येलो वेस्ट प्रदर्शनकारियों को दिलाई 'गांधीगिरी' की याद
१ अक्टूबर २०१९महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष को दुनिया के तमाम देशों में अलग अलग तरीकों से मनाया गया. ऐसा ही गांधी के सिद्धांतों और मूल्यों के साथ भी होता आया है. हिंसा से सामना होने पर अब भी कैसे उनका ये विचार दिमाग में कौंध जाता है कि आंख के बदले आंख फोड़ेंगे तो सारी दुनिया अंधी हो जाएगी या फिर कोई एक गाल पर तमाचा मारे तो दूसरा गाल आगे कर देना चाहिए. गांधी के दिखाए अहिंसा के रास्ते पर चलना ना उनके समय में आसान था और ना ही आज है. लेकिन उनकी शिक्षा आज भी कई बार युवाओं को नए रास्ते दिखाती हैं. पेरिस स्थित पुब्लिसिस नेटवर्क से जुड़े भारत के कमल भटनागर के साथ भी ऐसा ही हुआ.
भटनागर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "सीधी सी बात है. गांधी ने एक अंगुली उठाए बिना ही इतना बड़ा आंदोलन चलाया था. और यहां मैं पेरिस की सड़कों पर होती हिंसा देख कर परेशान था. तब मैंने सोचा कि गांधी होते तो क्या करते. मेरे ख्यालों में वह शांति से अपना चरखा लिए आर्क डि ट्रायंफ के पास बैठे दिखे." इसी प्रेरणा को सच्चाई का रूप देने के लिए इस युवा डिजाइनर ने येलो वेस्ट पर गांधी को उकेरा. भटनागर और उनकी क्रिएटिव पार्टनर क्लेयर ने खुद अपने पैसे लगाकर कई ऐसी वेस्ट बनाईं.
भटनागर बताते हैं, "मैंने ये येलो वेस्ट बापू के अहिंसा के मूल्यों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की याद दिलाने को बनाया. इसे ऐसे फ्रेंच लोगों के साथ शेयर किया जिनका मन प्रदर्शनों को हिंसक रूप लेते देख पूरे आंदोलन से ही उठने लगा था." इस वेस्ट पर लिखा है: "मैं गांधी की तरह विरोध करता हूं." फ्रेंच लोगों को यह विचार पसंद आया और कई लोगों ने हिंसक हो चुके प्रदर्शनकारियों का निशाना बनने के डर के बावजूद इसे पहना. भटनागर ने ट्विटर पर ऐसे लोगों की तस्वीर भी साझा की है.
भटनागर की क्रिएटिव पार्टनर क्लेयर खुद सबसे पहले जब 'गांधी' येलो वेस्ट पहन कर इसी साल जून में पेरिस की सड़कों पर अकेली चलीं तो उनके मन में थोड़ा डर भी था. इस वाकये के बारे में बताते हुए भटनागर कहते हैं कि उनके डर के उलट हुआ ये कि कई लोगों की प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक रही. कई लोगों ने उनसे पूछा कि ये वेस्ट कहां से मिली और कइयों ने वैसी वेस्ट खरीदने की भी इच्छा जताई. क्लेयर ने उन लोगों से उस वेस्ट पर उनके समर्थन के प्रतीक के तौर पर हस्ताक्षर करवाए और अब भटनागर वो वेस्ट भारत के प्रधानमंत्री को भेंट के रूप में देना चाहते हैं. भटनागर कोई राजनीतिक संदेश नहीं बल्कि गांधी के अहिंसा के संदेश को फैलाने के मकसद से अपनी सृजनात्मकता का इस्तेमाल करना चाहते थे और उन्होंने वही किया.
फ्रांस में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर बीते साल दिसंबर में ‘येलो वेस्ट' पहने लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरु किया था. राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने जब डीजल और पेट्रोल पर नया टैक्स लगाया तो उसके विरोध में देश भर में पहले लोगों ने विरोध करना शुरु किया जो कि आगे चल कर हिंसक हो गया था. इस विवादास्पद फ्यूल टैक्स को सरकार को वापस लेना पड़ा. कई हफ्तों तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों का देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा.
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