1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लॉकडाउन में लोकतंत्र हुआ ऑनलाइन

१९ मई २०२०

कोरोना वायरस ने जर्मनी में राजनीतिक पार्टियों को डिजिटल लोकतंत्र के रास्ते पर जाने को मजबूर कर दिया है. लाइवस्ट्रीमिंग से पार्टी और सरकार की बैठकें हो रही हैं. लेकिन डिजिटल डेमोक्रेसी की अपनी सीमाएं हैं.

https://p.dw.com/p/3cTCm
इंटरनेट
लॉकडाउन में इंटरनेट बना सहारातस्वीर: picture-alliance/dpa/M Gambarini

कोरोना वायरस ने आम जनजीवन को ठप कर दिया. ऐसे में बहुत सी पार्टियों ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशनों को साल के आखिर तक टाल दिया है. ऐसे अधिवेशनों में पार्टी का नेतृत्व चुनने के साथ ही रणनीतियों पर चर्चा होती है.

जर्मन चांसलर अगेला मैर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) की सहयोगी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) 22 मई को अपनी ऑनलाइन पार्टी कॉन्फ्रेंस बुलाएगी. संघीय डिजिटाइजेशन मंत्री और सीएसयू की सांसद डोरोथी बेयर कहती हैं, "जब भी बात पार्टी के डिजिटल काम की आती है तो सीएसयू हमेशा अग्रणी रही है."

सीएसयू ने पिछले साल ही अपने नियमों में बदलाव करते हुए डिजिटल पार्टी अधिवेशन की अनुमति दे दी थी. वह कहती हैं कि डिजिटल पार्टी कॉन्फ्रेंस के बहुत फायदे होते हैं. वह बताती हैं, "मिसाल के तौर पर, मेरे निर्वाचन क्षेत्र से किसी प्रतिनिधि को म्यूनिख तक आने के लिए तीन से चार घंटे कार से सफर करना पड़ता है." उनके मुताबिक पार्टी के अंदरूनी सर्वे बताते हैं कि पार्टी के 90 फीसदी सदस्य पार्टी के काम को और ज्यादा डिजिटल बनाने के हक में हैं.

जर्मनी की ग्रीन पार्टी
ग्रीन पार्टी के नेताओं ने इंटरनेट के जरिए की बैठकतस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld

इससे पहले ग्रीन पार्टी ने अपनी डिजिटल बैठक की. यह पार्टी अधिवेशन नहीं था, बल्कि राज्यों की परिषद की नियमित बैठक थी. यह परिषद संघीय स्तर पर पार्टी के काम, विभिन्न आयोजनों और राज्यों तथा संघ के बीच तालमेल बिठाने पर चर्चा करती है. लाइवस्ट्रीम में देश भर से 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और इसे 30 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा. पार्टी के दोनों नेता रॉबर्ट हाबेक और अनालेना बैयरबॉक राजधानी बर्लिन से इस इवेंट में शामिल हुए.

ये भी पढ़िए: इंटरनेट में एक मिनट में होता है इतना सब कुछ

पीछे है जर्मनी

मार्टिन फुक्स एक राजनीतिक सलाहकार और ब्लॉगर हैं. वे राजनीति और उसके डिजिटल संचार पर लिखते हैं. वह कहते हैं, "मुझे इस बात की खुशी है कि समाज बहुत तेजी से डिजिटल हो रहा है." मार्टिन फुक्स के अनुसार जब इंटरनेट को अपनाने की बात आती है तो जर्मन राजनीति उन्हें पीछे दिखाई देती है, खासकर यदि दुनिया के दूसरे हिस्सों से उसकी तुलना करें.

मिसाल के तौर पर एस्टोनिया डिजिटल शासन के मामले में अग्रणी रहा है. उसकी सभी सार्वजनिक सेवाएं ऑनलाइन हैं और उसके कम से कम 44 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं दक्षिण कोरिया में सरकार 14 भाषाओं में मौजूद एक पोर्टल का इस्तेमाल कर रही है जिसके जरिए नागरिक नीति निर्धारण में शामिल हो सकते हैं और प्रशासनिक मामलों पर नजर रख सकते हैं. मार्च में यूरोपीय संसद ने लॉकडाउन की वजह से ब्रसेल्स ना आ सकने वाले अपने सदस्यों को डिजिटल वोट देने की अनुमति दी. यूरोपीय संसद के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है.

सीमित संवाद

मार्टिन फुक्स मानते हैं कि वर्चुअल पार्टी सम्मेलनों से लोकतंत्र को विविध बनाने में मदद मिलती है, लेकिन उनकी राय में वे व्यक्तिगत पार्टी सम्मेलनों की जगह नहीं ले सकते हैं. एक जगह पर इतने सारे लोगों से मिलना, अपने समर्थकों और विरोधियों से आमना सामना करना और पत्रकारों के सवाल जवाब, इस सबकी जगह वर्चुअल अधिवेशन नहीं ले सकते हैं. उनकी राय है, "पार्टी अधिवेशन सिर्फ भाषणों के लिए महत्वपूर्ण नहीं होते, बल्कि वे नेटवर्किंग के लिए भी जरूरी होते हैं."

इंटरनेट ब्लॉगर फुक्स
फुक्स कहते हैं कि डिजिटलीकरण की दिशा में जर्मनी अभी काफी कुछ करना हैतस्वीर: Privat

जर्मनी की एफडीपी पार्टी के सांसद मार्को बुशमन राजनीति और समाज के पूरे डिजिटलीकरण को एक "अवसर" मानते हैं. वह जर्मन संसद बुंडेसटाग के उस कार्यबल का हिस्सा हैं जो सरकार को डिजिटाइजेशन को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. वह कहते हैं, "इस वक्त, हमारे पास राजनीति और समाज में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा अवसर है क्योंकि हम अपनी पुरानी आपत्तियों को पीछे छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं."

लॉकडाउन से तंग

राजनीतिक पार्टियां जहां लॉकडाउन की वजह से लोगों से जुड़ने के लिए इंटरनेट का सहारा ले रही हैं, वहीं कई लोग अपने घरों पर रह-रह कर थक गए हैं. वीकेंड पर जर्मनी, अमेरिका, पोलैंड और इंग्लैंड में कुछ लोग लॉकडाउन के विरोध में सड़कों पर उतरे. उनका कहना है कि सरकारों की तरफ से लगाई गई पाबंदियों से ना सिर्फ व्यक्तिगत "आजादियों का हनन" हो रहा है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो रहा है. 

यूं जैसे जैसे हालात सुधर रहे हैं, यूरोपीय देशों में पाबंदियों में ढील दी जा रही है. लेकिन लोगों का संयम अब जवाब दे रहा है. अलग अलग तरह के लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकार चाहते हैं. उसमें प्रदर्शन करने का अधिकार भी शामिल है. अदालत ने प्रदर्शन करने के अधिकार को शर्तों के साथ सही माना है. लेकिन कुछ लोग शर्तें तोड़ भी रहे हैं. बर्लिन में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे करीब 300 लोगों को गिरफ्तार किया. जर्मन राजधानी में फिलहाल 20 से ज्यादा लोगों के एक जगह जमा होने पर रोक है.

रिपोर्ट: फोल्कर विटिंग, मार्टिन कुइब्लर

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें