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राजनीतिक विज्ञापनों पर फेसबुक उठाएगा कदम

९ जनवरी २०२०

नवंबर 2020 में होने वाले अमेरिकी चुनाव से पहले फेसबुक ने अपने यूजरों के लिए प्राइवेसी चेकअप टूल को अपडेट किया है. यह बदलाव राजनीतिक विज्ञापनों को देखते हुए किया गया है.

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Facebook ließ Sprachnachrichten abtippen
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Alfiky

फेसबुक यूजर जो राजनीतिक विज्ञापन कम देखना चाहते हैं, वे इस टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन फेसबुक के यह बदलाव आलोचकों की मांगों को अभी भी पूरा नहीं कर रहे हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट ने अपने मंच के राजनीतिक दुरूपयोग को रोकने में विफल होने के बाद यह फैसला लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस के कथित दखल के आरोप और ब्रिटिश फर्म केम्ब्रिज एनालिटिका पर 2016 के चुनाव के दौरान करोड़ों फेसबुक यूजर्स का डाटा चोरी करने के आरोप के बाद फेसबुक अपने यूजर्स का डाटा सुरक्षित ना रख पाने के लिए आलोचनाएं झेल रही है.

इसी साल नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव से पहले एक बार फिर फेसबुक की विज्ञापन नीतियों की आलोचना हो रही है. कारण यह है कि फेसबुक विशेष रूप से राजनैतिक विज्ञापनों पर वैसे जांच मानक नहीं लगाता जैसे वह बाकी के कंटेंट पर लगाता है. इन नए अपडेटों के लेकर फेसबुक यह दावा कर रहा है कि प्राइवेसी सेटिंग के चार नए टूल इसमें मजबूती लाएंगे. फेसबुक के मुताबिक उसके फोटो-शेयरिंग ऐप इंस्टाग्राम पर भी राजनीतिक विज्ञापन को कम देखने के लिए टूल बनाए जाएंगे. दर्शकों को जागरूक करने के लिए भी ज्यादा विज्ञापन बनाए जाएंगे.

फेसबुक के उलट ट्विटर ने अक्टूबर में ही राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं सर्च इंजिन गूगल ने भी पहले ही विज्ञापनदाताओं के सार्वजनिक मतदाता रिकॉर्ड या अन्य सामान्य राजनीतिक डाटा के प्रयोग पर रोक लगा दी है. इसके अलावा स्पॉटीफाई, पिंट्रेस्ट, टिकटॉक ने पहले से ही बैन लगाया हुआ है.

एक फेसबुक पोस्ट के जरिए फेसबुक के उत्पाद प्रबंधन निदेशक रॉब लेदरन ने कहा है कि कंपनी ने गूगल की तरह सीमाएं लागू करने पर विचार किया, लेकिन गूगल के जैसे बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया. रॉब लेदरन ने लिखा, "हम मानते हैं कि लोगों को उन्हें सुनना चाहिए जो उनका नेतृत्व करना चाहते हैं."

फेसबुक इस साल की शुरुआत में अमेरिका में राजनीतिक विज्ञापनों पर नियंत्रण करने की योजना बना रहा है. जिसके लिए वो नया फीचर साल की पहली तिमाही तक ले आएगा. जिसके बाद इसे बाकी जगहों पर भी बढ़ाये जाने की योजना है.

एसबी/आरपी (एपी)

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