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राज्य सभा में बीजेपी बहुमत के करीब

चारु कार्तिकेय
३ नवम्बर २०२०

245 सदस्यों की राज्य सभा में बीजेपी के पास 92 सीटें आ गई हैं, हालांकि बहुमत के लिए उसे अभी भी 31 सीटें और चाहिए. राज्य सभा में बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी के लिए दोनों सदनों में बिल पास कराना आसान हो जाएगा.

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Indien Parlament Gebäude
तस्वीर: picture-alliance/dpa/STR

सोमवार दो नवंबर को राज्य सभा की 11 सीटों के लिए चुनाव हुए थे, जिनमें से बीजेपी ने नौ सीटें जीत लीं. इनमें से आठ सीटें उत्तर प्रदेश में हैं और एक उत्तराखंड में. इस जीत के साथ ऊपरी सदन में बीजेपी के पास कुल 92 सीटें हो गई हैं. जेडीयू और आरपीआई जैसे घटक दलों के सदस्यों को मिला कर सत्तारूढ़ गठबंधन की 98 सीटें हैं.

ये पहली बार है जब बीजेपी और एनडीए राज्य सभा में बहुमत के इतने करीब पहुंच गए हैं. लोक सभा में पहले से ही सरकार के पास बहुमत है, जिसकी वजह से वह अपना कोई भी विधाई कार्य लोक सभा से आसानी से पास करा लेती है. बस राज्य सभा में सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं क्योंकि वहां अभी भी विपक्ष का संख्या बल ज्यादा है और वो सरकार के एजेंडा को रोकने में सक्षम है.

लेकिन बीजेपी धीरे धीरे राज्य सभा में भी अपनी संख्या बढ़ाती जा रही है और विपक्ष की सीटें घटती जा रही हैं. चुनिंदा मुद्दों पर एनडीए का सहयोग करने वाली एआईएडीएमके और एजीपी, एमएनएफ, एनपीपी, एनपीएफ, पीएमके और बीपीएफ जैसी कुछ छोटी पार्टियों को भी अगर मिला लें तो एनडीए का संख्याबल 110 के आस पास पहुंच जाता है.

Indien Narendra Modi
बीजेपी धीरे धीरे राज्य सभा में अपनी संख्या बढ़ाती जा रही है और विपक्ष की सीटें घटती जा रही हैं.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Kumar

सरकार को कई और पार्टियों का समर्थन 

इनके अलावा बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआरसीपी पार्टियां भी चुनिंदा मुद्दों पर बीजेपी को समर्थन देती हैं, जिससे सरकार को 22 और वोट मिल जाते हैं. सदन में बहुमत के लिए 123 सीटें चाहिए होती हैं. कांग्रेस राज्य सभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन इतिहास में पहली बार उसकी सीटें 40 से भी नीचे जाने वाली हैं.

25 नवंबर को एक साथ 11 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होगा, जिनमें से दो सांसद कांग्रेस के हैं. इनके सदन से चले जाने के बाद कांग्रेस की संख्या 38 हो जाएगी. सोमवार को इन्हीं सीटों के लिए चुनाव हुए थे. राज्य सभा को राज्यों की परिषद कहा जाता है और यहां आने वाले सदस्यों को सीधे जनता की जगह राज्यों के विधायक और पार्षद चुनते हैं.

सीटों का बंटवारा राज्यों की आबादी के अनुसार किया हुआ है, लेकिन बंटवारे का फार्मूला ऐसा है जिससे छोटे राज्यों को नुकसान ना हो, बल्कि वो आगे ही रहें. जैसे तमिलनाडु की आबादी बिहार से कम है लेकिन राज्य सभा में बिहार के मुकाबले तमिलनाडु की सीटें ज्यादा हैं.

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