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वर्ल्ड कप में होगी पोंटिंग की अग्नि परीक्षा

७ फ़रवरी २०११

रिकी पोंटिंग भले ही ऑस्ट्रेलिया को लगातार तीन वर्ल्ड कप जिताने वाले खिलाड़ी हों पर फिलहाल उन्हें तीन एशेज गंवाने वाले कप्तान के रूप में याद किया जा रहा है. ऐसे में 2011 वर्ल्ड कप उनकी अग्नि परीक्षा साबित होने वाला है.

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तस्वीर: AP

और इन सबके बाद उनकी छोटी अंगुली ने नाक में दम कर रखा है. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान यह टूट गई और फिर पोंटिंग को क्रिकेट से बाहर होना पड़ा. इसके बाद से वह टेस्ट मैच नहीं खेल पाए हैं और वनडे में उनके बगैर ऑस्ट्रेलिया की टीम ने शानदार प्रदर्शन करके इंग्लैंड को 6-1 से शिकस्त दी है.

Ricky Ponting
तस्वीर: AP

पर पोंटिंग अपने आप को साबित करने में लगे हैं. उनका कहना है, "मैं अभी खेलते रहना चाहता हूं. मैं अपनी टीम का नेतृत्व करते रहना चाहता हूं. मुझे अभी भी लगता है कि दोनों ही रूप में मैं अभी बहुत कुछ दे सकता हूं."

ताजा बातें ज्यादा याद रहती हैं. लोग पोंटिंग को उनकी नाकामी के लिए याद कर रहे हैं और 36 साल की उम्र में उन्हें रिटायर होने की सलाह भी दे रहे हैं. लेकिन पोंटिंग अपने करियर का दुखांत नहीं देखना चाहते. वह कहते हैं, "उम्मीद करता हूं कि मैं ऐसे कप्तान के रूप में नहीं याद किया जाऊंगा, जिसने तीन एशेज सीरीज हारी हैं. दूसरी कई चीजें हैं, जो मेरे खिलाड़ी रहते हुई हैं और वे बड़ी अच्छी चीजें हैं."

पोंटिंग ने लगातार चार वर्ल्ड कप खेला है, जिनमें से तीन में उन्होंने कप्तानी की है. तीनों ही बार ऑस्ट्रेलिया ने खिताब जीता है और कप्तान के तौर पर रिकी पोंटिंग ने वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं हारा है. वह वर्ल्ड कप के 39 मैच खेल चुके हैं.

Cricket Ashes Cup Englad Australien Juli 2009
तस्वीर: AP

चोट के बाद पोंटिंग को इंग्लैंड के खिलाफ सिडनी टेस्ट से हटना पड़ा और माइकल क्लार्क ने कप्तानी का जिम्मा संभाल लिया. पोंटिंग का कहना है, "अगर सच कहूं तो मुझे अभी भी अंगुली में दर्द है. मुझे नहीं लगता कि यह ऐसी चीज है, जो एकदम से ठीक हो जाएगी."

ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्ड कप में पहला मैच जिम्बाब्वे के खिलाफ 21 फरवरी को है. उससे पहले वह दो अभ्यास मैच खेलने वाली है. पोंटिंग को उम्मीद है कि वह अभ्यास मैचों में खेल पाएंगे.

निश्चित तौर पर पोंटिंग का यह आखिरी वर्ल्ड कप है, जो खिलाड़ी के तौर पर उनकी अग्नि परीक्षा साबित होगा. अगर वह अपनी टीम को कामयाबी दिलाते हैं तो वह वर्ल्ड कप के सबसे सफल कप्तान के तौर पर स्थापित होकर क्रिकेट को अलविदा कह सकते हैं. नाकाम रहे, तो बदनुमा दाग तो लगेगा ही, टेस्ट क्रिकेट में वापसी के दरवाजे भी बंद हो सकते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः वी कुमार

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