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वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर विवाद

६ सितम्बर २०१२

भारतीय प्रधानमंत्री पर अमेरिकी अखबार की रिपोर्टिंग विवादों में घिर गई है. वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट के लिए माफी मांगने से मना कर दिया है, लेकिन भारत में ये सवाल उठ रहे हैं कि अखबार ने चोरी छिपे दूसरी जगहों से तथ्य उठाए.

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तस्वीर: AP

कहा जा रहा है कि वाशिंगटन पोस्ट ने अंग्रेजी पत्रिका 'कारवां' में छपी रिपोर्ट के कुछ अंशों को ज्यों का त्यों अपनी रिपोर्ट में छाप दिया और उसने पत्रिका को आभार भी नहीं दिया. मामला सामने आने के बाद वॉशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट में 'सुधार' कर दिया है. पत्रिका के सहायक संपादक और रिपोर्ट के लेखक विनोद के जोस ने अखबार से मांफी मांगने को कहा था.

'फॉलिंग मैन' यानि गिरता हुआ शख्स शीर्षक के नाम से मूल रिपोर्ट पत्रिका के अक्तूबर 2010 वाले अंक में प्रकाशित हुई थी. कारवां जाने माने प्रकाशन समूह दिल्ली प्रेस की मासिक पत्रिका है, जो मुख्य रूप से राजनीति, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती है.

प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी ने भी अखबार की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. पचौरी ने रिपोर्ट को एकतरफा बताते हुए इसे इधर उधर से उठाए गए बयान पर आधारित बताया है. रिपोर्टर साइमन डेनयर पर टिप्पणी करते हुए पंकज पचौरी ने लिखा, "आप मुझसे नियमित रूप से बात करते हैं लेकिन फिर भी आपने रिपोर्ट प्रकाशित कराने से पहले इस मसले पर हमसे कोई राय नहीं मांगी."

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तस्वीर: time.com

रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए पचौरी ने ईमेल भी लिखा, जिसमें कहा गया, "आप मीडिया के सामने बयान दे रहे हैं कि आपको प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के लिए वक्त नहीं दिया गया लेकिन ये सही नहीं है. आपसे सिर्फ इतना कहा गया था कि मानसून सत्र चलने तक इंटरव्यू नहीं दिया जाएगा."

उधर, डेनियर ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है, "मैंने प्रधानमंत्री से इंटरव्यू के लिए 3 बार कहा था...मेरे आवेदन पर या तो ध्यान ही नहीं दिया गया या फिर उन्हें खारिज कर दिया गया." इतना ही नहीं डेनियर ने पंकज पचौरी की टिप्पणी के जवाब में कहा है, "जब मैंने 1 जुलाई को प्रधानमंत्री से अंतिम बार इंटरव्यू के लिए कहा तो इसका जवाब 30 जुलाई को दिया गया जिसमें कहा गया कि मानसून सत्र के चलने तक प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू देने से मना कर दिया है." प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट के लिए डेनियर ने माफी मांगने से इंकार कर दिया है और कहा है कि वे अपनी स्टोरी पर कायम हैं.

इस मामले में प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू का नाम भी आया है. कारवां ने जिस वक्त प्रधानमंत्री के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की थी उस वक्त संजय बारू प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार का पद छोड़ चुके थे. संजय बारू ने अपने फेसबुक स्टेटस पर लिखा है कि डेनयर ने उनसे कभी बात ही नहीं की. बारू के मुताबिक डेनयर ने कारवां को दिए गए उनके एक बयान को अपना बनाकर रिपोर्ट में प्रकाशित कर दिया.

Manmohan Singh Premierminister Indien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

वाशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट की विश्वसनीयता के बारे में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी सवाल उठाया है. मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक कारवां के सहायक संपादक के जोस को गुहा ने ही फोन कर वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट की जानकारी दी. जोस ने रिपोर्ट लिखते वक्त गुहा का भी बयान लिया था जबकि कहा जा रहा है कि डेनयर ने गुहा से भी कोई बात नहीं की.

पांच सितंबर को मनमोहन सिंह पर पहले पेज पर छापी गई एक रिपोर्ट में वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें नाकाम और भ्रष्ट सरकार का मुखिया बताया. रिपोर्ट में कहा गया, "बेहद सम्मानित, विनम्र और बुद्धिमान टेक्नोक्रैट की छवि वाले मनमोहन सिंह.... भ्रष्टाटार में डूबी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं."

इस रिपोर्ट पर भारत सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई. सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने रिपोर्ट को 'बेबुनियाद' बताया. ये पहली बार नहीं है जब किसी बडे़ अमेरिकी अखबार या रिपोर्टर पर बयान या रिपोर्ट की हेरा फेरी के आरोप लगे हैं. इससे पहले टाइम पत्रिका के मशहूर स्तंभकार भारतीय मूल के फरीद जकारिया पर भी न्यूयॉर्कर पत्रिका से कुछ हिस्से उड़ाने के आरोप लग चुके हैं.

रिपोर्टः विश्वदीपक

संपादनः महेश झा