ब्रिटेन ने की थी कोरोना तालाबंदी लगाने में देर
१२ अक्टूबर २०२१यह रिपोर्ट ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स की विज्ञान और स्वास्थ्य की समितियों द्वारा संयुक्त रूप से की गई जांच का नतीजा है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शुरू में ही तालाबंदी ना लगाने से महामारी को रोकने का एक अवसर हाथ से निकल गया.
रिपोर्ट कहती है कि इस घातक देरी का कारण था वैज्ञानिक सलाहकारों के सुझावों पर मंत्रियों का सवाल ना उठाना. इस वजह से एक खतरनाक स्तर की "सामूहिक सोच" विकसित हो गई जिसके कारण उन आक्रामक रणनीतियों को नकार दिया गया जिन्हें पूर्वी और दक्षिणपूर्वी एशिया में लागू किया गया था.
देर से दिया आदेश
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजर्वेटिव सरकार ने तब जा कर तालाबंदी का आदेश दिया जब देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा पर तेजी से बढ़ते हुए संक्रमण के मामलों की वजह से अत्यधिक दबाव पड़ गया.
रिपोर्ट ने कहा, "सरकार तालाबंदी से बचना चाह रही थे क्योंकि उसकी वजह से अर्थव्यवस्था, सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं और समाज को बहुत नुकसान होता. कड़ाई से आइसोलेशन, एक सार्थक जांच और ट्रेस अभियान और सीमाओं पर सशक्त प्रतिबंध जैसे उपायों के अभाव में एक पूर्ण तालाबंदी अनिवार्य थी और उसे और जल्दी लागू किया जाना चाहिए था."
यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब महामारी से निपटने के सरकार के प्रयासों को लेकर एक औपचारिक जांच में हो रही देरी को लेकर निराशा का माहौल है. प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा है कि जांच अगले साल बसंत में शुरू होगी.
सांसदों का कहना है कि जांच की प्रक्रिया को कुछ इस तरह से बनाया गया है जिससे यह सामने लाया जा सके कि महामारी के शुरुआती दिनों में ब्रिटेन का प्रदर्शन दूसरे देशों के मुकाबले "काफी खराब" क्यों रहा. इससे देश को कोविड-19 के मौजूदा और भविष्य के खतरों से निपटने में मदद मिलेगी.
टीकों पर शुरुआती ध्यान की सराहना
संसदीय समिति की रिपोर्ट 150 पन्नों की है और 50 गवाहों के बयानात पर आधारित है. इनमें पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार डोमिनिक कमिंग्स भी शामिल हैं. इसे संसद की तीन सबसे बड़ी पार्टियों के 22 सांसदों ने सर्वसम्मति से स्वीकृति दी थी.
इन पार्टियों में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी, विपक्षी लेबर पार्टी और स्कॉटलैंड की स्कॉटिश नेशनल पार्टी शामिल थीं. संसदीय समितियों ने टीकों पर सरकार के शुरुआती ध्यान और टीकों के विकास में निवेश करने के फैसले की सराहना भी की.
इन फैसलों से ब्रिटेन का टीकाकरण कार्यक्रम काफी सफल हुआ और आज 12 साल से ऊपर की उम्र के लगभग 80 प्रतिशत लोगों को टीका लग चुका है. समितियों ने कहा, "यूके ने वैश्विक टीकाकरण अभियान में अग्रणी भूमिका निभाई है जिसकी वजह से अंत में लाखों जानें बच पाएंगी."
रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के पहले तीन महीनों में सरकार की रणनीति औपचारिक वैज्ञानिक सलाह का नतीजा थी, जिसमें कहा गया था कि चूंकि जांच करने की क्षमता सीमित है इसलिए संक्रमण व्यापक रूप से फैलेगा ही.
इसके अलावा यह भी कहा गया था कि टीके की तुरंत कोई संभावना नहीं है. यह भी माना गया था कि जनता एक लंबी तालाबंदी को स्वीकार नहीं करेगी. इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार वायरस के प्रसार को पूरी तरह से रोकने की जगह सिर्फ उसके प्रबंधन का इंतजाम कर पाई.
सीके/एए (एपी)