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लीबिया कांड में श्रोएडर पर सवाल

सुनंदा राव७ अप्रैल २००८

लीबिया के सुरक्षाबलों को ट्रेनिंग देने के मामले में जर्मनी के रक्षा मंत्रालय पर आरोप लग रहे हैं। पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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श्रोएडर और गद्दाफ़ी में डील की ख़बरें
श्रोएडर और गद्दाफ़ी में डील की ख़बरेंतस्वीर: AP

जर्मन विशेष पुलिसकर्मियों की लीबिया में राष्ट्रपति मुअम्मर अल ग़द्दाफी के सुरक्षा अधिरकारियों को दी गई ट्रेनिंग का मामला गहराता जा रहा है। वक्त के साथ साथ नई बातें सामने आ रही हैं और बात ये भी हो रही है कि इसके बारे में बड़े बड़े नेताओं तक को खबर थी। लेकिन अब तक केवल अटकलें ही लगाई जा रही हैं, पुष्टि किसी चीज़ की नहीं हो पाई है।

लीबिया के सुरक्षा अधिकारियों को दी गई ट्रेनिंग का स्कैंडल वक्त के साथ पेचीदा होता जा रहा है। बिल्ड आम जॉन्टाग अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि घोटाले के वक्त देश के चांसलर रहे गैरहार्ड श्रोएडर ने लीबिया के राष्ट्रपति ग़द्दाफी के साथ डील की थी। 2004 में इन दोनों के बीच मुलाक़ात हुई, जिसमें श्रोएडर ने प्रशिक्षण दिलवाने का वादा किया। लेकिन श्रोएडर ने ऐसा क्यों किया।

लीबिया, पहले तो जर्मनी को एक आंख नहीं भाता था। वहां हो रहे मानवाधिकारों के हनन की जर्मनी हमेशा से आलोचना करता था। अखबार लिखता है कि श्रोएडर इस क़दम से वालर्ट परिवार अपहरण मामले में ग़द्दाफी का आभार प्रकट करना चाहते थे। सन् 2000 में वालर्ट परिवार के सदस्यों को फिलिपींस में अग़वा कर लिया गया, जिसके बाद कर्नल ग़द्दाफ़ी के प्रयासों से उन्हें छुड़ाया जा सका।

जब इस कांड का पता चला, तो बताया गया कि नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य के आठ पुलिसकर्मियों ने छुट्टियों के दौरान लीबिया में ट्रेनिंग दी और इसके लिए बाक़ायदा फ़ीस वसूली। बताया गया कि उनके अफसरों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। आरोपियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू हो गया है।

"इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि इसमें जर्मन गुप्तचर विभाग का हाथ था। हमारे पास इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है कि त्रिपोली में जर्मन दूतावास में इस विषय को लेकर कोई बातचीत हुई थी।" - सरकारी वकील के प्रवक्ता योहानेस मॉकेन

जर्मन गुप्तचर विभाग बीएनडी इस मामले की जानकारी होने से इनकार करता है। एक और जर्मन अखबार बेर्लीनर टागेस्श्पीगल लिखता है कि इस पूरे मामले में रक्षा मंत्रालय भी शामिल था। अख़बार की रिपोर्ट कहती है कि जर्मन सेना के चीफ इंस्पेक्टर के बॉडीगार्ड के बॉस वोल्फगांग श्नाइडरहान ने 2005 और 2006 में लीबियाई सुरक्षाबलों को प्रशिक्षण दिया। रक्षा मंत्रालय ने 2006 में खुद इस मामले की जांच के आदेश दिये थे।

समाचार पत्रिका डेयर श्पीगल के अनुसार त्रिपोली में जर्मन दूतावास तक इस प्रशिक्षण के मामले में शामिल था। राजनीतिक पार्टियां मामले की तह तक जाना चाहती हैं।

"अगर पता चला कि बीएनडी को जानकारी थी कि क्या हो रहा है या फिर जर्मन दूतावास की अनुमति थी तो ये मेरी समझ से बाहर है।" - सत्तारूढ़ पार्टी सीडीयू के संसदीय दल के अध्यक्ष वोल्फगांग बोसबाख

जर्मनी की केंद्रीय सुरक्षा विभाग से जुड़े इस मुद्दे की जानकारी अभी तक सिर्फ़ मीडिया के ज़रिए ही सामने आ रही है। अब राजनीतिक पार्टियां इस पूरे मसले की छानबीन चाहती हैं। बुधवार को जब संसद का सत्र शुरू होगा, तो इस मामले के छाए रहने की संभावना है।