श्टाइनमायर एक अनुभवी और लोकप्रिय नेता
जर्मनी में सत्ताधारी सीडीयू-सीएसयू और एसपीडी गठबंधन के उम्मीदवार फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर को राष्ट्रपति चुना गया है. उन्हें ग्रीन और एफडीपी पार्टी का भी समर्थन मिला.
चांसलर की बधाई
निर्वाचक मंडल के वोटों के गिनती के बाद फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर को विजेता घोषित किया गया. राष्ट्रपति चुने जाने के तुरंत बाद चांसलर मैर्केल ने उन्हें बधाई दी.
संसद के मार्शलों के साथ
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर संसद के मार्शलों के साथ दिखाई दे रहे हैं, जिन्होंने मतदान की देखरेख की.
अनुभवी राजनेता
सोशल डेमोक्रैट श्टाइनमायर एक अनुभवी राजनेता हैं. राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पहले तक वह चांसलर मैर्केल की गठबंधन सरकार में विदेश मंत्री थे.
संभाली अहम जिम्मेदारियां
इससे पहले 2005 से 2009 तक भी वह जर्मनी के विदेश मंत्री रहे. इसके अलावा 2007 से 2009 के बीच उन्होंने जर्मनी के उपचांसलर का भी पद संभाला है.
श्रोएडर के सहयोगी
लॉ में डॉक्टररेट की डिग्री रखने वाले श्टाइनमायर जर्मनी के पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के सहयोगी रहे हैं. राजनीति में आने से पहले वह सरकारी अधिकारी थे.
मैर्केल को टक्कर
श्टाइनमायर 2009 के आम चुनावों में एसपीडी के चांसलर पद के उम्मीदवार थे और उनका मुकाबला था मैर्केल से. हालांकि जीत मैर्केल की हुई. चुनावों के बाद उन्होंने विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभाली.
फिर से मिली जिम्मेदारी
2013 के आम चुनावों के बाद मैर्केल की सीडीयू और एसपीडी में फिर से गंठबंधन हुआ और श्टाइनमायर को दोबारा विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई.
बढ़ई पिता की संतान
श्टाइनमायर का जन्म जर्मन राज्य नॉर्थराइन वेस्टफालिया के डेटमोल्ड शहर में हुआ. उनके पिता बढ़ई थे. वे फुटबॉलप्रेमी थे और अपने दोस्तों के बीच वह फ्रांक के नाम से जाने जाते हैं.
निजी जिंदगी
बताया जाता है कि श्टाइनमायर को जैज पसंद है और फुटबॉल के भी वह शौकीन हैं. उनकी एक बेटी है. 2010 में उन्होंने अपनी एक किडनी अपनी बीमार पत्नी को दान की थी.
लोकप्रिय राजनेता
श्टाइमायर जर्मन राजनीति का एक जाना माना चेहरा हैं. सर्वे दिखाते हैं कि वह कई वर्षों से जर्मनी के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं के बीच अपनी जगह बनाए हुए हैं.
ट्रंप पर चेतावनी
श्टाइनमायर अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बारे में अपनी टिप्पणियों को लेकर भी सुर्खियों में रहे. ट्रंप की जीत पर उन्होंने कहा था कि पुरानी विश्व व्यवस्था अब खत्म हो जाएगी.
राष्ट्रपति का पद
भारत समेत दुनिया के कई और देशों की तरह जर्मनी में भी राष्ट्रपति का पद रस्मी है. लेकिन जर्मन राष्ट्रपति अपने भाषणों से राजनीतिक प्रक्रियाओं पर असर डालते हैं.