वैज्ञानिक समुदाय के सामने खड़ा "पागल" माइक
२ दिसम्बर २०१७माइक ह्यूज ने किसी यूनिवर्सिटी में रॉकेट साइंस की पढ़ाई नहीं की. न ही उन्होंने नासा में काम किया. लेकिन उनके मन और मस्तिष्क में जब देखो तब रॉकेट ही छाये रहते. जब भी उन्हें समय मिलता वह रॉकेटों के बारे में पढ़ते और तरह तरह के प्रयोग करते. लोगों ने उन्हें "पागल" माइक कहना शुरू कर दिया. कुछ माइक को धोखेबाज कहते हैं. लेकिन फिलहाल माइक ताने, फब्तियों और तारीफों की परवाह नहीं कर रहे हैं. वह अपनी रॉकेट दुनिया में खोये हैं.
लोग मजाक करते रहे, वो उड़ान भरता गया
मजहबी ताकतों से हारा महान वैज्ञानिक
कई साल की मेहनत के बाद अब माइक ह्यूज अपने सपने के करीब खड़े हैं. अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया के सुनसान इलाके में वह अपना रॉकेट लेकर पहुंचे हैं. जैसे ब्यूरो ऑफ लैंड मैनेजमेंट से इजाजत मिलेगी, वैसे ही माइक अपने रॉकेट पर सवार होंगे और उड़ान भरेंगे. ज्यादातर वैज्ञानिकों को लगता है कि भाप वाला रॉकेट ठीक से उड़ान नहीं भर सकेगा. ऐसी आलोचनाओं के जबाव में माइक कहते हैं, "मैं डर से लड़ता हूं. मुझसे लोगों ने बहुत कुछ कहा. किसी ने धोखेबाज कहा तो किसी ने ईमेल से कहा कि तुम मर जाओगे. लेकिन दूसरी तरफ बहुत से लोग मेरा समर्थन भी कर रहे हैं."
माइक का दावा है कि पृथ्वी संतरे की तरह गोलाकार नहीं बल्कि प्लेट की तरह फ्लैट है. अपने प्रयोगों के जरिये वह इसे भी साबित करना चाहते हैं. माइक कहते हैं कि विज्ञान में और विज्ञान जगत की काल्पनिक फिल्मों में कोई अंतर नहीं है, "मुझे लगता है कि दुनिया को ऐसे लोगों की जरूरत है जो हर चीज पर सवाल उठायें."
माइक ह्यूज को उम्मीद है कि कैलिफोर्निया के सुनसान इलाके में एक निजी संपत्ति को अपना लॉन्च पैड बनाने के लिए प्रशासन उन्हें अनुमति दे देगा. ह्यूज अपना ट्रक और उस पर लदा रॉकेट वहां पहुंचा चुके हैं. आने वाले दिनों में उन्हें अनुमति मिलने की उम्मीद है. माइक सफल हुए तो विज्ञान जगत के कई दिग्गज शर्मिंदा होंगे. और अगर माइक विफल हुए तो अगला रॉकेट बनाने में जुट जाएंगे.
(स्कूल में पीछे, जिंदगी में अव्वल)
ओएसजे/एके (एपी)