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राज्य सभा में एनएमसी विधेयक पास

१ अगस्त २०१९

नई दिल्ली में डॉक्टर नेशनल मेडिकल कमीशन विधेयक के विरोध में उतरे. विधेयक की धारा 32 में गैर चिकित्सकों को भी मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस का लाइसेंस देने का प्रावधान है.

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All India Institute of Medical Sciences AIIMS in New Delhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रेसिडेंट चिकित्सकों के इमरजेंसी सेवाओं सहित सभी सेवाओं से हट जाने के कारण गुरुवार को नई दिल्ली में एम्स सहित सरकारी अस्पतालों की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुईं. चिकित्सक नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे नीम-हकीमों को बढ़ावा मिलेगा. इस हड़ताल का आह्वान एनएमसी विधेयक के खिलाफ किया गया है.

29 जुलाई को लोक सभा में पास होने वाले इस विधेयक को एक अगस्त को संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा ने भी पास कर दिया. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून बन जाएगा. गुरुवार को राज्य सभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने यह बिल पेश किया.

बिल में नेशनल मेडिकल कमीशन के गठन का जिक्र किया गया है. यह कमीशन, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमआईसी) की जगह लेगा. बिल के मुताबिक एनएमसी भारत में मेडिकल शिक्षा, प्रैक्टिस और शिक्षा संस्थानों का नियमन करेगा.

Indien - Parlament in Neu Dehli
29 जुलाई को लोक सभा में पास हुआ था एनएमसी बिलतस्वीर: picture-alliance/dpa

मोदी सरकार इस विधेयक को सबसे बड़े सुधारों में से एक बता रही है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया 1956 के मेडिकल काउंसिल एक्ट पर आधारित है. एक्ट के तहत विदेशों से मेडिकल डिग्री लेने वाले डॉक्टरों को भी एमआईसी की परीक्षा पास करनी होती थी. ऐसे छात्रों की लंबे समय से मांग थी कि इस नियम को बदला जाए.

भारत में डॉक्टरों की काफी कमी है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बहुत कम डॉक्टर गांवों और कस्बों में जाते हैं. ग्रामीण स्वास्थ्य के लिहाज से भी एनएमसी विधेयक को निर्णायक बताया जा रहा है. इससे खफा डॉक्टरों ने गुरुवार को नई दिल्ली में हड़तला की. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अलावा इस हड़ताल से पड़ोसी सफदरजंग अस्पताल व दिल्ली के मध्य में स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल भी बुरी तरह प्रभावित है. तीनों अस्पतालों में से खास तौर से एम्स व सफदरजंग में पूरे देश से हर रोज हजारों मरीज पहुंचते हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार की रात किए गए एक ट्वीट में लोगों व मेडिकल बिरादरी को भरोसा दिया था कि विधेयक ऐतिहासिक साबित होगा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने विधेयक को 'क्रूर' व 'जन विरोधी' बताया है. उसने एनएमसी विधेयक की धारा 32 को लेकर चिंता जताई गई है. यह धारा 3.5 लाख गैर चिकित्सक लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को मॉर्डन मेडिसिन के प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस देगी.

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(मरीज को डॉक्टर के ढाई मिनट भी नहीं नसीब)

ओएसजे/एमजे (आईएएनएस)