राजधानी बदलने वाले देश
दुनिया के कुछ देशों में आज भी राजधानी बदलने की मांग और योजनाएं बनती हैं. अपनी राजधानी बदलने का काम कई देश कर चुके हैं. एक नजर इन देशों पर.
नाइजीरिया
अफ्रीकी देश नाइजीरिया का सबसे बड़ा शहर लागोस (तस्वीर में बाएं) यह 1991 तक देश की राजधानी था. शहर गर्मी और जगह की तंगी से परेशान रहता था. 1991 में इन्हीं मुश्किलों का हल खोजने के लिए अबूजा (तस्वीर में दाएं) को राजधानी बना दिया गया. लागोस से 300 किलोमीटर दूर अबूजा थोड़ी ऊंचाई पर है. अबूजा की आबोहवा लागोस के मुकाबले ज्यादा सुकूनदेह है.
ब्राजील
ब्राजील की राजधानी कभी तटीय शहर रियो डे जेनेरो (बाएं) हुई करती थी. काफी भीड़ भाड़ और तटीय शहर होने के कारण राजधानी को ब्राजीलिया (दाएं) शिफ्ट किया गया. ब्राजीलिया को ऐसे विकसित किया गया कि राजधानी सुव्यवस्थित हो.
म्यांमार
यांगून या रंगून लंबे समय तक म्यांमार की राजधानी यही शहर हुआ करता था. लेकिन 2005 में नेपीदा को राजधानी बना दिया गया. नेपीदा बहुत ही खुला हुआ इलाका है. राजधानी भले ही बदल दी गई हो लेकिन आज भी म्यांमार का सबसे मुख्य राजनीतिक और आर्थिक केंद्र यांगून शहर ही है.
पाकिस्तान
1959 में पाकिस्तान की सरकार ने राजधानी को कराची से बदल कर इस्लामाबाद ले जाने का फैसला किया. राजनीति में कराची के अमीर कारोबारियों के दखल को कम करने के लिए इरादे से भी यह कदम उठाया गया था. इस्लामाबाद पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय रावलपिंडी के करीब है.
कजाखस्तान
कजाखस्तान की राजधानी लंबे समय तक अलमाटी हुआ करती थी. लेकिन 1997 में अस्ताना शहर को देश की नई राजधानी बना दिया गया. इस बदलाव के जरिए आधुनिकता का संदेश देने की कोशिश भी की गई. 2019 में अस्ताना शहर का नाम बदल कर नूर सुल्तान कर दिया गया.
रूस
1917 की बोलशेविक क्रांति के दौरान जार की सत्ता ढह गई. और इसके साथ ही जार के राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग की अहमियत भी कम कर दी गई. 1918 में मॉस्को को रूस की राजधानी घोषित किया गया.
जर्मनी
दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होते ही जर्मनी टुकड़ों में बंट गया. पश्चिमी जर्मनी की राजधानी बॉन शहर को बनाया गया. पूर्वी जर्मनी की राजधानी बर्लिन बना. 1990 में जर्मन एकीकरण के बाद बर्लिन को नई राजधानी बनाया गया.
भारत
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लंबे समय तक भारत की राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) थी. 1911 में भारत के ब्रिटिश शासक जॉर्ज पंचम ने राजधानी को दिल्ली शिफ्ट करने का एलान किया. 1931 तक दिल्ली में नई राजधानी को लेकर जारी निर्माण कार्य खत्म हो गया. निर्माण कार्य की प्लानिंग एडविन लुटियंस ने की, इसी वजह से नई दिल्ली के प्रशासनिक इलाके को लुटियंस दिल्ली भी कहा जाता है.