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समाज

वाराणसी में मुंशी प्रेमचंद की विरासत का कोई दावेदार नहीं

२७ अगस्त २०१९

उनकी कहानियों में आम इंसान के साथ जिस तरह की घटनाएं घटती थीं कुछ वैसा ही असल जिंदगी में उनकी संपत्ति के साथ हो रहा है. कभी घर की बिजली काट दी जाती है, तो कभी मकान मालिक की ही कोई खबर नहीं.

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Indien Haus des Schriftstellers Munshi Premchand
तस्वीर: DW/S. Waheed

"वह अमर लेखक हैं, जिनका लेखन दुनिया भर के दिलों में है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में उल्लेख किया था कि मुंशी प्रेमचंद की कहानियों ने उन्हें बेहद प्रभावित किया है. उन्होंने कहा था, "मुंशी प्रेमचंद की कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं. उनकी कहानियां समाज का वास्तविक चित्रण करती हैं और लगातार, सरल मानवीय भावनाओं को प्रकट करती हैं." 'नशा' का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, "इसे पढ़ने पर मैंने अपने युवा दिनों को याद किया जब व्यापक गरीबी थी. यह हमें खराब संगति से सावधान रखने की सीख देती है. 'ईदगाह' ने भी मुझे गहराई तक छुआ है."

प्रेमचंद और प्रधानमंत्री मोदी दोनों का संबंध वाराणसी से है. प्रेमचंद का जन्म लमही में हुआ, जो प्रधानमंत्री के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का एक गांव है. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने जुलाई में प्रेमचंद की 139वीं जयंती पर कथित तौर पर बकाए को लेकर उनके पैतृक घर की बिजली आपूर्ति काट दी. लमही के निवासी और 2011 से लमही महोत्सव के आयोजक दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि घर की बिजली आपूर्ति करीब एक हफ्ते तक कटी रही. उन्होंने कहा, "हमने कहानीकार की 139वीं जयंती 31 जुलाई को मोमबत्ती और लालटेन की रोशनी में मनाने की तैयारी की. मीडिया द्वारा मुद्दे को उठाए जाने पर बिजली आपूर्ति बहाल की गई."

Der indische Schriftsteller Premchand ACHTUNG SCHLECHTE QUALITÄT
तस्वीर: public domain

हालांकि, वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने लेखक के पैतृक घर की बिजली कभी काटे जाने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि दिवंगत लेखक के दो कमरे के घर की पेंटिंग में लगे कुछ मजदूरों की लापरवाही के कारण बिजली की लाइन टूट गई. गांव के दो घर मुंशी प्रेमचंद से जोड़ते हैं. इनमें एक उनका पैतृक घर और दूसरा संग्रहालय है जो उनके नाम पर है. सिंह ने कहा, "संग्रहालय का प्रबंधन राज्य के संस्कृति विभाग द्वारा होता है, घर उनकी निजी संपत्ति है, लेकिन प्रसिद्ध लेखक का कोई परिजन कभी यहां नहीं आया है."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंशी प्रेमचंद में रुचि जाहिर करने के बाद से वाराणसी प्रशासन महान लेखक के परिवार की जानकारी करने की कोशिश कर रहा है. वाराणसी प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, "घर के स्वामित्व का पता लगाने के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं और न ही कभी किसी ने दौरा किया है. स्थानीय लोगों को उनके परिवार के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है."

प्रेमचंद के दो बेटे थे. अमृत राय व श्रीपत राय, जो इलाहाबाद में रहे और एक बेटी थी कमला. सूत्रों के अनुसार बेटे कभी लमही नहीं आए. श्रीवास्तव ने कहा, "मुंशी प्रेमचंद का जीवन विडंबनाओं से भरा रहा. उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, उन्हें हमेशा पैसे की तंगी रही. यहां के लोगों का कहना है कि उनका परिवारिक जीवन इसकी वजह से अशांत रहा और शायद यही वजह है कि उनकी विरासत के लिए कोई दावा नहीं करता."

Indien Haus des Schriftstellers Munshi Premchand
तस्वीर: DW/S. Waheed

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही में हुआ और उनका निधन 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में हुआ. वाराणसी विकास प्राधिकरण ने उनकी इमारत की मरम्मत व रंगाई का काम किया है. लेखक के पैतृक घर की मरम्मत का कार्य 2015 में शुरू हुआ, जब बेंगलुरू के एक हिंदी शिक्षक विनय कुमार यादव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की और प्रेमचंद की याद को संरक्षित करने को कहा. लेखक व साहित्यकार अब चाहते हैं कि सरकार मुंशी प्रेमचंद की याद में लमही में स्मारक बनाएं.

जानी मानी हिंदी लेखिका वंदना मिश्रा ने इस बारे में कहा, "मुंशी प्रेमचंद के घर को संग्रहालय में बदला जाना चाहिए. उनके कार्यों पर एक पुस्तकालय होना चाहिए और हिंदी विद्वानों के लिए एक शोध केंद्र होना चाहिए. मुंशी प्रेमचंद का कार्य आज भी प्रासंगिक है."

अमिता वर्मा (आईएएनएस)

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