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वो घटना जिसने साम्यवाद की जड़ खोद दी

मोनिका सिराद्स्का
३१ अगस्त २०२०

चालीस साल दुनिया पूरब और पश्चिम में विभाजित थी, बर्लिन में दीवार थी, पूर्वी यूरोप में साम्यवाद था, पोलैंड में सोलिदारनॉस्क ट्रेड यूनियन की स्थापना हुई थी. इसने यूरोप में साम्यवाद की समाप्ति की प्रक्रिया को तेज कर दिया.

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Polen Solidarnosc | Nach Unterzeichnung des Abkommens 1980
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Oy

31 अगस्त, 1980 को शिपयार्ड इलेक्ट्रिशियन लेख वालेंसा सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पोलैंड के उप प्रधानमंत्री मिचेस्लाव यागिल्स्की के साथ एक मेज पर बैठे. वे हड़ताली पोलिश मजदूरों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. कई पोलिश कंपनियों में हफ्तों तक चली हड़ताल के बाद सरकार ने एक महत्वपूर्ण रियायत दी थी. वह था स्वतंत्र ट्रेड यूनियन के गठन की अनुमति देना. 17 सितंबर को सोलिदारनॉस्क आधिकारिक तौर पर किसी साम्यवादी देश के पहले स्वतंत्र मजदूर संगठन के रूप में स्थापित किया गया. सोलिदारनॉस्क का मतलब होता है एकजुटता. और इस संगठन के नेता थे लेख वालेंसा. उस समय वालेंसा वास्तव में कम्युनिस्ट शासन द्वारा किए गए वादे पर विश्वास नहीं कर रहे थे. उन्होंने एक साक्षात्कार में डीडब्ल्यू से कहा, "वे इसे नष्ट कर देंगे, उन्हें मेरे बारे में फिर से सोचना है." उनके दिमाग में अब भी 1956, 1970 और 1976 में पोलैंड में हुए कम्युनिस्ट विरोधी प्रदर्शनों की यादें ताजा थीं, जो पुलिस के साथ खूनी संघर्ष में समाप्त हुए.

कम्युनिस्टों के खिलाफ लाखों

वालेंसा 1967 से पोलैंड के उत्तरी ग्दांस्क शहर में लेनिन शिपयार्ड (अब ग्दांस्क शिपयार्ड) में बतौर इलेक्ट्रिशियन काम कर रहे थे. ये शिपयार्ड अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए जहाजों का निर्माण करती थी और साम्यवादी देश के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा कमाती थी. इस शिपयार्ड में अगस्त 1980 के मध्य में पहले हड़ताल शुरू हुए, लेकिन जुलाई में ही पोलैंड के अन्य हिस्सों में कंपनियों पर पहले ही छोटे विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

40 Jahre Solidarnosc I Ein Bild von Johannes Paul II
पोप जॉन पॉल द्वितीयतस्वीर: Zygmunt Błażek/ Zbiory ECS

पोलैंड में जन्मे कैथोलिक पोप जॉन पॉल द्वितीय प्रेरणा के एक महत्वपूर्ण स्रोत थे. उन्होंने 1979 में वारसॉ में एक सभा के दौरान कहा था, "भयभीत न हों." ये शब्द उन लाखों पोलिश लोगों के लिए मंत्र बन गए, जो देश के कम्युनिस्ट शासकों विशेषाधिकारों से नाराज थे. अपने 35 वर्षों के शासन के दौरान कम्युनिस्टों ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया था. कुछ हफ्तों के भीतर पोलैंड के 3.5 करोड़ निवासियों में से 1 करोड़ सोलिदारनॉस्क आंदोलन में शामिल हो गए थे.

मजदूरों की ताकत

खास बात यह थी कि यह आंदोलन मजदूरों द्वारा संचालित था. जर्मन इतिहासकार पीटर ऑलिवर लोएव कहते हैं, "इसने इसे प्रेरणा और शक्ति दी." डार्मस्टाट शहर में जर्मन पोलैंड संस्थान के निदेशक पीटर ऑलिवर लोएव का कहना है, "जब कुछ बुद्धिजीवी सड़कों पर उतरते हैं, तो इससे क्रांति नहीं होती, लेकिन जब एक कंपनी में हड़ताल हो जिसपर एक राज्य अपने राजस्व के लिए निर्भर है, तो यह साम्यवादी प्रणाली पर ही सवाल उठाता है जो मजदूरों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है."

वालेंसा को लगातार इस खतरे का भान था कि विरोध प्रदर्शन को कभी भी फिर से क्रूरतापूर्वक दबाया जा सकता है. उन्होंने कहा था, "आपको पूरी तरह से प्रतिबद्ध होना चाहिए, अन्यथा आप दूसरों का नेतृत्व नहीं कर सकते. आपको सोचना होगा, अब कोई परिवार नहीं है, कोई मौत नहीं, कोई पैसा नहीं. मुझे पता था कि वे किसी भी समय मुझे मार सकते थे. लेकिन मैंने सोचा, वे वह मुझे मार सकते हैं, लेकिन मुझे खत्म नहीं कर सकते.

Peter Oliver Loew Deutsches Polen-Institut
जर्मन इतिहासकार लोएवतस्वीर: DPI/Grzegorz Litynski

स्वतंत्रता की लड़ाई

पूर्वी जर्मनी में साम्यवादी सरकार के विरोधी रहे और बाद में जर्मनी के राष्ट्रपति बने योआखिम गाउक ने उस समय पोलैंड की घटनाओं को "उत्साह और संदेह के साथ" देखा. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मनी में लोगों ने 17 जून, 1953 को विरोध प्रदर्शन के दमन और बर्लिन की दीवार के निर्माण जैसी घटनाओं के बाद किसी भी बदलाव की उम्मीद खो दी थी. इससे राजनीतिक रूप से असहाय होने की भावना पैदा हुई. उन्होंने कहा, "पोलैंड के लोगों ने सदियों तक दिखाया था कि वे जब भी संभव हो अपनी पहचान के लिए लड़ने के लिए तैयार थे." उन्होंने एक बार पोलैंड की यात्रा पर कहा था कि "स्वतंत्रता की भाषा पोलिश" है. नवंबर 1989 में जब बर्लिन की दीवार गिरी पोलैंड में पहले से ही सरकार का नेतृत्व एक गैर-कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री के हाथों में था. 1989 के वसंत में सरकार और सोलिदारनॉस्क के बीच "गोल मेज" वार्ता हुई थी, और जून में ही पोलैंड में पहला अर्ध-लोकतांत्रिक चुनाव हुआ.

लेकिन साम्यवाद के खिलाफ लड़ाई में इस नेतृत्व को ऊंची कीमत चुकानी पड़ी. दिसंबर 1981 में सरकार ने मार्शल लॉ लागू कर दिया जो 1983 तक जारी रहा. नागरिक स्वतंत्रता में कटौती कर दी गई, कोई 10,000 असंतुष्टों को हिरासत में लिया गया था, और दर्जनों मारे गए. सोलिदारनॉस्क को भूमिगत होना पड़ा और उसे 1989 तक फिर से पंजीकरण  की अनुमति नहीं दी गई. पोलैंड की स्थिति पर पश्चिमी देशों में मिश्रित प्रतिक्रिया हुई. जर्मनी के तत्कालीन चांसलर एसपीडी के हेल्मुट श्मिट ने मार्शल लॉ को पड़ोसी देश में स्थिरता का कारक बताया लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन दोनों ने इसकी निंदा की. पोलैंड में कम्युनिस्ट विरोधी आंदोलन को 1983 में नॉर्वे से बढ़ावा मिला, जब उस समय जेल में कैद लेख वालेंसा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

Berlin | ehemaliger Bundespräsident Joachim Gauck im DW Interview
पूर्व राष्ट्रपति योआखिम गाउकतस्वीर: DW/L. Pitu

सोलिदारनॉस्क की विरासत

स्वतंत्र ट्रेड यूनियन सोलिदारनॉस्क से जुड़ा लोकतांत्रिक आंदोलन अब आधुनिक पोलैंड का एक मिथक बन गया है. जब प्रधानमंत्री मातेउस मोरावित्स्की कहते हैं कि "आज का पोलैंड सोलिदारनॉस्क से विकसित हुआ है," तो वे सभी पोलिश लोगों की ओर से बोलते हैं, भले ही उनके राजनीतिक रुझान कुछ भी हो. ऐसा इसलिए है कि सोलिदारनॉस्क दक्षिणपंथ से लेकर वामपंथ तक सभी राजनीतिक धड़ों के लोगों को साम्यवादी शासन के खिलाफ एक मंच पर लाया.

और यह बात मौजूदा समय में अक्सर पोलिश राजनीतिज्ञों के बीच विवाद की वजह भी है. इस समय के ज्यादातर राजनीतिज्ञ साम्यवाद विरोधी आंदोलन से आए हैं और इस विरासत के लिए लड़ रहे हैं. पीटर ओलिवर लोएव कहते हैं, "बहुत से लोगों को खुद को सोलिदारनॉस्क की परंपरा को जारी रखने वाला समझने का अधिकार है, लेकिन हम इस समय पोलैंड में देख रहे हैं, कि सत्ताधारी दक्षिणपंथी पीएएस (कानून और न्याय पार्टी) सिर्फ खुद को अपनी विरासत का दावेदार बता रही है."

Lech Walesa ehemaliger polnischer Präsident
पोलैंड के पूर्व राष्ट्रपति वालेंसा, ग्दांस्क, 2020तस्वीर: DW/A. Holthausen

हीरो या गद्दार?

राष्ट्रवादी पीआईएस पार्टी की सत्ता के लगभग पांच वर्षों में सोलिदारनॉस्क के वे लोग जो राजनीतिक रूप से सरकार के समर्थक हैं, उन्हें आधिकारिक समारोहों नायक के रूप में पेश किया जाता है. सोलिदारनॉस्क के नेता रहे लेख वालेंसा 1990 से 1995 तक पोलैंड के राष्ट्रपति थे, लेकिन वे उनमें से एक नहीं है. उन्होंने अक्सर पीईएस सरकार की कट्टरपंथी नीतियों की तीखी आलोचना की है. वे पीआईएस पार्टी को नहीं सुहाते. सरकार समर्थक मीडिया में उन्हें आम तौर पर कम्युनिस्ट खुफिया सेवा के एजेंट के रूप में चित्रित किया जाता है.

2015 में कुछ दस्तावेजों में उन्हें पूर्व खुफिया पुलिस के साथ उनके सहयोग की ओर इशारा करते हुए पाया गया था. कहा जाता है कि 1970 में वालेंसा को इस सहयोग के लिए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 130 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी के बाद मजबूर किया गया था. लेकिन 1970 के दशक के अंत तक विपक्षी आंदोलन में शामिल होने से पहले ही खुफिया सेवा से उनके संपर्क समाप्त हो गए. पोलैंड के लोग अभी भी इस बात पर विभाजित हैं कि वाल्सा नायक हैं या गद्दार? क्या बाद की उपलब्धियों ने उनके अपराध को छुपा दिया है. इस साल भी सोलिदारनॉस्क की स्थापना की वर्षगांठ हर साल की तरह इन विवादों के साए में हुई.

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