विमानों पर कार्बन टैक्स से व्यापार युद्ध
१२ जून २०१२आएटा का कहना है कि व्यापार युद्ध का नुकसान यूरोप को भुगतना पड़ सकता है. यूरोप की ईटीएस (एमिशन ट्रेडिंग स्कीम) योजना के अंतर्गत यूरोपीय संघ में आने वाली या वहां से जाने वाली उड़ानों को कार्बन उत्सर्जन के कारण अतिरिक्त कर देना होगा. कार्बन उत्सर्जन के लिए एक सीमा तय की गई है. इस से ज्यादा होने पर ही कर चुकाना होगा. इस टैक्स के कारण हवाई कंपनियों का खर्च बढ़ रहा है और उन्हें टिकटों के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं. कंपनियों की शिकायत है कि वे पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही हैं. अब टैक्स बढ़ने से उनकी दिक्कतें भी बढ़ रही हैं.
इस योजना को 1 जनवरी से ही लागू कर दिया गया था. सभी कंपनियों के लिए जून के मध्य की समय सीमा तय की गई थी. लेकिन चीन और भारत के इनकार के कारण इसे टालना पड़ा. आएटा के अध्यक्ष टोनी टायलर ने इस बारे में कहा, "यूरोपीय आयोग हमेशा कहता रहा है कि हम अपनी योजना में कोई बदलाव नहीं कर सकते, लेकिन जैसे ही चीन और भारत की कंपनियों ने उसे मानने से मना कर दिया, उन्होंने उन्हें और समय दे दिया."
आएटा की सालाना बैठक में उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, "यह दिखाता है कि कुछ लचीलापन तो है. तो वे इस पूरी योजना को ही स्थगित क्यों नहीं कर देते. वे समय सीमा को लेकर भी लचीलापन दिखा सकते हैं." टायलर ने कहा कि इससे व्यापार युद्ध जैसी स्थिति आ सकती है जिसमें सरकारें और हवाई कंपनियां यूरोप से जहाज और पुर्जे खरीदने से इनकार कर सकती हैं, या फिर यूरोपीय जहाजों को अपने देश के ऊपर से गुजरने की अनुमती देने से भी मना कर सकते हैं.
टायलर के मुताबिक किसी भी कंपनी को, चाहे वह यूरोपीय हो या गैर यूरोपीय, यूरोप की सरकारों के असामान्य व्यवहार का निशाना नहीं बनना चाहिए.
आईबी/एएम (एएफपी, एपी)