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विवाद

येरुशलम की 'हकीकत' माने यूरोप: नेतान्याहू

११ दिसम्बर २०१७

इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने यूरोप से अपील की है कि वह येरुशलम को इस्राएल की राजधानी का दर्जा दे. यूरोपीय संघ ने अमेरिका के येरुशलम को राजधानी मानने के फैसले की आलोचना की है.

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Belgien Brüssel Netanyahu trifft Mogherini
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir

यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स पहुंचे इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने कहा कि यूरोप की सरकारों को "हकीकत" को स्वीकार करना चाहिए. अमेरिका के बाद उन्होंने यूरोप से भी येरुशलम को इस्राएल की राजधानी मानने की अपील की. नेतान्याहू के मुताबिक ऐसे कदमों से इस्राएलियों और फलीस्तीनों के बीच "शांति का संभावित रास्ता" निकलेगा. इस्राएली प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि येरुशलम के मुद्दे पर यूरोप अमेरिका का अनुसरण करेगा.

इससे पहले रविवार को उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से मुलाकात की. पेरिस में हुई मुलाकात के दौरान माक्रों ने ट्रंप के फैसले को खारिज किया. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने नेतान्याहू से कहा कि वह पश्चिमी तट पर यहूदी बस्तियों का निर्माण रोककर विश्वास बहाल करें.
येरुशलम का कानूनी दर्जा क्या है?

येरुशलम पर अमेरिका से भिड़ा अरब जगत

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के रूप में मान्यता दी. अमेरिका के हर राष्ट्रपति को छह महीने बाद अमेरिकी दूतावास से जुड़े एक बिल पर दस्तखत करना पड़ता था. बिल में इस बात का जिक्र करना पड़ता था कि अमेरिकी दूतावास इस्राएल की राजधानी येरुशलम के बजाए तेल अवीव में क्यों है. लंबे समय से अमेरिका के राष्ट्रपति इस बिल पर दस्तखत कर येरुशलम के मुद्दे से बचते रहे हैं. लेकिन ट्रंप ने तमाम चेतवानियों के बावजूद इस बिल पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया और येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के रूप में स्वीकार कर लिया. अब अमेरिकी दूतावास तेल अवीव से येरुशलम जाएगा.

लेकिन ट्रंप के इस फैसले से अरब और इस्लामिक जगत में नाराजगी है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी ट्रंप के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे इस्राएल और फलीस्तीन के बीच शांति की कोशिशों में अड़चन पड़ेगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस विवाद का राजनीतिक हल खोजना चाहता है. ऐसा हल जिससे इस्राएल के भी हित प्रभावित न हों और एक आजाद देश के रूप में फलीस्तीन को भी मान्यता मिल सके.

लेकिन येरुशलम का दर्जा विवाद का केंद्र बना हुआ था. येरुशलम में यहूदी, ईसाई और मुसलमान तीनों समुदायों के पारंपरिक धार्मिक स्थल हैं और इसलिए इस शहर पर वे अपना अपना दावा जताते हैं. ऐसे धार्मिक स्थलों का बंटवारा करना बड़ा सिरदर्द है. इस्राएल लंबे वक्त से येरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में पेश करता रहा है. लेकिन अंतराष्ट्रीय समुदाय को लगता है कि शहर का भविष्य फलीस्तीनियों के साथ बातचीत करके ही तय किया जाना चाहिए. ट्रंप के फैसले के बाद पलड़ा इस्राएल के पक्ष में झुक गया है.

(क्यों विवाद का केंद्र है येरुशलम)

ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स, एपी)