सदस्य की मौत का शोक मना रही है जिसकी दीवार गिरने से दबकर मौत हो गई.
राहतकोष और मदद
काठमांडू सरकार की गुहार पर दुनिया भर से राहत सामग्री हेलिकॉप्टरों के जरिए आ रही है. इस तस्वीर में नेपाली राहतकर्मी अमेरिकी हेलिकॉप्टर पर राहत सामग्री चढ़ाते हुए.
ना कोई पर्वतारोही ना कोई शेरपा
आमतौर पर मई का महीना नेपाल के इर्द गिर्द पर्वतारोहण के लिए बढ़िया समय होता है. लेकिन इस साल 25 अप्रैल को आए भूकंप में 18 पर्वतारोहियों के मारे जाने के बाद से यह ठप्प है. एवरेस्ट बेस कैंप के ऊपर का इलाका सुनसान पड़ा है.