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श्रम बाजार पर काम के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल

११ अक्टूबर २०२१

डेविड कार्ड, जोशुआ अंगृस्त और गुइडो इम्बेंस ने इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीत लिया है. पुरस्कार के लिए कार्ड को श्रम बाजार पर उनके काम के लिए और अंगृस्त-इम्बेंस को प्राकृतिक प्रयोगों के लिए चुना गया.

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Nobelpreis für Wirtschaft 2021 | David Card, Joshua D. Angrist und Guido W. Imbens
तस्वीर: Claudio Bresciani/TT/AP/picture alliance

65 साल के डेविड कार्ड मूल रूप से कनाडा के हैं और अभी अमेरिका के बर्कली में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. उन्हें 11 लाख डॉलर के इस पुरस्कार का आधा हिस्सा मिलेगा. दूसरा हिस्सा इजराइली-अमेरिकी अर्थशास्त्री अंगृस्त और उनके डच-अमेरिकी सहयोगी इम्बेंस को संयुक्त रूप से दिया जाएगा.

61-वर्षीय अंगृस्त मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और 58 साल के इम्बेंस स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं. नोबेल समिति ने एक बयान में कहा कि तीनों को "श्रम बाजार के बारे में नई समझ" देने और "प्राकृतिक प्रयोगों से कार्य और कारण को समझाने" के लिए सम्मानित किया गया है.

विजेताओं के काम का महत्व

नोबेल समिति की सदस्य एवा मॉर्क ने पत्रकारों को बताया कि तीनों विजेताओं ने "अर्थशास्त्र में आनुभविक कार्य में क्रांति लाई है. उन्होंने दिखाया है कि जब रैंडमाइज्ड प्रयोग करना संभव ना हो तब भी महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए जा सकते हैं."

Nobelpreis für Wirtschaft 2021 | David Card, Joshua D. Angrist und Guido W. Imbens
अर्थशास्त्र के नोबेल के विजेताओं के नामों की घोषणातस्वीर: Claudio Bresciani/TT/imago images

तीनों अर्थशास्त्रियों को कथित "प्राकृतिक प्रयोगों" के इस्तेमाल के लिए सम्मानित किया गया, जिनमें "किस्मत से हुई घटनाओं या नीतिगत बदलावों की वजह से कुछ लोगों के साथ इस तरह अलग व्यवहार किया जाता है जैसे चिकित्सा में क्लीनिकल ट्रायल में किया जाता है."

इकोनॉमिक साइंसेज समिति के अध्यक्ष पीटर फ्रेडरिकसन ने कहा, "समाज से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवालों पर कार्ड के अध्ययन और अंगृस्त-इम्बेंस के प्रणाली संबंधी योगदान ने दिखाया है कि प्राकृतिक प्रयोग ज्ञान का एक समृद्ध स्त्रोत हैं.

उनके शोध ने "कारण बताने वाले अहम सवालों के जवाब खोजने की हमारी क्षमता को काफी बेहतर बनाया है और इससे समाज को बहुत लाभ मिला है."

न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का असर

कार्ड ने प्राकृतिक प्रयोगों का इस्तेमाल कर श्रम बाजार पर न्यूनतम वेतन, अप्रवासन और शिक्षा के असर का अध्ययन किया है. अंगृस्त और इम्बेंस के काम से जो नतीजे सामने आए हैं उनमें यह निष्कर्ष शामिल है कि जरूरी नहीं है कि न्यूनतम वेतन को बढ़ाने से नौकरियां कम हो जाती हों.

Indien Symbolbild Arbeitslosigkeit
कार्ड ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के असर पर काम किया हैतस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance

अकादमी के अनुसार तीनों के काम ने यह दिखाया है कि अप्रवासन कैसे वेतन और रोजगार के स्तर को प्रभावित करता है जैसे सवालों का जवाब प्राकृतिक प्रयोगों की मदद से दिया जा सकता है. अकादमी ने कहा, "हम अब जानते हैं कि किसी और देश में पैदा होने वाले लोग अब किसी और जगह अप्रवासन कर जाते हैं तो उनके आय बढ़ सकती है." 

कार्ड ने ऐसी शोध पर काम किया जिसमें न्यू जर्सी और पूर्वी पेंसिल्वेनिया में रेस्तरांओं का इस्तेमाल कर न्यूनतम वेतन बढ़ाने के असर को नापा गया. उन्होंने और उनके दिवांगात्स शोध सहयोगी एलन क्रूगर ने पाया था कि प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा देने से नए लोगों को रोजगार देने में कमी नहीं हुई.

सीके/एए (एपी, एएफपी)

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