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वो बीमारी जिससे 55 साल तक हॉकिंग लड़ते रहे

१४ मार्च २०१८

ब्रिटिश भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग एम्योट्रॉफिक लैटरल स्लेरोसिस यानी एएलएस बीमारी के सबसे मशहूर पीड़ित थे. इस घातक न्यूरॉलजिकल बीमारी ने उनके शरीर को शक्तिहीन कर दिया लेकिन वह विज्ञान में उनके योगदान को नहीं रोक सकी.

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Stephen Hawking
तस्वीर: AP

आमतौर पर पीड़ित इस बीमारी की चपेट में आने के दो से तीन साल के भीतर दम तोड़ देते हैं लेकिन हॉकिंग एक दो नहीं, बल्कि पचास साल से ज्यादा वक्त तक इससे जूझते रहे और वो एक दुर्लभ अपवाद हैं.

इस न्यूरोडिजेनरेटिव स्थिति में दिमाग और स्पाइन कॉर्ड (मेरूरज्जू) के मोटर नर्व सेल्स पर हमला होता है जिसके कारण मांसपेशियों से संवाद और स्वैच्छिक गतिविधियों पर नियंत्रण खत्म हो जाता है. इसकी परिणति लकवे के रूप में सामने आती है.

शुरुआत में मांसपेशियां अकड़ जाती हैं, फिर धीरे धीरे कमजोरी बढ़ती जाती है, समय बीतने के साथ पीड़ित चलने, बोलने यहां तक कि सांस लेने की क्षमता भी खो देता है. यह घातक स्थिति दुर्लभ है. आमतौर पर हर साल एक लाख में दो लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं और ज्यादातर ऐसे लोगों की उम्र 55 से 65 साल के बीच होती है.

2014 में इस बीमारी का नाम घर घर सुना जाने लगा जब "आइस बकेट चैलेंज" वायरल हुआ. इसमें लोग अपने सिर पर ठंडा पानी डाल कर वीडियो अपलोड कर रहे थे. इसका मकसद इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना था.

फिलहाल एएलएस का कोई इलाज या उपचार नहीं है जो इसे रोक सके, हालांकि इसके लक्षणों को कुछ हद तक नियंत्रित करने के कुछ विकल्प जरूर मौजूद हैं.

अमेरिका में मौजूद एएलएस एसोसिएशन के मुताबिक यह बीमारी दो रूपों में सामने आती है. ज्यादातर लोग "स्पोर्डिक" वर्जन की चपेट में आते हैं जो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है हालांकि अमेरिका में 10 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिन्हें यह बीमारी विरासत में मिली है. 

आम लोगों की तुलना में दोगुनी संख्या में पूर्व सैनिक इस बीमारी की चपेट में आते देखे गए हैं हालांकि इसके पीछे क्या वजह है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. एएलएस एसोसिएशन के मुताबिक बीमारी का शिकार होने के बाद जीवित रहने की औसत आयु 3 साल है. केवल पांच फीसदी मरीज ही ऐसे हैं जो 20 साल या उससे ज्यादा वक्त तक जीवित रहते हैं.

रिसर्चरों का कहना है कि इतने लंबे समय तक हॉकिंग का जिंदा रहना एक रहस्य है. हालांकि कुछ रिसर्चरों का यह भी कहना है कि अलग अलग लोगों में इस बीमारी का विस्तार अलग तरीके से होता है और इसे जेनेटिक्स के जरिए कुछ हद तक नियंत्रित होता है.

इस बीमारी के पीड़ित अन्य मशहूर लोगों में प्लेराइट सैम शेपर्ड भी हैं जिनकी अगस्त 2017 में मौत हुई. इसके अलावा सीसेम स्ट्रीट के क्रिएटर जॉन स्टोन और जैज म्यूजीशियन चार्ल्स मिंगस भी इसके शिकार हुए.

एएलएस को आमतौर पर "लोउ गेहरिंग्स डिजीज" कहा जाता है इसके जरिए बेसबॉल के उस मशहूर खिलाड़ी को याद किया जाता है जिनकी जान इस बीमारी के कारण 1941 में गई.

एनआर/एके (एएफपी)