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रूस पर और भी सख्त हो सकता है अमेरिका

१६ मार्च २०१८

रूस पर नरमी दिखाने वाला अमेरिकी ट्रंप प्रशासन अचानक इस पर तल्ख होता नजर रहा है. विशेषज्ञों की माने तो रूस के उदासीन रुख ने अमेरिका को ब्रिटेन की तरफ मोड़ दिया है. लेकिन क्या यही एक कारण है या वजह कुछ और हैं.

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तस्वीर: REUTERS/Sputnik/Kremel/M. Klimentyev

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 19 रूसी नागरिकों और पांच संस्थानों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन संस्थानों में रूस की प्रमुख खुफिया एजेंसियां, फेडरल सिक्योरिटी एजेंसी और मेन इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट (जीआरयू) शामिल है. इसके अलावा देश की इंटरनेट रिसर्च एजेंसी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. इस फैसले के चलते अब प्रतिबंधित लोग और संगठन अमेरिकी नागरिकों, संस्थाओं और कंपनियों से किसी तरह का संबंध नहीं रख सकेंगे. अमेरिका ने यह कार्रवाई 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप और साइबर अटैक की घटनाओं के लिए की है.

साल 2016 में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही चुनाव नतीजे में रूसी हस्तक्षेप का मामला कई बार चर्चा में आया है. हालांकि पिछले दो सालों में यह पहला मौका है जब अमेरिका ने रूस को सीधे-सीधे चुनाव में हस्तक्षेप और साइबर हमलों की घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताया है. 

अमेरिकी प्रतिबंधों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रूस ने कहा कि अमेरिका ने ऐसे वक्त पर यह फैसला लिया है जब देश में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. लेकिन वह इसका जवाब देगा.

इससे पहले 4 मार्च को रूसी एजेंट सर्गेइ स्क्रिपाल और उनकी बेटी यूलिया को जहर दिए जाने के मामले में भी अमेरिका ने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ संयुक्त बयान जारी कर रूस पर इस घटना में शामिल होने का आरोप लगाया है. हालांकि रूस किसी भी तरह की साजिश में शामिल होने से इनकार करता आया है.

रूसी विशेषज्ञों को आशंका है कि भविष्य में अमेरिका, रूस के खिलाफ और भी अधिक सख्त रुख अपना सकता है. एक राजनयिक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "अमेरिका के मौजूदा प्रशासन ने रूस को लेकर अपनी नीतियों को निर्णायक मोड़ दिया है. जिसके चलते संतुलन बदला है." एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, "अमेरिका यह महसूस करता रहा है कि ट्रंप ने रूस को लेकर दोस्ताना रुख अपनाया लेकिन रूस ने कभी उस गर्मजोशी से अमेरिका पर भरोसा नहीं जताया. ऐसे में लगता है कि रूस अमेरिका से अच्छे संबंध रखना ही नहीं चाहता." इसी रुख ने ट्रंप को हताश किया है जिसके बाद अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ नर्व एजेंट हमले को लेकर एकजुटता दिखाई है. 

अमेरिका के पूर्व खुफिया अधिकारी यूगेन रुमर कहते हैं कि ट्रंप की इस नीति में बदलाव का कारण स्पेशल काउंसलर रॉबर्ट म्यूलर की वह जांच भी हो सकती है जिसमें यह पता करने की कोशिश की जा रही है कि क्या रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में दखल दिया था. वहीं कुछ अधिकारी मानते हैं कि सीरियाई गृह युद्ध में रूस का बढ़ता दखल भी अमेरिकी फैसले का एक कारण हो सकता है. 15 मार्च को इन प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि आगे भी ऐसे फैसले लिये जा सकते हैं.

एए/एनआर (रॉयटर्स)