रिश्ते मजबूत करने भारत पहुंचे नेतन्याहू
१५ जनवरी २०१८नेतन्याहू ने इस औपचारिक स्वागत के बाद कहा, "इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक इस्राएल यात्रा से हुई, जिससे जबरदस्त उत्साह का माहौल बना. और यह अब मेरी यात्रा के साथ जारी है, जिसके बारे में मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि यह मेरे लिए, मेरी पत्नी के लिए और इस्राएल के सभी लोगों के लिए भावुक कर देने वाला है." उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि यह दोनों देशों में हमारे लोगों के लिए समृद्धि, शांति और प्रगति लाने में और हमारी साझेदारी को बढ़ाने में मदद करता है."
इस्राएली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दों और वैश्विक स्थिति पर चर्चा करने की संभावना है. मोदी रविवार को प्रोटोकॉल तोड़कर अपने इस्राएली समकक्ष का स्वागत करने हवाई अड्डे पहुंचे. दिल्ली के बाद नेतन्याहू मुंबई और गुजरात भी जाएंगे.
दिल्ली में तीन मूर्ति भवन के नजदीक गोलचक्कर पर स्थित प्रतिष्ठित युद्ध स्मारक का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक कर दिया गया. हाइफा इस्राएल का वह शहर है जहां पहले विश्व युद्ध में कई भारतीय सैनिक मारे गए. उन्हें श्रद्धांजलि के तौर पर चौक का नाम बदला गया है. प्रधानमंत्री मोदी, उनके इस्राएली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी पत्नी सारा नेतन्याहू ने तीन मूर्ति स्मारक पर नाम बदलने के औपचारिक समारोह में भाग लिया.
दोनों नेताओं ने पुष्पांजलि अर्पित की और स्मारक की आगंतुक पुस्तिका में हस्ताक्षर किए. मोदी ने पुस्तिका में लिखा, "इन पन्नों में से एक 100 साल पहले हाइफा में भारतीय सैनिकों के बलिदान से लिखा गया. इस स्थल का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक करना इसके ऐतिहासिक महत्व को पहचान देता है. इस्राएल के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हम बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं." तीन मूर्ति भवन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास था. वहीं हाइफा इस्राएल का तीसरा सबसे बड़ा शहर है.
इस मौके पर मोदी ने ट्वीट किया कि उन्होंने और नेतन्याहू ने "हाइफा में बहादुरी के साथ लड़ने वाले भारतीय जवानों और शहर की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान गवांने वालों" को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा, "वह स्थान जहां हम उनके बलिदान का स्मरण करते हैं, अब तीन मूर्ति-हाइफा चौक कहकर पुकारा जाएगा." उन्होंने आगे लिखा, "यह प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति का 100वां साल है. हम गर्व के साथ युद्ध में भारतीय सैनिकों की वीरता को याद करते हैं."
तीन मूर्ति युद्ध स्मारक को पहले इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड मेमोरियल के नाम से पुकारा जाता था. इसका अनावरण 1924 में किया गया. तीन पत्थर व तांबे की प्रतिमा हैदराबाद, जोधपुर और मैसूर लांसर्स को प्रदर्शित करती है, जो 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे. इस ब्रिगेड ने जर्मनी और तुर्की के सैनिकों से सितंबर 1918 में हाइफा को स्वतंत्र कराने की लड़ाई लड़ी थी.
आईएएनएस/आईबी