येरुशलम: ट्रंप ने दी मदद बंद करने की धमकी
२१ दिसम्बर २०१७गुरुवार को इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में चर्चा होनी है. इस दौरान वोटिंग भी होगी. अमेरिका की नई चेतावनी को मुस्लिम देशों के एक गुट ने दादागीरी कहा है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने एक दिन पहले ट्वीट और पत्र के जरिये जो कुछ चेतावनी दी थी. डॉनल्ड ट्रंप उससे एक कदम और आगे चले गये हैं. निक्की हेली ने कहा था कि आमसभा में राष्ट्रपति को अपने फैसला वापस लेने वाले प्रस्ताव के समर्थक देशों के खिलाफ अमेरिका कदम उठा सकता है. हेली ने कहा था, "ट्रंप ने उन देशों पर नजर रखने को कहा है जो इस मामले में अमेरिका के खिलाफ जा रहे हैं और अमेरिका उनका नाम लेगा."
बुधवार को वॉशिंगटन में कैबिनेट की बैठक शुरू होने पर ट्रंप के बगल में बैठी निक्की हेली ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी लोग दूसरों के उनका फायदा उठाने से थक चुके हैं और उन्होंने वोटिंग से पहले "सही संदेश" देने के लिए अमेरिकी राजदूत की तारीफ की है. निक्की हेली ने कहा, "ये सभी देश हमसे पैसे लेते हैं और हमारे खिलाफ वोट देते हैं. वे हमसे सैकड़ों करोड़ डॉलर यहां तक कि अरबों डॉलर लेकर हमारे खिलाफ वोट देते हैं. हम उन सभी वोटों पर नजर रख रहे हैं. उन्हें हमारे खिलाफ वोट देने दीजिए." अमेरिकी सहायता की ओर इशारा करते हुए हेली ने कहा, "हम बड़ी बचत करेंगे. हमें उनकी परवाह नहीं."
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 14 सदस्य देशों के समर्थन वाले प्रस्ताव को जब अमेरिका ने वीटो कर दिया तो फलस्तीन और उनके अरब व मुस्लिम सहयोगी देशों आमसभा बुलाने की मांग रखी. इस प्रस्ताव में अमेरिकी राष्ट्रपति से इस्रायल की राजधानी के रूप में येरुशलम को मान्यता देने और अमेरिकी दूतावास को येरुशलम ले जाने के फैसलो को वापस लेने की मांग थी.
फलस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी और तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लु ने अमेरिका पर धमकी देने का आरोप लगाया है. इस्तांबुल के अतातुर्क एयरपोर्ट पर न्यूयॉर्क के लिए रवाना होने से पहले इन दनों नेताओं ने कहा कि उन्हें यकीन है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश हेली के तरफ से मिल रहे "दबाव" की अनदेखी करेंगे. अल मलिकी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि देश अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनेंगे, और "वे न्याय के लिए वोच देंगे, प्रस्ताव के समर्थन में वोट देंगे." कासुवोग्लु ने कहा, "कोई भी सम्मानित देश इस तरह के दबाव के आगे नहीं झुकेगा." उन्होंने कहा कि दुनिया बदल गयी है और यह यकीन कि "मैं ताकतवर हूं इसलिए मैं सही हूं, अब बदल गया है. दुनिया अब अन्याय के खिलाफ विद्रोह कर रही है."
कुछ राजनयिकों ने भविष्यवाणी की है कि इस प्रस्ताव का कम से कम 150 देश समर्थन करेंगे मुमकिन है कि यह आंकड़ा 180 देशों तक चला जाए. इस्राएल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रस्ताव के विरोध में खेमेबाजी में जुटा हुआ है. इस वोटिंग से यह भी पता चल जाएगा कि इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू विकासशील देशों के बीच अपने लिए समर्थन जुटाने की कोशिशों में कितने सफल हुए हैं.
कथित रूप से 180 देशों को भेजे गये पत्र में निक्की हेली ने कहा है "ट्रंप प्रशासन सिर्फ इतना कह रहा है कि आप ऐतिहासिक दोस्ती को ध्यान में रखते हुए जो साझेदारी और सहयोग हमने किया है उसे आगे बढ़ाते हुए हमारे दूतावास के बारे में हमारे फैसले का सम्मान करें." हेली ने यह भी कहा कि अमेरिकी कांग्रेस ने 22 साल पहले यह फैसला किया था कि येरुशलम को इस्रायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और अमेरिका ने सिर्फ उस फैसले को माना है.
एनआर/ओएसजे (एपी)