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रोजगार पर कानून की मार

१५ नवम्बर २०१३

दुनिया भर के बेरोजगारों के लिए सऊदी अरब सालों से रोजगार का ठिकाना है लेकिन नए नियमों के बाद मजदूरों को देश छोड़कर जाना पड़ रहा है. यहां तक कि खून खराबा भी हो रहा है.

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तस्वीर: Reuters/Faisal Al Nasser

मदीना में पैगंबर मुहम्मद की मजार के पास की मस्जिद के बाहर वाली सड़क पर कूड़े का अंबार लगा है. किराने की दुकानें बंद हैं. सऊदी अरब में काम करने वाले करीब आधी कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने अपने प्रोजेक्टों पर काम धीमा कर दिया है. यह स्थिति ऐसी इसलिए है क्योंकि विदेशी कामगार, जिन पर ये सारे काम निर्भर हैं, वे सऊदी अरब से खौफ में भाग रहे हैं या डर से छिप गए हैं या फिर गिरफ्तार होने के बाद जेल में बंद हैं.

सऊदी अरब ने गैरकानूनी ढंग से रहने वाले विदेशियों को पकड़ने के लिए इस साल की शुरूआत से सख्त अभियान छेड़ा है. सऊदी अरब ने निताकत नीति को सख्ती से लागू किया है जिसके तहत सऊदी नागरिकों को रोजगार का अधिकार मिलता है. इस अभियान से सऊदी अरब में काम करने वाले करीब 90 लाख मजदूर घेरे में हैं. दशकों से लचर प्रवासी कानून की वजह से विदेशी कामगार सस्ती मजदूरी और सेवा से जुड़े काम करते आ रहे हैं. आरामपसंद सऊदी नागरिक आम तौर पर इन कामों को नहीं करते.

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सऊदी में काम करने के लिए सही दस्तावेज जरूरीतस्वीर: Reuters/Faisal Al Nasser

अब अधिकारियों का कहना है कि विदेशी मजदूरों को निकाल देने से नागरिकों के लिए नई नौकरियां पैदा होंगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक अभी तक सऊदी अरब में बेरोजगारी दर 12.1 फीसदी है. लेकिन राष्ट्रवादी इस कदम से बेहद जोश में हैं. इस साल जब सऊदी सरकार ने विदेशी मजदूरों को लेकर चेतावनी जारी की तब से लाखों विदेशी मजदूरों को देश से निकाल दिया गया.

रोजगार के लिए सख्त कानून

हालांकि कई मजदूर गिरफ्तारी से बचने के लिए माफी कार्यक्रम के तहत अपने दस्तावेज दुरुस्त करने में कामयाब रहे. यह कार्यक्रम पिछले हफ्ते बंद हो गया और करीब 33,000 लोग अब तक सलाखों के पीछे जा चुके हैं. कुछ लोग छिप गए हैं. सरकारी समाचार पत्रिका 'अरब न्यूज' के मुताबिक काम के लिए लोग नहीं हैं और इस वजह से करीब 20,000 स्कूलों में सफाई कर्मचारी की कमी है. दूसरे स्कूलों में बस ड्राइवर नदारद हैं. अरब न्यूज की वेबसाइट के मदीने की मजार के पास इतना कूड़ा जमा हो गया है कि शहर के आला अधिकारी को सड़क की सफाई करनी पड़ी.

मध्य पूर्व के व्यापार, उद्योग और अर्थशास्त्र महासंघ के अध्यक्ष खलफ अल उतैबी के मुताबिक, ''सऊदी अरब में करीब 40 फीसदी निर्माण कंपनियों को अपना काम सिर्फ इसलिए रोकना पड़ा क्योंकि विदेशी मजदूरों को समय पर वीजा नहीं मिल पाया.'' सऊदी अरब के नागरिकों के मुताबिक बेकरी, सुपर बाजार, पेट्रोल पंप और कॉफी शॉप जैसे दर्जनों कारोबार बंद हैं. उनके मुताबिक मिस्त्री, बिजली मिस्त्री और नलकार की सेवाएं महंगी हो गई है. मध्य पूर्व में ह्यूमन राइट्स वॉच के एडम कुगल के मुताबिक, ''अगर सरकार को इस समस्या को लेकर गंभीर होना है तो अधिकारियों को श्रम कानून को देखना चाहिए न कि मजदूरों को.''

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सऊदी अरब में प्रायोजन प्रणाली जिसके तहत विदेशी मजदूर काम करते हैं वह मालिकों को अधिकार देती है कि मजदूर बिना इजाजत देश नहीं छोड़ सकते और न ही नौकरी बदल सकते हैं. और यही वजह है कि विदेशी मजदूर रोजगार के लिए गैरकानूनी रास्ते अपनाते हैं. कुगल कहते हैं, ''सऊदी अरब जिस प्रणाली के तहत विदेशी मजदूरों को नियंत्रित करता है वो विफल हो रही है.''

सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अरबों डॉलर की कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक का कहना है कि उन्हें अपना पूरा काम रोकना पड़ा क्योंकि वे कानूनी तौर पर मजदूरों के प्रायोजक नहीं हैं. सभी मजदूर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं और ज्यादा पैसे कमाते हैं. सरकार की कार्रवाई के डर से वे अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते हैं, वे कहते, "इन लोगों ने इस देश में काम किया है और उनके खून पत्थरों और इमारतों में है. आप उन्हें इस तरह से बाहर नहीं फेंक सकते."

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कंस्ट्रक्शन कंपनियों में काम ठपतस्वीर: Fayez Nureldine/AFP/Getty Images

खून के प्यासे क्यों

रोजमर्रा के कामों नहीं होने के बावजूद सऊदी नागरिक पुलिस की कार्रवाई से उत्साहित हैं. अब नागरिक मामलों को अपने हाथों में लेने लगे हैं. हालांकि पुलिस ने जनता से अपील की है कि वो इस तरह के कदम ना उठाएं. पिछले हफ्ते रियाद के मनहाऊफा इलाके में स्थानीय लोगों ने इथोपियाई नागरिकों से झगड़ा कर लिया. कुछ लोगों को बंधक भी बनाकर रखा. हालांकि पुलिस दो घंटे देर से पहुंची. इंटरनेट पर जारी एक वीडियो में देखा सकता है कि जनता ने इथोपिया के एक नागरिक के घर पर हमला बोल दिया और उसे सड़क पर खींचकर मारने पीटने लगी. इस झड़प में एक सऊदी नागरिक और एक विदेशी नागरिक की मौत हो गई. जबकि दर्जनों घायल हो गए.

झड़प तब शुरू हुई जब पूर्वी अफ्रीका के नागिरक सरकारी कार्रवाई के विरोध में उतर आए और उन लोगों ने संकरी सड़क को जाम कर दिया. इसके बाद उन लोगों ने सऊदी के लोगों पर पथराव शुरू कर दिया और कारों को नुकसान पहुंचाने लगे. जेद्दाह में रहने वाले अब्दुल अजीज अल कहतानी का कहना है, ''यह नस्लवाद नहीं है और न ही विविधता की कोई कमी है, लेकिन आप सोच नहीं सकते इन समूहों के कारण सकारात्मक के बजाय नकारात्मक विचार फैलता है. ये लोग रोज नई समस्या पैदा करते हैं.'' अल कहतानी ने ही रियाद में हुई हिंसा का वीडियो इंटरनेट पर डाला है.

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साफ-सफाई कर्मचारियों की कमीतस्वीर: picture-alliance/dpa

सऊदी अधिकारियों का कहना है कि हिंसा के बाद से करीब 23,000 इथोपियाई नागरिकों ने पुलिस के सामने खुद को पेश किया, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक इन लोगों के पास कोई भी पुख्ता कागजात नहीं हैं कि वे कब सऊदी अरब में दाखिल हुए. इन लोगों को देश से निकालने के पहले अस्थायी कैंपों में रखा गया. यमन के मजदूरों के साथ भी सऊदी अरब में खराब बर्ताव किया जा रहा है. यमन की नोबेल पुरुस्कार विजेता तवाकुल करमन ने पिछले हफ्ते अपने फेसबुक पेज एक तस्वीर डाली थी जिसमें एक सऊदी नागरिक ने एक यमनी को अपनी कार के अंदर जकड़ कर रखा था. वह यमनी नागरिक को पुलिस के हवाले करना चाहता था.

एए/एजेए (एएफपी)

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