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विदेशियों को क्यों नहीं भाता जर्मनी?

६ सितम्बर २०१८

कारोबार के लिहाज से जर्मनी बेहद ही आकर्षक है, नौकरियों की भी यहां कमी नहीं. फिर भी ऐसा क्या है जिसके चलते कामकाजी विदेशियों को यहां अपने घर जैसा महसूस नहीं होता. सारी अच्छी बातों के बाद भी इन्हें क्यों नहीं भाता जर्मनी?

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Frankreich Wahlen
तस्वीर: Reuters/L.MacGregor

कामकाज के चलते जर्मनी आए विदेशी लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या होती होगी? शायद महंगे किराये, किंडरगार्टन की कमी, या रहन-सहन का ऊंचा स्तर. खैर, ये कुछ समस्याएं तो जर्मनी के लोग भी झेलते हैं, लेकिन विदेशियों को जो बिल्कुल नहीं भाता वह है जर्मन लोगों का रूखा रवैया. विदेशी महसूस करते हैं कि जर्मनी के लोग विदेशियों के प्रति गर्माहट नहीं रखते. ऐसा भी नहीं है कि जर्मन लोगों को लेकर ये शिकायतें सिर्फ नए लोगों की हैं. सालों से जर्मनी में रह रहे लोग भी यह कहते नहीं चूकते कि जर्मन लोग दोस्ताना मिजाज वाले नहीं होते. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इंटरनेशंस ऑर्गेनाइजेशन के हालिया सर्वे जर्मन लोगों की ऐसी ही पोल पट्टी खोल रहे हैं.

68 देशों पर हुई इस स्टडी में जर्मनी को 36वें पायदान पर रखा गया है. चार साल पहले 2014 में जर्मनी ने इस सर्वे में 12वां स्थान प्राप्त किया था. इंटरनेशंस के सह-संस्थापक माल्टे त्सीक कहते हैं, "जर्मनी की स्टडी में शामिल 56 फीसदी लोग मानते हैं कि यहां स्थानीय लोगों से दोस्ती करना बहुत मुश्किल है." वहीं पूरी दुनिया को लेकर की गई स्टडी में त्सीक के मुताबिक, "महज 36 फीसदी लोग ही कहते हैं कि नए देशों में उनके लिए दोस्ती करना मुश्किल रहा." त्सीक कहते हैं कि प्रवासियों को लेकर होने वाली बहसें भी इन लोगों को बहुत नहीं भाती हैं.

Deutschland Fussgängerzone
तस्वीर: imago/R. Wölk

अच्छी नौकरियां और मजबूत अर्थव्यवस्था के चलते अब भी जर्मनी विदेशियों के लिए काफी अहम है. बर्लिन के जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च के प्रमुख मार्चेल फ्रेश्चर कहते हैं की काम के लिहाज से जर्मनी अब भी विदेशियों के लिए बेहद आकर्षक है. उन्होंने बताया, "पिछले 10 सालों में, हर साल यूरोपीय संघ के देशों के करीब तीन लाख लोग काम के लिए जर्मनी आते हैं. कारण यही है कि जर्मनी उन्हें अच्छी नौकरी और ट्रेनिंग के बेहतरीन मौके देता है. मुझे नहीं लगता है कि इस ट्रेंड में जल्द कोई बदलाव आने वाला है."

कुशल श्रमिकों की कमी

ऐसा भी नहीं है कि जर्मनी को विदेशों से आने वाले कामकाजी लोगों की जरूरत ही नहीं है. देश आज कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है. बदलती परिस्थितयों में जर्मनी के लिए भी जरूरी है कि वह स्वयं को विदेशियों के अनुकूल बनाए. कई आर्थिक विशेषज्ञ यह भी तर्क देते हैं कि कुशल और दक्ष कामगार दुनिया के किसी भी देश में जा सकता है. वे जर्मनी को तभी चुनेंगे जब उन्हें यहां अच्छा काम और समाज में स्वीकार्यता मिले. हालांकि ये रास्ता इतना आसान नहीं है. 

सबसे अच्छा बहरीन

लगातार दूसरे साल एक्सपैट इनसाइडर रैंकिंग में बहरीन को पहले स्थान मिला है. यह देश विदेशियों को आसान लगता हैं, यहां रहना और काम दोनों ही उन्हें खूब भाता है. बहरीन के बाद ताइवान भी "क्वालिटी ऑफ लाइफ" के हिसाब से लोगों की दूसरी पसंद है. सर्वे में 187 देशों के 18000 बाहरी लोग शामिल हुए. इनमें करीब 1692 बाहरी लोग जर्मनी के थे. सर्वे में तथ्यात्मक सवालों पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया बल्कि लोगों के अनुभव के आधारों पर ही रहने के खर्च आदि की तुलना की गई. हर देश से कम से कम 75 लोगों की जरूरत थी, अंत में 187 देशों में से 68 देशों को रैंकिंग दी गई.

डिजिटल दुनिया

सर्वे में पहली बार "डिजिटल लाइफ" से जुड़े भी सवाल पूछे गए. इसमें बाजी मारी एस्टोनिया ने. एस्टोनिया में नागरिक हर प्रशासनिक मामले को ऑनलाइन ही निपटा सकते हैं. यहां तक कि बच्चे साइबर सुरक्षा की महत्ता को सीख सकते हैं. डिजिटल लाइफ के मामले में भी जर्मनी का प्रदर्शन काफी खराब रहा और इसे 53वें स्थान पर रखा गया.

जेनिफर वाग्नर/एए