विपक्ष ने ठुकराई ज़िम्बाब्वे में एकता सरकार की मांग
२ जुलाई २००८विपक्षी मूवमेंट फॉर डेमोक्रैटिक चेंज एमडीसी के नेता मॉर्गन च्वांगिराई ने अफ़्रीकी संघ की राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने की अपीलों को ठुकरा दिया है और कहा है कि देश की परिस्थिति वार्ता के लिए उपयुक्त नहीं है.
ज़िम्बाब्वे प्रस्ताव की आलोचना
अफ़्रीकी संघ की शिखर भेंट के एक दिन बाद बुधवार को हरारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता सरकार से न तो देश की समस्याओं का समाधान होगा और न ही जनता की इच्छा प्रतिबिंबित होगी.
च्वांगिराई ने अफ़्रीकी संघ के ज़िम्बाब्वे प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें 27 जून को हुए चुनाव की अवैधता को स्वीकार नहीं किया गया है.
मॉर्गन च्वांगिराई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की सरकार ने अफ़्रीकी संघ के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए उसे संवाद की मुगाबे की अपील की प्रतिध्वनि बताया था. च्वांगिराई ने कहा है कि वे संवाद के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन यह बातचीत एक अंतरिम संधि के लिए हो जिसका लक्ष्य नए चुनाव हों.
उन्होंने एक बार फिर कहा कि यदि संवाद शुरू करना है तो पहले ज़ानू पीएफ़ को हिंसा रोकनी होगी, एमडीसी नेताओं और समर्थकों का उत्पीड़न बंद करना होगा.
बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव
इस बीच ज़िम्बाब्वे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. हालांकि दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति थाबो म्बेकी ने बाहरी हल थोपने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी है यूरोपीय संघ ने एक बार फिर कहा है कि किसी भी नई सरकार का मुखिया च्वांगिराई को होना चाहिए.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को फ़ोन कर एक मध्यस्थ भेजने की अपील की है.
जर्मनी द्वारा प्रतिबंधों का समर्थन
जर्मन सरकार ने ज़िम्बाब्वे की सरकार पर और प्रतिबंध लगाने की पक्ष लिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता येन्स प्लौएटनर ने कहा है कि मौके पर अस्वीकारणीय परस्थितियों के कारण बर्लिन यूरोपीय संघ से और प्रतिबंध लगाने को कहेगा.
बैंक नोट छापने वाली जर्मन कंपनी गीज़ेके व डेवरींट ने ज़िम्बाब्वे सेंट्रल बैंक को नोट छापने के लिए विशेष कागज़ों की आपूर्ति तुरंत रोक दी है. लगातार बढ़ती मुद्रास्फ़ीति के कारण ज़िम्बाब्वे को नियमित रूप से नए नोट छापने होते हैं. इस समय वहाँ मुद्रास्फ़ीति की दर एक लाख प्रतिशत है.