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राजनीतिक मूल्यों के हिमायती थे सोमनाथ चटर्जी

प्रभाकर मणि तिवारी
१३ अगस्त २०१८

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष और दस बार सांसद रहे सीपीएम के पूर्व नेता सोमनाथ चटर्जी के निधन से राजनीति का एक युग खत्म हो गया है. दिल का दौरा पड़ने के बाद सोमवार सुबह कोलकाता के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया.

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Indien Somnath Chatterjee
तस्वीर: DW/P. Tewari

वामपंथी विचाराधारा के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष पद पर रहते उन्होंने संवैधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं को अपनी पार्टी के हितों से ऊपर रखा था. इस वजह से उनको अपने जीवन के आखिरी कुछ दिन अकेलेपन में भी गुजारने पड़े. बावजूद इसके उन्होंने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया. अपनी स्पष्टवादिता के लिए कई बार वह वामपंथियों और दूसरे दलों के निशाने पर भी रहे.

सोमनाथ बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे. किडनी के संक्रमण के अलावा इस दौरान उनको ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था. कोलकाता में बीते शुक्रवार से एक निजी अस्पताल में दाखिल लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की हालत रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद बिगड़ गई थी. शुक्रवार को सुबह किडनी की समस्या के चलते 89 साल के सोमनाथ को अस्पताल में दाखिल कराया गया था. उनको वेंटीलेटर पर रखा और उनकी डायलिसिस भी की जा रही थी. इससे पहले बीते जून में ब्रेन स्ट्रोक के बाद सोमनाथ को लंबे समय तक अस्पताल में दाखिल रहना पड़ा था. उनको कुछ दिनों पहले ही अस्पताल से रिहा किया गया था.

जीवन

सोमनाथ चटर्जी का जन्म असम के तेजपुर में 25 जुलाई, 1929 को हुआ था. वह मशहूर वकील और हिंदू महासभा के संस्थापक अध्यक्ष निर्मलचंद्र चटर्जी के पुत्र थे. कोलकाता में शुरुआती पढ़ाई के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय में गए. मजदूर नेता और पेशे से वकील रहे सोमनाथ एक बेहद प्रभावशाली वक्ता भी थे. वह 1989 से 2004 तक लोकसभा में सीपीएम संसदीय दल के नेता रहे. वर्ष 2004 में वह आम राय से लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए थे.

वर्ष 1968 में राजनीति में शामिल होने वाले सोमनाथ वर्ष 1971 में सीपीएम के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का पहला चुनाव जीते थे. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. कुछ समय बाद वह सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य बन गए. वर्ष 1984 में कोलकाता की जादवपुर संसदीय सीट पर तब कांग्रेस की युवा नेता रहीं ममता बनर्जी ने सीपीएम के इस कद्दावर नेता को पराजित कर दिया था. इस एकमात्र पराजय के अलावा उनको लगभग चार दशकों के अपने राजनीतिक सफर में कभी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा.
चटर्जी दस बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे वर्ष 1996 में उनको सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष रहने के दौरान सोमनाथ ने राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस पहल की थी.

Indien Somnath Chatterjee
तस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/H. Tyagi

सोमनाथ का चार दशक लंबा राजनीतिक करियर लगभग बेदाग रहा है. वर्ष 2005 में लोकसभा अध्यक्ष रहते सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ एक टिप्पणी के लिए उनको काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. उन्होंने तब कहा था कि झारखंड विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट विधायिका के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहा है. सोमनाथ ने कई पुस्तकों के अलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों लेख भी लिखे थे. वर्ष 2009 में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद कुछ साल तक अपने संसदीय क्षेत्र बोलपुर में रह कर वह समाजसेवा में लगे रहे. बाद में स्वास्थ्य खराब होने पर वह कोलकाता ही रहने लगे थे.

सीपीएम से विदाई

वर्ष 2008 में सीपीएम ने जब केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया तो शीर्ष नेतृत्व के बार-बार कहने के बावजूद संसदीय परंपराओं की दुहाई देते हुए उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था. उसके बाद उनको पार्टी से निकाल दिया गया था. उस समय सोमनाथ ने इसे अपने जीवन का सबसे उदास दिन करार दिया था. सोमनाथ चटर्जी ने कहा था कि उनको यह उम्मीद थी कि पार्टी उनसे कम से कम इस्तीफा नहीं देने की वजह तो पूछेगी. अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका दिए बिना ही उनको निकाल दिया गया. सोमनाथ की दलील थी कि लोकसभा अध्यक्ष दलगत राजनीति से परे होता है.

बीते दिनों कोलकाता में एक कार्यक्रम में सोमनाथ ने कहा था कि अपनी पार्टी यानी सीपीएम की वजह से ही वह लोकसभा अध्यक्ष पद तक पहुंचे थे. उन्होंने बताया था कि ज्योति बसु ने वर्ष 2004 में उनको यह पद कबूल करने के लिए प्रोत्साहित किया था. सोमनाथ ने कहा था, "अध्यक्ष बनने के बाद बसु ने कहा था कि मुझे इस बात की मिसाल पेश करनी है कि एक वामपंथी संसदीय लोकतंत्र में भी बेहतरीन काम कर सकता है. इस पद पर रहते हुए मैंने अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से पूरा करने का भरसक प्रयास किया था. इस दौरान कई गलतफहमियां भी पैदा हुईं. लेकिन अब सब अतीत बन चुका है.”

सोमनाथ चटर्जी उसूलों के पक्‍के और बेहद ईमानदार राजनेता थे. सरकारी दौरों पर विदेश जाने के दौरान वह अपने परिजनों का खर्च खुद उठाते थे. लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अपने सरकारी आवास में कई गैर-जरूरी खर्चों में भी कटौती कर दी थी. वह चुनिंदा ऐसे नेता थे जिनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था. वह आजीवन जिन मूल्यों की वह दुहाई देते रहे उसे अपने जीवन में भी अपनाया था. विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय के लिए मशहूर सोमनाथ सीपीएम से निकाले जाने के बावजूद आजीवन खुद को वामपंथी मानते रहे. उनके परिवार में पत्नी रेणु चटर्जी के अलावा पुत्र प्रताप और दो पुत्रियां अनुराधा और अनुशीला हैं.