वयस्कों पर भी हमला करती है एलर्जी
११ अगस्त २०१७अमेरिका में हुआ एक शोध एलर्जी और उम्र के रिश्ते पर कई सटीक जवाब दे रहा है. अमेरिका में करीब 52 फीसदी लोगों को 18 साल के बाद एलर्जी संबंधी समस्याएं सामने आईं. इनमें से ज्यादातर खाने से जुड़ी थीं. बच्चों और वयस्कों में एलर्जी का असर दूसरे ढंग से होता है. ज्यादातर बच्चे धीरे धीरे एलर्जी से बाहर आ जाते हैं, लेकिन वयस्क होने के बाद सामने आने वाली एलर्जी लंबे वक्त तक बनी रहती है.
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की एलर्जी रिसर्चर डॉक्टर रुचि गुप्ता कहती हैं, "आप वयस्कों के मुंह से खाने संबंधी एलर्जी की बातें ज्यादा से ज्यादा सुनेंगे." डॉक्टर गुप्ता की अगुवाई में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पूरे अमेरिका में 40,447 वयस्कों का सर्वे किया. शोध में पता चला कि ज्यादातर लोगों को बचपन में दूध, अंडे, मैदे, सोयाबीन, मूंगफली, मेवों, मछली और कवचधारी समुद्री जीवों से एलर्जी थी. और जिन लोगों को बचपन में इन चीजों से एलर्जी नहीं थी, उन्हें भी जवानी में इनमें से किसी एक खाने एलर्जी होने लगी. कुछ लोगों को जवानी में पेड़ पौधों के पराग से भी एलर्जी होने लगती है.
रुचि गुप्ता के मुताबिक जवानी में कई लोगों के बीच एलर्जी एक तरह से स्विच ऑन हो जाती है. इसके कई कारण होते हैं, जैसे गर्भधारण, हार्मोनल बदलाव या किसी वायरल इंफेक्शन के बाद एलर्जी सामने आना. अभी यह पता नहीं चला है कि ऐसा होता क्यों है.
एलर्जी के स्तर भी अलग अलग होते हैं. कुछ चीजों से इंसान को हल्की एलर्जी होती है, यानि छींक आना, त्वचा का लाल हो जाना, खुजली लगना या दाने उभर आना. उल्टी होना और बार बार किसी चीज को खाने या फिर किसी जगह जाने पर सांस लेने में मुश्किल हो तो यह गंभीर एलर्जी का लक्षण है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे में एलर्जी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए.
(अद्भुत है इंसान का शरीर)
ओंकार सिंह जनौटी