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रेडियो प्रसारण ने हजारों बच्चों की जान बचाई

१७ जुलाई २०१८

स्मार्टफोन के जमाने में जहां भारत में फेक न्यूज की वजह से लोगों की जानें ली जा रही हैं, वहीं एक अफ्रीकी देश में रेडियो प्रसारण के जरिए हजारों बीमार बच्चों की जानें बचाई गई है.

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Burkina Faso Kind in einem Flüchtlingslager
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Fohringer

अफ्रीकी देश बुरकिना फासो में हजारों बीमार बच्चों की जान बचाने के लिए रेडियो का सहारा लिया गया. ट्रायल के लिए हुए इस रेडियो कैंपेन में ग्रामीण इलाकों में मलेरिया, न्यूमोनिया और डायरिया के इलाज के बारे में बताया गया. शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे 3 हजार मासूमों को मदद मिली और उनकी जान बचाई जा सकी.

इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले रॉय हेड के मुताबिक शोध से साबित होता है कि जनसंचार माध्यमों का सहारा लेकर यदि लोगों को अस्पताल या क्लिनिक जाकर इलाज कराने के लिए कहा जाए तो यह न्यूनतम लागत में हो सकता है. पहली बार इसके असर को देखने के लिए यह साइंटिफिक ट्रायल किया गया है.

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शोधकर्ताओं ने 2012 से 2015 के बीच बुरकिना फासो में रेडियो प्रसारण किया और लोगों की आदतों में बदलाव लाने के लिए अभियान चलाए. इसके लिए 50 किलोमीटर की दूरी पर सात रेडियो स्टेशन लगाए गए. रोजाना हुई रिसर्च से लोगों में बदलाव को आंका गया और डेटा तैयार हुआ. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, रेडियो सुन रहे लोगों में बीमारियों का इलाज करवाने की उत्सुकता देखी गई.

मलेरिया, न्यूमोनिया और डायरिया के इलाज में बढ़ोतरी देखी गई. डायरिया के इलाज में जहां 107 फीसदी की बढ़त हुई वहीं मलेरिया का निदान 56 फीसदी तक बढ़ा. शोध में मालूम चला कि कफ और ठंड के मरीजों के इलाज में रेडियो प्रसारण का असर नहीं देखा गया. टीम ने पाया कि मृत्यु में पहले साल 9.7 फीसदी की कमी देखी गई, दूसरे साल 5.7 की कमी हुई और तीसरे साल आंकड़ा 5.5 फीसदी तक पहुंच गया. कुल मिलाकर करीब तीन हजार लोगों की जानें बचाई गईं.

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लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन और ट्रॉपिकल मेडीसिन में प्रोफेसर सिमॉन काइसेंस कहते हैं, "अफ्रीका में सहारा से लगते देशों में न्यूमोनिया, मलेरिया और डायरिया की वजह से बच्चों की सबसे ज्यादा जानें जाती हैं. इस रिसर्च ने साबित किया है जनसंचार का सहारा लिया जाए तो लोगों को अपने बच्चों का इलाज करवाने के लिए राजी करवाया जा सकता है.

वीसी/एमजे (रॉयटर्स)

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