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व्हाट्सऐप ने लगाई मैसेज फॉरवर्ड करने पर पाबंदियां

२० जुलाई २०१८

स्मार्टफोन पर मैसेज और कॉलिंग की सुविधा वाले व्हाट्सऐप ने भारत में यूजरों के मैसेज फॉरवर्ड करने पर कुछ पाबंदियां लगाई हैं. हाल के महीनों में अफवाह फैलने के बाद भीड़ के हाथों कुछ लोगों की हत्या के बाद ये कदम उठाया गया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Hörhager

भारत व्हाट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है. अफवाह फैलने और भीड़ के उग्र हो कर हरकत में आने की बार बार घटनाएं होने के बाद भारत सरकार पर व्हाट्सऐप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दबाव बन रहा था. बीते दो महीने में भारत के अलग अलग हिस्से में भीड़ ने पीट पीट कर 20 से ज्यादा लोगों को मार डाला. इन घटनाओँ में व्हाट्सऐप के जरिए पहुंचे संदेशों ने लोगों का गुस्सा भड़काया. इनमें मरने वाले लोगों पर बच्चा चुराने और इसी तरह के दूसरे आरोप लगाए गए थे. सरकार पर जब कार्रवाई का दबाव बढ़ने लगा तो उसने बीते गुरुवार कहा कि अफवाहों के फैलने का "माध्यम" बना तंत्र अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से नहीं बच सकता.

फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने शुक्रवार को इस पर जवाब दिया और कहा कि वह यूजरों के मैसेज फॉरवर्ड करने पर रोक लगाने जा रही है. अब कॉनटैक्ट्स के पांच लोगों या फिर ग्रुप को ही मैसेज फॉरवर्ड किया जा सकत है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि वह क्विक फॉरवर्ड बटन भी हटाने जा रही है. कंपनी का कहना है, "हम मानते हैं कि ये बदलाव व्हाट्सऐप को उस हाल में बनाए रखेंगे जिसके लिए उन्हें बनाया गया था यानी कि एक निजी संदेश भेजने वाला ऐप. कंपनी इन उपायों को समय समय पर परखती रहेगी."

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तस्वीर: Getty Images/P. Singh

भारत सरकार की ओर से दबाव बनने के बाद कंपनी ने पहले ही घोषणा की थी कि वह एक नया फीचर लाने जा रही है जिससे कि यूजर उन संदेशों की पहचान कर सकेंगे जिन्हें फॉरवर्ड किया गया है. हाल ही में व्हाट्सऐप ने भारत के अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन भी दिया था जिसमें लोगों को बताया गया था कि गलत सूचनाओँ को कैसे पकड़ा जा सकता है. हालांकि इसके बाद भारत के सूचना तकनीक मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर कंपनी को साफ संदेश दिया गया कि इतने भर से काम नहीं चलेगा. मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा, "अगर (व्हाट्सऐप) मूक दर्शक बना रहता है तो उन्हें उकसाने वाला माना जाएगा और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा." मंत्रालय ने कंपनी से यह भी कहा है कि वह भड़काने वाले संदेश भेजने वाले को ढूंढने में मदद करे, खासतौर से जब आधिकारिक अनुरोध किया जाए. हालांकि व्हाट्सऐप ने यह साफ कर दिया है कि उसके लिए अपने ग्राहकों की निजता सबसे अहम है और उसे हर हाल में बनाये रखा जाएगा.

भारत में भीड़ के हाथों लोगों को मारे जाने की घटना कोई नई बात नहीं है लेकिन अब देश में अरबों स्मार्टफोन हैं और डाटा बहुत सस्ता है. ऐसे में भारत के दूरदराज के इलाकों तक बड़ी आसानी से अफवाह फैला दिए जा रहे हैं. अभी पिछले हफ्ते ही 27 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को 2000 लोगों की भीड़ ने कर्नाटक में मार डाला. यह युवक और उसके साथी स्थानीय बच्चों को चॉकलेट दे रहे थे. भारत सरकार ने जागरूकता के लिए अभियान शुरू किया है इसके साथ ही दूसरे उपाय भी किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक इनमें बहुत सफलता नहीं मिली है. इसी हफ्ते की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने को कहा जिससे कि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें.

चीन में व्हाट्सऐप पर बहुत सारी पाबंदियां हैं इसलिए लोग घरेलू ऐप वीचैट का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि एशिया में और दूसरी जगहों पर भी फेक न्यूज फैलाने के लिेए तकनीकी कंपनियों की आलोचना हो रही है.

एनआर/एमजे

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