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शौच जाने से घबराती हैं ग्रीस की महिला शरणार्थी

८ अक्टूबर २०१८

ग्रीस के शरणार्थी शिविरों में महिलाओं की हालत दयनीय है. हालिया रिपोर्ट बताती है कि शौचालयों की उचित व्यवस्था न होने से महिलाएं शौच के लिए रात को बाहर निकलने से डरती हैं.

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Griechenland Lesbos - Flüchtlinge auf dem weg zum Moria Camp nahe der Stadt Mitylene
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/B. Langer

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएससीआर) के अनुसार ग्रीस में आने वाले शरणार्थियों और प्रवासियों में आधे से अधिक की संख्या महिलाओं और बच्चों की है. यह संख्या भले ही 2015 के आप्रवासी संकट के मुकाबले कम हो लेकिन शरण पाने की लंबी और धीमी प्रक्रिया की वजह से हजारों शरणार्थी ग्रीस के द्वीपों पर रहने के लिए मजबूर हैं. 

अंतरराष्ट्रीय संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट बताती है कि इन शिविरों की हालत इतनी दयनीय है कि महिलाओं को नहाने या शौच जाने में खतरा महसूस होता है. इन शिविरों में गंदगी, पीने के पानी की कमी, मल और चूहों का उपद्रव मचाना आम बात है.

कांगो डेमोक्रैटिक रिपब्लिक की एक महिला एडेले (बदला हुआ नाम) बताती हैं, ''शावर का पानी ठंडा है और बाथरूम के दरवाजे में ताला नहीं लगा है. कई बार पुरुष अंदर चले आते हैं. शौचालय में रोशनी की व्यवस्था नहीं है.'' वह आगे कहती हैं, ''रात को शौचालय अपनी बहन के साथ जाती हूं या किसी बाल्टी में शौच करती हूं.''

गर्भवती महिलाओें ने एमनेस्टी को बताया कि उन्हें जमीन पर सोना पड़ता है और प्रसूता को मिलने वाली देखभाल बेहद कम है. दूसरी महिलाएं अपनी बचत को सैनिटरी पैड्स पर खर्च करती हैं. एडेले कहती हैं, ''यहां सब कुछ गंदा है. माहवारी के दिनों में खुद को साफ रख पाना मुश्किल है.''

एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीस के द्वीपों पर बने कुछ शिविरों में आबादी इतनी बढ़ गई है कि उनमें क्षमता से दोगुने लोग रह रहे हैं. इससे निपटने के लिए सरकार ने सैकड़ों लोगों को मुख्य भूभाग में भेजना शुरू किया है.

एमनेस्टी का कहना है कि महिलाएं यहां खुद को अकेला और छोड़ा हुआ महसूस करती हैं. एथेंस के करीब स्कारामागस शिविर में रह रही इराक से आई एक यजीदी महिला का कहना है, ''हमें पूरी तरह भुला दिया गया है. हम में से कुछ इस शिविर में दो साल से रह रही हैं लेकिन कुछ नहीं बदल रहा है. हमें नहीं पता कि हमारा क्या होगा.''

शिविरों में काम कर रहे मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक यहां तस्कर और हथियार रखने वाले भी रह रहे हैं.

ग्रीस के लेसबोस द्वीप का दौरा करने आए एमनेस्टी इंटरनेशनल के सेक्रेटरी-जनरल कुमी नाइडू का कहना है, ''शरणार्थियों के लिए सुरक्षित और वैध रास्तों को खोलने में विफल रही यूरोपीय सरकारों के बाद अब लड़कियों और महिलाओं से दुर्व्यवहार का खतरा बढ़ गया है.''

वीसी/एनआर (रॉयटर्स)

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