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सऊदी अरब को परमाणु तकनीक मिलने का रास्ता साफ

२९ मार्च २०१९

ट्रंप प्रशासन ने सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब अमेरिकी संसद में सवाल उठ रहे हैं कि जिस देश पर मामूली हथियारों के मामले में भरोसा नहीं कर सकते, उस पर परमाणु मामलों में भरोसा करना सही है?

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Symbolbild Atommülllager
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Sauer

अमेरिका के ऊर्जा मंत्री रिक पेरी ने अमेरिकी कानून निर्माताओं को बताया कि अमेरिकी कंपनियों ने सऊदी अरब को परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी बेचने से जुड़े जो छह आवेदन दिए थे उन्हें अब मंजूरी मिल गई है. पेरी ने सीनेट की आर्मड सर्विस कमेटी को बताया कि ऊर्जा विभाग ने जनवरी 2017 से लेकर अबतक करीब 37 परमाणु आवेदनों को मंजूरी दी है, जिनमें से नौ मध्य पूर्व से हैं. इसके अलावा छह सऊदी अरब से तो दो जॉर्डन से जुड़े हैं.

संसदीय समिति की बैठक के दौरान पेरी से पूछा गया कि क्या ये आवेदन 2 अक्टूबर के बाद मतलब अमेरिकी अखबार में काम करने वाले सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद दिए गए हैं. इस पर पेरी ने अपने जवाब में कहा कि उन्हें एकदम सटीक डाटा नहीं पता है.

अमेरिका में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसद सऊदी अरब को परमाणु प्रौद्योगिकी दिए जाने को लेकर अपनी चिंताए जताते रहे हैं. कानून निर्माताओं को डर है कि कहीं अमेरिकी तकनीक की मदद से सऊदी परमाणु हथियार विकसित न कर ले. हालांकि जो मंजूरी दी गई है उसके तहत कंपनियां परमाणु संयंत्रों में परमाणु ऊर्जा पैदा करने से जुड़ी सभी प्रारंभिक तैयारियां कर सकती हैं, लेकिन उन्हें रवाना नहीं कर सकती. 

अमेरिकी सांसदों से बातचीत में रिक पेरी ने ये भी कहा कि अगर अमेरिका सऊदी अरब को पार्टनर नहीं बनाता है तो हो सकता है कि वह असैनिक न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी के लिए रूस और चीन का दामन थाम ले. वहीं डेमोक्रेटिक सीनेटर ब्रेड शेरमन ने ट्रंप प्रशासन पर कानून के खिलाफ जाने का आरोप लगाया है. दरअसल अमेरिकी कंपनियां कानून के मुताबिक ऐसे किसी भी देश को परमाणु तकनीक नहीं दे सकती हैं जिसने शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के सेक्शन 123 के नियमों को नहीं अपनाया हो.

शेरमेन ने कहा, "अगर आप किसी देश पर मामूली हथियारों के मामले में भरोसा नहीं सकते तो उस पर परमाणु हथियारों के मामले में कैसे भरोसा किया जा सकता है." इस बीच अमेरिका के गवर्नमेंट एकाउंटिबिलिटी ऑफिस ने साफ किया है कि वह अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हुए समझौते की जांच करेगी. रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक सांसदों ने अमेरिकी संसद की जांच एजेंसी में जांच के लिए एक याचिका दायर की थी.

एए/एमजे (एएफपी, एपी)