संसाधनों की होड़ के बीच प्रकृति को बचाने का संघर्ष
अफ्रीका के युगांडा में उप-सहारा अफ्रीका के सबसे बड़े तेल के भंडार को हासिल करने के लिए दो बड़ी ऊर्जा कंपनियां तैयार हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को वहां की अद्भुत जैवविविधता पर इसके असर की चिंता सता रही है.
जमीन के निगहबान
88 साल के अलोन कीजा यहां के बागुंगु स्थानीय समुदाय के एक बुजुर्ग हैं. वो ग्रामीण बुलीसा जिले में रहते हैं जो इस महाद्वीप के प्राकृतिक संसाधनों को हासिल करने की होड़ के ठीक मध्य में स्थित है. वो कहते हैं, "तेल के लिए ड्रिलिंग करने से इकोसिस्टम अस्त व्यस्त हो जाएगा. इस जगह की आत्मा इन मशीनों को स्वीकार नहीं करती है."
वन्य जीवों पर खतरा
एक गंभीर समस्या है इस इलाके के वन्य जीवों पर होने वाला असर. ड्रिलिंग का कुछ हिस्सा मर्चिसन फॉल्स राष्ट्रीय उद्यान में भी होगा जहां कई हाथी, तेंदुए, शेर और जिराफ के अलावा 450 नस्लों के पक्षी रहते हैं. पर्यावरणविदों को इन वन्य जीवों पर ड्रिलिंग के संभावित असर की चिंता है.
शुरुआत हो चुकी है
लेकिन ये विशाल परियोजना शुरू भी हो चुकी है. अप्रैल में युगांडा और तंजानिया ने फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी टोटलएनर्जीज और चीन की नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ संधियों पर हस्ताक्षर किये. इनके तहत 425 वर्ग मील के ड्रिलिंग क्षेत्र से करीब 1.7 अरब बैरल तेल निकाला जाएगा. इलाका सुदूर है इसलिए एक चीनी निर्माण कंपनी को एक 70 मील लंबी सड़क बनाने का भी ठेका दिया गया है.
एक अंतर्राष्ट्रीय कोशिश
2025 में जब निकाले हुए तेल की पहली खेप मिलेगी तो उसे पूर्व अफ्रीकी कच्चे तेल की पाइपलाइन के जरिए 900 मील दूर तंजानिया के बंदरगाह वाले शहर तांगा तक पंप किया जाएगा. यह शहर हिन्द महासागर में मैंग्रोव और मूंगे की चट्टानों से घिरा हुआ है. पाइपलाइन ना सिर्फ नाजुक वन्य जीव इलाकों से गुजरेगी बल्कि जानकारों का कहना है कि वो हजारों किसानों को भी विस्थापित करेगी.
रोशनी की किरण
लेकिन युगांडा सरकार ने अल्बर्ट तालाब के किनारे इस तेल परियोजना को आगे ले जाने के साथ साथ एक अभूतपूर्व पर्यावरण कानून भी पास किया है. इस कानून के तहत मानवाधिकारों की तरह ही प्रकृति के अधिकारों को भी मान्यता दी जाती है. इकोसिस्टमों को जीव जंतुओं की तरह माना जाता है और उन्हें प्रतिनिधियों के जरिए अदालत के दरवाजे खटखटाने की भी इजाजत दी जाती है.
पुरानी जड़ें
कीजा पर्यावरणविद डेनिस तबारो के बगल में बैठे हुए हैं जो उन स्थानीय पर्यावरण-संबंधी परम्पराओं को फिर से प्रचलित करने की कोशिश कर रहे हैं हो औपनिवेशिक युग में नष्ट हो गई थीं. देश का नया कानून बागुंगु जैसे स्थानीय समुदायों की प्राचीन सोच पर आधारित है. पूरी दुनिया में 37 करोड़ स्थानीय लोगों की आबादी है, लेकिन वो ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां धरती की 80 प्रतिशत जैवविविधता पाई जाती है.
एक पुनर्जागरण
अपने पुनर्जागरण के क्रम में बागुंगु बुजुर्गों ने उनके प्राचीन इलाके के नक्शे बनाए हैं, जिनमें पूर्व-औपनिवेशिक काल के कैलेंडर हैं. इनमें बदलते मौसम, प्रजाजन के चक्र, फसलों की कटाई के समय और रिवाज दिखाए गए हैं. एक नक्शे पर पुराने रीति-रिवाज दिखाए गए हैं, दूसरे पर आज की अव्यवस्था और तीसरे पर भविष्य के लिए एक परिकल्पना. इससे उनकी धरोहर की यादें ताजा हुई हैं.
काला सोना?
पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बावजूद सरकार तेल के इस भंडार को लोगों के जीवन के स्तर को बेहतर बनाने के एक तरीके के रूप में बढ़ावा दे रही है. युगांडा की आधे से ज्यादा आबादी गरीब है. यह बच्चा स्कूल नहीं जा सका क्योंकि इसे फसलों को इकठ्ठा करने में अपने परिवार की मदद करनी थी. टोटलएनर्जीज ने कहा है कि उसकी परियोजना से 6,000 नौकरियों का जन्म होगा, जिनमें से अधिकतर स्थानीय लोगों के लिए होंगी.
आगे की ओर अग्रसर
इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि नया कानून तेल परियोजना को रोक देगा. इसमें एक प्रावधान है जिसके तहत सरकार यह तय कर सकती है कि इस कानून का संरक्षण किन प्राकृतिक स्थलों को मिलेगा और किन को नहीं. इसी तरह, प्रकृति के अधिकारों की भी गारंटी हमेशा के लिए नहीं होगी.
अनिश्चित भविष्य
चीनी और युगांडन मजदूर निर्माण के एक गर्मी भरे दिन के बीच आराम कर रहे हैं. वकीलों का मानना है कि नए कानून से परियोजना के असर को सीमित करने का मौका तो मिल जाएगा लेकिन इससे परियोजना रुकेगी नहीं. फ्रैंक तुमुसीमे की संस्था ने इस कानून के लिए लॉबी किया था और अब उसे मजबूत करने वाले नियमों के बनाने में मदद कर रहे हैं. वो कहते हैं, "यह होना ही है. हमें असर को कम करने की योजना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
प्राकृतिक मंदिर
बागुंगु बुजुर्ग जूलियस बाएंक्या बुलीसा के बाहर सवाना के जंगलों में पवित्र माने जाने वाले पेड़ों के एक झुरमुट की तरफ बढ़ रहे हैं. ये उन कई पवित्र प्राकृतिक स्थलों में से है जिन्हें तालाबों, नदियों या जंगलों के रूप में पूजा जाता है. इनसे वन्य जीवों को शरण भी मिलती है. बाएंक्या कहते हैं, "यह हमारा आध्यात्मिक केंद्र है. हमारी प्रार्थना है कि यह जगह अछूती रहे." (जैक लॉश)