श्रीलंका में संकट, भारत के लिए चुनौती?
२७ अक्टूबर २०१८'द डेली मिरर' ने स्पीकर के कार्यालय के हवाले से कहा कि संसद का अगला सत्र 16 नवंबर से शुरू होगा. तब तक के लिए संसद के सभी 225 सदस्यों को राष्ट्रपति ने निलंबित कर दिया है. कैबिनेट प्रवक्ता रजित सेनारत्ने ने संवाददाताओं को बताया, "राष्ट्रपति ने शनिवार दोपहर 12 बजे से संसद को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया."
इससे पहले विक्रमसिंघे ने स्पीकर से रविवार को संसद का सत्र बुलाने का आग्रह किया था ताकि वह साबित कर सकें कि उनके पास संसदीय बहुमत है और वह अभी भी प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने कहा, "मैं देश को अराजकता की ओर धकेले बिना संसद बुलाने का आग्रह करता हूं. देश में संकट खड़ा करने की जरूरत नहीं है. संसद को तय करने दें कि कौन प्रधानमंत्री है."
श्रीलंका के वित्त मंत्री मंगला समरवीरा और राष्ट्रीय नीति और अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री हर्षा डी सिल्वा ने सिरिसेना के कदम को अवैध करार देते हुए इसे संविधान का उल्लंघन बताया. इस राजनीतिक संकट की शुरुआत शुक्रवार रात को सिरिसेना द्वारा विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने के बाद हुई.
यहां भी रुपया चलता है
भारत की चिंता
इस बीच तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी डीएमके ने श्रीलंका के घटनाक्रम पर चिंता जताई है. पार्टी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि श्रीलंका के राजनीतिक घटनाक्रम वहां रहने वाले तमिलों के लिए ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु में रहने वालों लोगों, विशेषकर मछुआरों के लिए भी चिंता का विषय हैं.
डीएमके अध्यक्ष ने बयान में कहा कि मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने जिस तरह पूर्व राष्ट्रपति महिदा राजपक्षे को श्रीलंका का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है उससे तमिल जगत में हड़कंप मच गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय को तमिलनाडु के मछुआरों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.
सिरिसेना पिछले राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को हराकर ही राष्ट्रपति बने हैं. लेकिन पिछले दिनों सिरिसेना की पार्टी ने विक्रमसिंघे की गठबंधन सरकार से निकलने का फैसला किया, जिसके बाद श्रीलंका में यह राजनीतिक संकट पैदा हुआ है.
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वे श्रीलंका के घटनाक्रम पर करीब से नजर रखे हुए हैं. जब राजपक्षे राष्ट्रपति थे तो चीन पर उनकी जरूरत से ज्यादा निर्भरता भारत को पसंद नहीं थी. इसलिए राजपक्षे के कार्यकाल में भारत और श्रीलंका के बीच रिश्ते सहज नहीं रहे. यहां तक कि राजपक्षे ने सिरिसेना के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार के लिए भारत को जिम्मेदार बताया था.
जब सिरिसेना ने राष्ट्रपति पद संभाला तो भारत और अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते बेहतर करने पर जोर दिया गया. लेकिन बदले घटनाक्रम में अब वापस राजपक्षे सत्ता में आ गए हैं. इसलिए भारत की नजरें खास तौर से इस बात पर टिकीं होंगी कि श्रीलंका में पैदा राजनीतिक अस्थिरता का नतीजा क्या निकलता है.
आईएएनएस/एके