वेनेजुएला की राजनीति में उभरे गुआइदो कौन हैं?
२४ जनवरी २०१९सत्ता के गलियारे में मजबूती से उभरे इस ताजा चेहरे को हाल फिलहाल तक वेनेजुएला के लोग भी ज्यादा नहीं जानते थे. जनवरी की शुरुआत में ही उन्हें विपक्षी दलों के नियंत्रण वाली नेशनल असेंबली का अध्यक्ष चुना गया. यह कदम राष्ट्रपति निकोला मादुरो के खिलाफ अभियान तेज करने के लिए उठाया गया जिन्हें देश के भीतर और बाहर "तानाशाह" के रूप में देखा जाने लगा है.
खुआन गुआइदो ने बुधवार को मादुरो के विरोध में चीखते चिल्लाते समर्थकों के सामने खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित कर हलचल मचा दी. इसके तुरंत बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, कनाडा, और कई लातिन अमेरिकी देशों के साथ ही अमेरिकी राज्यों के संगठन ने भी उनका समर्थन करने का एलान कर दिया. हालांकि भले ही वो देश के सांकेतिक प्रमुख बन गए हैं लेकिन संभावित खतरों की आशंका उन्हें है. गुआइदो ने अपने समर्थकों से पहले ही कह दिया, "हम जानते हैं कि इसके कुछ परिणाम होंगे." इसके कुछ ही देर बाद गिरफ्तारी की आशंकाओं के बीच वे एक अज्ञात जगह पर चले गए.
पिछले हफ्ते जब गुआइदो टाउनहॉल में एक बैठक के लिए जा रहे थे तब वेनेजुएला की सेबीन खुफिया पुलिस ने उन्हें उनकी गाड़ी से खींच लिया और कुछ देर तक हिरासत में रखा. उनके विरोधी संवैधानिक संसद ने गुआइदो और उनके सहयोगियों के खिलाफ विद्रोह के आरोपों की जांच कराने की धमकी दी है. इस सदन में मादुरो के सहयोगियों का नियंत्रण है.
गुआइदो के उभार के पीछे प्रमुख भूमिका मौके और पर्दे के पीछे से मिल रहे समर्थनों की है. वेनेजुएला में आर्थिक संकट गहरा गया है. महंगाई की दर 2.3 करोड़ फीसदी तक चली गई है और बड़ी संख्या में लोग यहां से पलायन कर रहे हैं. लोग एक नए नेता की तलाश में हैं जो उन्हें इस संकट से उबार सके और ऐसे ही वक्त में गुआइदो ने देश के राजनीतिक परिदृश्य में कदम रखा है. पेशे से इंजीनियर गुआइदो के राजनीति में दूध के दांत तब टूटे जब करीब दशक भर पहले वे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए. 2015 में वह नेशनल एसेंबली के लिए चुने गए और इस साल के पहले सत्र में उन्हें एसेंबली का अध्यक्ष चुन लिया गया.
जिस वक्त गुआइदो राजनीति में उभर रहे थे उस वक्त मादुरो उन्हें नौसिखिया बताने में जुटे थे. यहां तक कि उनके नाम को लेकर भी उलझन फैलाने की कोशिशें की कि वे "गुआइदो" हैं या "ग्वायर." ग्वायर एक बेहद प्रदूषित नदी है जो राजधानी काराकश से हो कर बहती है. हालांकि बुधवार को स्वघोषित राष्ट्रपति बनने और अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी समर्थन की गूंज सुनने के बाद मादुरो ने जल्दबाजी में अमेरिका से कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने और अमेरिकी राजदूत को 72 घंटे के भीतर देश छोड़ने के आदेश देने जैसे कदम उठाए हैं.
गुआइदो के इस मजबूत उभार के पीछे सबसे बड़ा हाथ है वेनेजुएला के सबसे मशहूर विपक्षी नेता लियोपोल्डो लोपेज का जो इन दिनों नजरबंद हैं. सरकार विरोधी उन्हें राजनीतिक कैदी मानते हैं. 2017 में मादुरो ने संवैधानिक एसेंबली का गठन किया और नेशनल एसेंबली के अधिकार छीन लिए गए. ऐसे में बहुत से लोगों ने मान लिया कि नेशनल एसेंबली बेकार हो गई है, लेकिन लोपेज पर्दे के पीछे से ही अपनी पॉपुलर विल पार्टी के लिए काम करते रहे और नेशनल एसेंबली का नेतृत्व उनकी पार्टी के हाथ में आ गया. इसके बाद वे गुआइदो को इस राजनीति के केंद्र में ले आए. इसकी एक वजह यह भी है कि पॉपुलर विल पार्टी के शीर्ष आठ नेताओं को 2014 से अब तक देशनिकाला दिया जा चुका है.
गुआइदो कई सालों से लोपेज के सहायक रहे हैं. 2014 में जब लोपेज ने न्यूज कांफ्रेंस में मादुरो विरोधी अभियान की रणनीति का एलान किया तो लोगों ने उनके पीछे खड़े गुआइदो को देखा था. उस वक्त "द एग्जिट" कही जा रही इस रणनीति ने विपक्ष को विभाजित कर दिया क्योंकि यह मादुरो के सत्ता में आने के एक साल के भीतर ही बन गई और तब उनकी सत्ता को लोगों को भरपूर समर्थन था. नाम जाहिर ना करने की शर्त पर लोपेज के एक सहयोगी ने बताया कि गुआइदो और लोपेज हर रोज दर्जन भर से ज्यादा बार बात करते हैं और गुआइदो का हर कदम लोपेज के मशविरे के बाद ही तय होता है.
आलोचकों का कहना है कि गुआइदो में राजनीतिक दृष्टि की कमी है. नेशनल एसेंबली का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने जो भाषण दिया उसमें मादुरो की सत्ता को उखाड़ फेंकने के तो खूब जुमले थे लेकिन देश की स्थिति को सुधारने की कोई स्पष्ट योजना नहीं थी. वे काफी युवा हैं और बहुत से लोग मानते हैं कि हताश विपक्ष में जान फूंक पाने में उनका कम अनुभव बाधा बनेगा. मादुरो नेशनल एसेंबली को क्रांति के पहले के अभिजात्य वर्ग के दबदबे का केंद्र बताते हैं.
कुछ दिन पहले गुआइदो ने समाचार एजेंसी एपी से कहा था कि उन्हें इस बात का डर नहीं है कि उनका हश्र भी दूसरे सहयोगी नेताओं जैसा ही होगा. 2017 में मादुरो के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उन्हें गर्दन पर रबर बुलेट भी लगी थी जिसके निशान अब भी मौजूद हैं. उसे दिखाते हुए वो कहते हैं, "मेरे पास अब भी वो तोप का गोला है जो यहां गिरा था."
गुआइदो जब 15 साल के थे तब देश में समाजवादी परिवर्तन की लहर थी, देश की सत्ता मादुरो के उस्ताद ह्यूगो चावेज के हाथ में थी. गुआइदो और उनका परिवार उस वक्त घनघोर कीचड़ धंसने की आपदा के चपेट में आया था. तटवर्ती शहर ला ग्वेरा में इस आपदा की वजह से हजारों लोगों की जान गई और बहुत से लोग बेघर हो गए. मुश्कलों से लड़ने का अनुभव शायद गुआइदो को तभी मिला. वो कहते हैं, "हम लोग उत्तरजीवी हैं, अगर वे खुआन गुआइदो को कैद कर लेगें तो कोई और उठ खड़ा होगा क्योंकि यह पीढ़ी पीछे नहीं हटने वाली."
एनआर/ओएसजे (एपी)